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Sunday 5 January 2014 07:15:51 PM
झज्जर-हरियाणा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने झज्जर, हरियाणा में विश्व परमाणु ऊर्जा सहभागिता केंद्र और राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की आधार शिला रखने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में कहा है कि विश्व परमाणु ऊर्जा सहभागिता केंद्र की स्थापना के लिए देश का यह पहला कदम है, इससे हरियाणा को एक ऐसी संस्था मिलने जा रही है, जो महफूज़ और टिकाऊ परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में काम करेगी, इसके अलावा राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की स्थापना के लिए भी काम शुरू कर दिया गया है, यह संस्थान हरियाणा में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के परिसर की स्थापना की एक बड़ी परियोजना का हिस्सा होगा और देश में कैंसर की बीमारी से संबंधित खोज और उसके इलाज की सुविधाओं के लिए एक उत्कृष्टता केंद्र के तौर पर काम करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस इलाके में रहने वाले लोगों को इस परियोजना से सीधा लाभ मिलेगा, इसके लिए जिन लोगों की जमीनें ली गई हैं, उन्हें मुआवजे के अलावा 33 साल तक वार्षिक भुगतान मिलता रहेगा, इस तरह एक लंबे वक्त के लिए उन्हें आमदनी का ज़रिया उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों के फायदे के लिए इस केंद्र के आस-पास के क्षेत्र में 10 करोड़ रूपये की लागत से कई परियोजनाएं लागू की जाएंगी, इनमें लड़कियों के लिए एक कॉलेज, विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए स्कूल, भिंडवास पक्षी विहार का विकास, स्वास्थ्य सुविधाएं, खारे पानी को साफ करने की परियोजना और कंप्यूटर प्रशिक्षण की व्यवस्था शामिल है, इसके अलावा स्थानीय नौजवानों के लिए एक विशेष कार्यक्रम भी चलाया जाएगा, जिसके ज़रिए उन्हें पानी, ऊर्जा और वातावरण जैसे बुनियादी क्षेत्रों में तकनीकी जानकारी मिल सकेगी, परमाणु ऊर्जा विभाग ने इस परियोजना को लागू करने के लिए कड़ी मेहनत की है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के झज्जर परिसर में जो राष्ट्रीय कैंसर संस्थान बनाया जाएगा, वह स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भारत सरकार की सबसे बड़ी अकेली परियोजना है। इसे साढ़े तीन सालों में करीब 2000 करोड़ रुपए की लागत से लागू किया जाएगा, देश में कैंसर रोग से संबंधित अनुसंधान के लिए यह एक बहुत बड़ा कदम साबित होगा और उत्तरी भारत में कैंसर के इलाज में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। राष्ट्रीय कैंसर संस्थान में 710 बिस्तरों की सुविधा होगी और कुल मिलाकर 550 डॉक्टर और 2200 नर्स यहां स्टाफ काम कर पाएगा। भारत में कैंसर, दिल की बीमारियां और मधुमेह जैसी बीमारियों का बोझ तेजी से बढ़ रहा है। इसके मद्देनजर कैंसर रोग से संबंधित अनुसंधान और उसके इलाज के लिए एक संस्थान की ज़रूरत शायद इससे ज्यादा पहले कभी नहीं रही। वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन शुरू किया गया था, जिसने देश के ग्रामीण इलाकों में बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल को नई रफ्तार दी है। ये दोनों परियोजनाएं बुनियादी तौर पर देश और जनता के विकास से जुड़ी हुई हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये दोनों परियोजनाएं, हमारे देश के लिए बहुत महत्व रखती हैं और हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा और दिपेंदर सिंह हुड्डा को इन दोनों संस्थानों की स्थापना के लिए और ख़ास तौर पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के दूसरे परिसर के विकास के लिए 300 एकड़ ज़मीन उपलब्ध कराई है। ये परियोजनाएं न सिर्फ देश के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण होंगी। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे देश की आबादी बढ़ेगी, देश में शहरीकरण बढ़ेगा और आमदनी भी बढ़ेगी, देश में बिजली की मांग भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि हमें अपने देश के आर्थिक विकास के लिए बिजली की आपूर्ति को तेजी से बढ़ाना होगा, ऐसा करके ही हम अपने कारखानों, किसानों के सिंचाई पंपों और लोगों के घरों में रोशनी के लिए बिजली उपलब्ध करा सकेंगे, कोयला, पानी, गैस, सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का इस्तेमाल करने के साथ-साथ हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हम प्रदूषण पर काबू पा लें, जिससे हमारे वातावरण को कम से कम नुकसान पहुंचे।
मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत, दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है, जिन्होंने परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने की प्रौद्योगिकी का विकास कर लिया है और परमाणु ईंधन बनाने की काबिलियत भी हासिल कर ली है, आने वाले 10 साल के अंदर हम 27000 मेगावाट से ज्यादा परमाणु ऊर्जा बनाने की क्षमता प्राप्त कर लेने का हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा बनाने की अपनी क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ यह भी जरूरी है कि वह सामग्री जिससे परमाणु ईंधन तैयार होता है, महफूज़ रहे और कभी-भी अपराधियों और आतंकवादियों जैसे ग़लत लोगों के हाथ न लग पाए और यह भी जरूरी है कि हमारे परमाणु ऊर्जा संयंत्र हिफाज़त के सबसे अच्छे तरीकों को अपनाएं। उन्होंने कहा कि भारत में हमने परमाणु ऊर्जा संयंत्र और परमाणु सामग्री की हिफाज़त के लिए बेहतरीन तरीकों को अपनाया भी है, जापान में 2011 में फुकुशिमा के हादसे के बाद हमने अपने परमाणु संयंत्र के डिजाइन और प्रबंधन में सुरक्षा के कई नए उपाय किये हैं, आज हम यह बात पूरे इत्मीनान से कह सकते हैं कि हमारे सुरक्षा मानकों की तुलना दुनिया के सबसे अच्छे सुरक्षा मानकों से की जा सकती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम परमाणु ऊर्जा संयंत्र और परमाणु सामग्री की सुरक्षा और भी मज़बूत करने की कोशिश करते रहेंगे, इससे अपनी ऊर्जा नीति पर हम आत्मविश्वास के साथ अमल करके आगे बढ़ पाएंगे, इस काम में विश्व परमाणु ऊर्जा सहभागिता केंद्र की एक महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी, यह पूरी तरह चालू हो जाने पर, ऐसी परमाणु प्रणालियों की खोज और डिजाइन के लिए काम करेगा, जो सुरक्षित और टिकाऊ हों और जिनका ग़लत लोगों के हाथों में पड़ने का कोई खतरा न हो। उन्होंने कहा कि यह केंद्र परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में मानव संसाधनों के विकास के मकसद से भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों दोनों को शामिल करके कार्यशालाएं और संगोष्ठियां भी आयोजित करेगा, अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय वैज्ञानिकों को एक साथ लाकर यह केंद्र उनके लिए अनुसंधान और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा और इस तरह से विश्व परमाणु ऊर्जा सहभागिता को बढ़ावा देगा, इन सब मकसदों को पूरा करने के लिए हम अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एंजेसी और रूस, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।