स्वतंत्र आवाज़
word map

हेलीकॉप्‍टर 'गरुड़ वसुधा' खोजेगा ‌खनिज संपदा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 23 January 2014 10:21:10 AM

helicopter garuda vasudhas

नई दिल्‍ली। खान मंत्री दिनशा पटेल ने कल वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के उन्‍नत हल्‍के हेलीकॉप्‍टर ‘गरुड़ वसुधा’ को राष्‍ट्र को समर्पित किया। यह हेलीकॉप्‍टर खासतौर से देश में छिपी हुई ‌खनिज संपदा की खोज और उसकी प्रकृति के कार्य करेगा। हेलीकॉप्‍टर में हेलीबॉर्न जिओफिजिकल सर्वेक्षण प्रणाली (एसजीएसएस) लगी है। यह हेलीकॉप्‍टर हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड (एचएएल) कांप्‍लेक्‍स बंगलौर में तैयार किया गया। खान मंत्री ने बंगलौर कांप्‍लेक्‍स में 42 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले जीएसआई के सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस लेबोरेट्री भवन की भी आधारशिला रखी। इस अवसर पर दो पुस्तिकाएं ‘रिमोट सेंसिंग एंड एरियल सर्वेज’ तथा ‘हेलीबॉर्न जियो‍ फिजिकल सर्वे सिस्‍टम’ का लोकार्पण भी किया गया। वीडियो कांफ्रेंसिंग में खान मंत्रालय तथा रक्षा उत्‍पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय एवं जीएसआई के वरिष्‍ठ अधिकारी उपस्थित थे।
‘गरुड़ वसुधा’ वस्‍तुत: ‘ध्रुव’ श्रेणी का हेलीकॉप्‍टर है, जिसे एचएएल तथा एचजीएसएस ने स्‍वदेशी तकनीक से निर्मित किया है, जिसमें चार एयरो जियो फिजिकल सेंसर अर्थात टाइम डोमेन इलेक्‍ट्रो मैग्‍नेटिक, मैग्‍नेटिक, स्‍पैक्‍ट्रोमैट्रिक तथा ग्रेवीमैट्रिक के साथ-साथ डाटा संग्रह प्रणाली लगी है, जिसे मेसर्स पीको एनवायरोटेक इन कारपोरेशन कनाडा से मंगाया गया है। सेंसर प्रणाली की स्‍थापना तथा समन्‍वय का कार्य एचएएल ने किया है। एचजीएसएस की कुल लागत करीब 63 करोड़ रुपये आई है। इस अवसर पर खान मंत्री दिनशा पटेल ने बताया कि जीएसआई इस हेलीकॉप्‍टर का प्रयोग छुपी हुई खनिज संपदा की खोज के लिए सघन सर्वेक्षणों के लिए करेगा।
हेलीकॉप्‍टर हेलीबॉर्न जियोफिजिकल सर्वे प्रणाली (एचजीएसएस) की स्‍टेट ऑफ द आर्ट विशेषता के चलते देश में गहराई में स्थित तथा छिपे खनिज भंडारों की खोज करने तथा एयरो जियोफिजिकल सर्वेक्षण में समर्थ बनाने में उपयोगी होगा। अब वह क्षण आ गया है, जब एरियल और हेलीबॉर्न सर्वे करने के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के रिमोट सेंसिंग तथा एरियल सर्वे विंग से इनका एक साथ इस्‍तेमाल किया जाएगा तथा देश में खनिज संसाधनों को खोज निकालने में इनका प्रभावी ढंग से इस्‍तेमाल होगा और इससे मूल्‍यवान विदेशी मुद्रा की बचत हो पाएगी। वर्तमान में फरीदाबाद, कोलकाता और बंगलौर के शहरों में जीएसआई के तीन सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस मौजूद हैं।
जीएसआई के सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस बंगलौर की स्‍थापना आधुनिकीकरण कार्यक्रम का एक हिस्‍सा है। इसका उद्देश्‍य विविध भूवैज्ञानिक अध्‍ययन संपंन करने के लिए स्‍टेट ऑफ द आर्ट से सुसज्जित उच्‍च आधुनिक एवं अत्‍याधुनिक साजो-सामान का निर्माण करना है। इस केंद्र को इलेक्‍ट्रॉन प्रोव माइक्रो विश्‍लेषक, इनडक्टिवली युक्‍त पलास्‍मा, मास स्‍पैक्‍ट्रोमीटर, एक्‍सरे फ्ल्‍यूरोसेंस, स्‍पैक्‍ट्रोमीटर, एक्‍सरे डिफरेक्‍शन स्‍पैक्‍ट्रोमीटर, रमन स्‍पैक्‍ट्रॉस्‍कॉपी, ऐटॉमिक एब्‍जॉर्वसन स्‍पैक्‍ट्रोमीटर से लैस किया जाएगा। इस केंद्र में फ्लयूड एन्‍क्‍लूजन अध्‍ययन, पैट्रोलॉजिकल अध्‍ययन, जियोफिजिकल डाटा विश्‍लेषण आदि की भी सुविधाएं होंगी। सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस खनिज की खोज एवं अनुसंधान के लिए प्रयोगशाला सहायता की कमी को बड़े पैमाने पर दूर करेगा।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]