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Monday 23 December 2013 11:54:21 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने आज यहां गर्भाश्य ग्रीवा कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) की जांच के लिए ‘ए वी मैग्नी विजुअलाइजर’ की शुरूआत की। इस उपकरण का डिजाइन और विकास इंस्टीट्यूट ऑफ साइटोलॉजी एंड प्रिवेंटिव ऑकोलॉजी (आईसीपीओ) नोएडा ने किया है। यह संस्थान आईसीएमआर के प्रमुख संस्थानों में से है और महामारी विज्ञान और स्वदेशी एचपीवी टीके के विकास में शामिल रहा है। आजाद ने आईसीएमआर और आईसीपीओ के वैज्ञानिकों को गर्भाश्य ग्रीवा कैंसर की आरंभिक अवस्थाओं में जांच के लिए किफायती और सस्ते उपकरण को डिजाइन और विकसित करने के लिए बधाई दी। इस अवसर पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री संतोष चौधरी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री एएच खान चौधरी, सचिव (स्वास्थ्य) के देसीराजू, लव वर्मा सचिव, (डीएसी) और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक भी उपस्थित थे।
भारत के ग्रामीण और अर्द्ध शहरी हिस्सों में अब भी गर्भाश्य ग्रीवा कैंसर की वजह से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। एक अनुमान के अनुसार हर साल गर्भाश्य ग्रीवा कैंसर के करीब 13200 मामलों का पता चलता है और हर साल इसके कारण 74000 मौते होती हैं। वर्ष 2010 में कैंसर की वजह से हुई कुल मौतों में से नौ फीसदी मौतें इसी की वजह से हुईं। इस उपकरण से गर्भाश्य ग्रीवा कैंसर का प्रारंभिक अवस्थाओं में पता चल पाना आसान होगा और इस प्रकार उसका इलाज ज्यादा प्रभावी रूप से हो सकेगा। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 2010 में 21 राज्यों के 100 चुनिंदा जिलों में प्रयोग के तौर पर कैंसर, मधुमेह, सीवीडी और मस्तिष्काघात की रोकथाम और नियंत्रण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया था। इसका उद्देश्य कैंसर, मधुमेह और सीवीडी की वजह से एनसीडी पर तेजी से बढ़ते बोझ की चुनौती से निपटना था।
गर्भाश्य ग्रीवा कैंसर की जांच की सुविधा सिर्फ क्षेत्रीय कैंसर संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों में ही उपलब्ध है। इस समय जो उपकरण इस्तेमाल में लाया जाता है, वह काफी महंगा है। इसके परिणामस्वरूप बहुत से मेडिकल कॉलेज उसे खरीद नहीं पाते। नया उपकरण काफी सस्ता होगा और उसे पहले जिला और उप-जिला समुदाय स्वास्थ्य केंद्रों और उसके बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचाया जाएगा। इस अवसर पर आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ वीएम कटोच ने कहा कि इससे देश की बहुसंख्य महिलाओं को लाभ होगा और गर्भाश्य ग्रीवा कैंसर की वजह से अस्वस्थता और मौतों की संख्या में कमी लाई जा सकेगी, जो फिलहाल इस रोग के प्रारंभिक अवस्थाओं में पकड़ में न आने की वजह से बहुत ज्यादा है। इस उपकरण की सटीकता और प्रभाव का आकलन पिछले दो वर्षों के दौरान पांच क्षेत्रों में परीक्षणों के माध्यम से किया गया।