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Saturday 22 February 2014 10:20:04 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नई दिल्ली में आइएएस परिवीक्षाधीन अधिकारियों को संबोधित करते हुए जवाहरलाल नेहरू का यह कथन प्रस्तुत किया कि आइएएस अधिकारियों का भारत की जनता की सेवा करना एक विशेषाधिकार है और भारत की उस सेवा का मतलब अनिवार्य रूप से, अज्ञानता, गरीबी, बीमारी से पीड़ित लोगों की सेवा करना है। उन्होंने कहा कि उनको व्यापक गरीबी, अज्ञानता और बीमारी की जीर्ण समस्या से निपटने में योगदान का अनोखा अवसर मिला है, जिससे सदियों से भारत की जनता पीड़ित है, स्वतंत्रता के बाद से इन व्याधियों से निपटने में काफी प्रगति हुई है, लेकिन यह स्वीकार करने वाला मैं पहला व्यक्ति हूंगा कि अभी बहुत कुछ करना बाकी है। उन्होंने कहा कि अब भी ऐसे बहुत लोग हैं, जिनकी आंखों में आंसू हैं और हमारा काम तब तक पूरा नहीं होगा, जब तक हम अपने देश के प्रत्येक पीड़ित नागरिक की आंख से आंसू नहीं पोंछ देते, आपको सामाजिक और आर्थिक बदलाव की प्रक्रिया-सामाजिक एवं आर्थिक विकास में योगदान का अनोखा अवसर मिला है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि विकास भारत जैसे गरीब देश की मुख्य आवश्यकता है और आप जब प्रशिक्षण के लिए जिलों में जाएंगे तो वहां व्यापक गरीबी के मुद्दों से निपटने के जरिए अपना प्रशिक्षण पूरा करने का महत्वपूर्ण अवसर मिलेगा, यकीनन यह बहुत रूढ़ोक्ति है कि विकास के लिए भारी निवेश की जरूरत होती है, हम आज विकास की प्रक्रियाओं में बहुत भारी मात्रा में निवेश करने में समर्थ हैं, हमारे पास अपने सकल घरेलू उत्पाद के करीब 35 प्रतिशत की निवेश दर है, हमारे यहां सकल घरेलू उत्पाद की करीब 30-32 प्रतिशत बचत दर है और वह सब हमें सामाजिक और आर्थिक दोनों तरह के विकास की समस्याओं से जल्दी निपटने की क्षमता देती हैं, आप अपने जीवन के नए दौर में व्यावहारिक धरातल सामाजिक और आर्थिक बदलाव की प्रक्रियाओं में भागीदारी के जरिए भारत के लोगों की सेवा करें और भारत की जटिलता और विविधता के बारे में ज्यादा से ज्यादा सीखें, क्योंकि आज ऐसी बहुत सी चुनौतियां हैं, जो विकास की गति को प्रभावित कर सकती हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून और व्यवस्था की स्थिति राज्य की मुख्य चिंता है, इसलिए जो कुछ भी कानून और व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ता है, वह आपका ध्यान भी आकर्षित करता है, कानून और व्यवस्था के क्षेत्र में कौन सी चुनौतियां हैं? आप सब जानते हैं, देश के कुछ भागों में विद्रोह को बंद करना होगा, हमें इसे जड़ से उखाड़ने में कड़ी मेहनत करनी होगी, देश के कुछ भागों में, आतंकवाद साधारण लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है, हमें आतंकवाद की समस्या से निपटना होगा और आतंकवाद से छुटकारा पाना होगा, सांप्रदायिक हिंसा के बारे में भी चिंतित होना है, जो समय-समय पर अपना सर उठाती है, इसलिए आतंकवाद हो या नक्सलवाद या फिर सांप्रदायिकता, उन्हें बढ़ाने वाली ताकतों को समझना होगा, जो देश में इन असामान्य प्रवृत्तियों को सर उठाने देती हैं, प्रशासक के रूप में हम यह सुनिश्चित करने का काम कर सकते हैं कि आतंकवाद, सांप्रदायिक हिंसा, विद्रोह और वामपंथी उग्रवाद देश के सामाजिक और आर्थिक विकास की प्रक्रिया को पटरी से न उतार दे।
उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था से भिन्न मुद्दों के संबंध में हमारा कार्य यह सुनिश्चित करना है कि विकास के फायदे समान रूप से उपलब्ध हों, हमारा देश महान विविधता का देश है, महान जटिलता का देश है और इसलिए विकास की प्रक्रियाओं को विविधता की इन प्रक्रियाओं से भी निपटना होगा, इस संदर्भ में हमें वंचित वर्गों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन-जातियों, अल्पसंख्यकों की समस्याओं पर विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे मुद्दे भी हैं, जो हमें स्वतंत्रता के समय से ही जकड़े हुए हैं, हमने महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत कुछ करना होगा कि विकास के फायदे बराबर उपलब्ध कराए जाएं, यह सुनिश्चित करना कि विकास सतत हो, इस तरह कि पर्यावरणीय समस्याएं भी सतत विकास जितने महत्व के समान ही दूर की जाएं, इसलिए आपको हमारे दौर के कुछ प्रमुख मुद्दों से निपटने का अनोखा अवसर मिला है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में यह रोमांचक दौर है, खासतौर से विकास के मामले में जो जटिल प्रक्रिया है और विकास की प्रक्रिया को समझना अपने आप में चुनौतीपूर्ण काम है, लेकिन व्यावहारिक धरातल पर इस प्रक्रिया से जुड़े लोगों को बेशक बहुत विशेषाधिकार मिले हैं और आप सचमुच वही विशेषाधिकार संपन्न लोग हैं, जिन्हें विकास की प्रक्रिया में योगदान करने की जिम्मेदारी मिली है, विकास ऐसी प्रक्रिया है, जो बराबरीपूर्ण होनी चाहिए, ऐसी प्रक्रिया है, जो सतत होनी चाहिए, ऐसी प्रक्रिया, जो हमारे समाज के विविध वर्गों के बीच क्षेत्रीय विषमताओं को कम करती है, इसलिए मैं कामना करता हूं कि आप इन चुनौतियों से बहुत बेहतर ढंग से निपटें। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि मुझे परिवीक्षाधीन अधिकारियों में बड़ा हिस्सा अब महिलाएं होती हैं, महिलाएं हमारी आबादी का आधा हिस्सा हैं और ऐसा कोई विकास नहीं हो सकता जो हमारी महिलाओं की बेहतरी पर विशेष ध्यान नहीं देता हो, हाल के वर्षों में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं केंद्रीय सेवाओं में आ रही हैं।