स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 24 January 2014 11:06:54 PM
नई दिल्ली। लोकपाल के गठन की दिशा में पहला कदम उठाते हुए सरकार ने लोकपाल के अध्यक्ष और आठ सदस्यों का पद भरने के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। लोकपाल के आठ सदस्यों में से चार न्यायिक सदस्य होंगे और बाकी चार पदों पर अन्य सदस्य होंगे। लोकपाल के पचास प्रतिशत सदस्यों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और महिलाएं शामिल हैं। सरकार ने उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रारों, राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों और केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों के सचिवों के पास इन रिक्त स्थानों को भरने के सबंध में जानकारी भेजी है और योग्य उम्मीदवारों के नामांकन 7 फरवरी, 2014 तक मंगवाने को कहा है।
नई व्यवस्था देश को एक प्रभावकारी भ्रष्टाचार निरोधक ढांचा देने की दिशा में संसद और सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। ऐतिहासिक लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 संसद ने पारित किया था, जिससे केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त गठित करने का मार्ग प्रशस्त हो गया। विश्वास किया जाता है कि नया कानून उच्च स्तरों पर भ्रष्टाचार सहित सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों से निपटने के लिए एक तंत्र प्रदान करेगा। इस अधिनियम की एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि इसने सिविल सोसाइटी सहित सभी हितधारकों के साथ बार-बार विचार-विमर्श के बाद वर्तमान आकार लिया है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम एकमात्र ऐसा कानून है, जिस पर संसद के बाहर और भीतर इतने बड़े पैमाने पर विचार-विमर्श किया गया है और इसके कारण भ्रष्टाचार से निपटने के लिए लोकपाल जैसी एक प्रभावकारी संस्था की आवश्यकता के बारे में जनता के मन मे जागरूकता पैदा हुई है।
सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक कुछ और महत्वपूर्ण लंबित कानूनों जैसे व्हीसल ब्लोअर सुरक्षा विधेयक 2011, विदेशी रिश्वतखोरी विधेयक और निजी क्षेत्र में होने वाला भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में संशोधन तथा सामान और सेवा की निर्धारित समय पर सुपुर्दगी का अधिकार विधेयक को संसद में जल्द लाने का फैसला किया है। भ्रष्टाचार अथवा जान-बूझकर सत्ता के दुरूपयोग अथवा अधिकारों का जान-बूझकर दुरूपयोग, जिसके कारण सरकार को नुकसान हुआ हो अथवा किसी सरकारी अधिकारी द्वारा अपराध की जानकारी देने वाले व्यक्ति को वैधानिक संरक्षण देना आवश्यक है, के लिए व्हीसल ब्लोअर सुरक्षा विधेयक, 2011 को लोकसभा ने 27 दिसंबर, 2011 को पारित किया और अब यह राज्यसभा के समक्ष है।
विदेशी सरकारी अधिकारियों और सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन के अधिकारियों को रिश्वत देने से रोकने संबंधी विधेयक, 2011 मार्च 2011 में लोकसभा में पेश किया गया। विधेयक के बारे में संसद की कानून और न्याय तथा कार्मिक स्थाई समिति से संबंधित विभाग ने अपनी रिपोर्ट दी और समिति की रिपोर्ट में शामिल अधिकतर सिफारिशों को सरकार ने स्वीकार कर लिया। इस विधेयक पर संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान चर्चा नहीं हो सकी। सरकार ने भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों के गैर-कानूनी तरीके से हासिल संपत्ति को जब्त करने और दंड के प्रावधानों को शामिल करके भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम,1988 में संशोधन करने का फैसला किया है। इसके लिए 19 अगस्त, 2013 को संसद में एक विधेयक पेश किया गया और इसे कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय से जुड़ी संसद की स्थाई समिति के पास भेज दिया गया है।
सरकार ने नागरिकों को अधिकार संपन्न बनाने और शासन में जवाबदेही तथा पारदर्शिता बढ़ाने के लिए ‘सामान और सेवा की निर्धारित समय पर सुपुर्दगी का नागरिकों का अधिकार और उनकी शिकायतों के निपटारे का विधेयक’ दिसंबर 2011 में लोकसभा में पेश किया। कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय से संबंधित संसद की स्थाई समिति ने विधेयक के बारे में संसद को अपनी रिपोर्ट दे दी और यह विधेयक अभी लोकसभा में लंबित है।