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Thursday 03 January 2013 01:59:08 AM
नई दिल्ली। चालू खाता घाटा (कैड) के बारे में केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने संरक्षित भंडार से निकासी के बिना कैड के वित्त पोषण का भरोसा दिया है और स्वर्ण की मांग कम करने की अपील की है। उन्होंने बताया कि चालू वर्ष (2012-13) के प्रथमार्थ में चालू खाता घाटा 38.7 विलियन अमरीकी डॉलर या जीडीपी का 4 प्रतिशत है।
एक वक्तव्य में उन्होंने कहा कि कैड में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले इस प्रकार हैं- निर्यात में 7.4 प्रतिशत की तेज गिरावट दर्ज की गई है, जबकि आयात में 4.3 प्रतिशत की मामूली गिरावट दर्ज की गई, जिससे व्यापार घाटा बढ़ा है। आयात की जाने वाली वस्तुओं में स्वर्ण का आयात 20.25 विलियन अमरीकी डालर का रहा। इसकी भरपाई कुछ हद तक सेवाओं के निर्यात में 4.2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी से और फलस्वरूप सेवाओं में अधिक से हुई, जो 29.6 विलियन अमरीकी डॉलर का रहा। इसके साथ ही 32.2 विलियन अमरीकी डॉलर का भुगतान भी हुआ।
कैड बढ़ने के बावजूद सकारात्मक पहलू यह रहा कि कैड का वित्त पोषण सुरक्षित भंडार से निकासी के बिना हुआ। यह एफडीआई (12.8 विलियन अमरीकी डॉलर) और एफआईआई (6.2 विलियन अमरीकी डॉलर) के उचित मात्रा में प्रवाह से संभव हो सका। इसके अलावा विदेशी वाणिज्यिक ऋण राशि 1.7 विलियन अमरीकी डॉलर रही। इसका परिणाम यह हुआ कि हमें विदेशी मुद्रा भंडार से निकासी नहीं करनी पड़ी और वास्तव में विदेशी मुद्रा भंडार में 0.4 विलियन अमरीकी डॉलर की बढ़ोत्तरी हुई। जैसा स्पष्ट है कि आयात की गई वस्तुओं में स्वर्ण का बहुत बड़ा भाग है और इसका चालू खाता पर भारी बोझ रहा।
वित्तमंत्री ने कहा कि मान लीजिए सोने का आयात वास्तविक स्तर का आधा हुआ होता तो विदेशी मुद्रा भंडार में 10.5 विलियन अमरीकी डॉलर की बढ़ोत्तरी होती, इसीलिए मैं लोगों से अपील करूंगा कि वे स्वर्ण की मांग में कमी लाएं क्योंकि इससे स्वर्ण का भारी मात्रा में आयात होता है, मैं यह कहना चाहता हूं कि अन्यथा हमारे पास स्वर्ण आयात और महंगा करने के अलावा और कोई चारा नहीं रहेगा। यह मामला सरकार के विचारधीन है।
उन्होंने कहा कि कैड चिंता का विषय है, लेकिन एफडीआई, एफआईआई और ईसीबी के कारण कैड का वित्त पोषण करने में हम समर्थ हैं, मैं एक बार फिर एफडीआई और एफआईआई के महत्व पर जोर देना चाहूंगा। भारत में विदेशी धन का लाना आर्थिक जरूरत है, हालांकि यह वर्ष पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक कैड के साथ समाप्त हो रहा है, लेकिन विश्वास है कि चालू खाता घाटा का वित्त पोषण सुरक्षित भंडार से निकासी के बिना करने में समर्थ होंगे।