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Wednesday 26 February 2014 09:27:39 PM
नई दिल्ली। खरीफ अभियान पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आज शुरू हुआ, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के नीति निर्माताओं और वैज्ञानिकों में विचार-विमर्श हुआ कि आगामी खरीफ मौसम में विभिन्न फसलों का अधिकतम उत्पादन कैसे प्राप्त किया जाए। खरीफ फसलों का देश के खाद्यान्न में लगभग आधा योगदान है। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कृषि एवं खाद्य प्रसंकरण उद्योग मंत्री शरद पवार ने तिलहनों और मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाने में आ रही चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया, क्योंकि देश ने अनेक मुख्य फसलों का रिकार्ड उत्पादन प्राप्त कर लिया है।
कृषि मंत्री ने झांसी में रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थापित किए जाने की घोषणा भी की। उन्होंने बताया कि संसद ने पिछले सप्ताह रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय विधेयक-2012 पारित किया था। विश्वविद्यालय के कार्य क्षेत्र की सीमा बुंदेलखंड क्षेत्र में होगी, जिसके तहत उत्तर प्रदेश के सात और मध्य प्रदेश के छह जिले आएंगे। आरंभ में दो महाविद्यालय झांसी में स्थापित किए जाएंगे, जबकि बाद में दो अन्य महाविद्यालय मध्य प्रदेश में खोले जाएंगे। उत्तर प्रदेश में कृषि एवं बागवानी तथा वन महाविद्यालय स्थापित किए जाएंगे, जबकि पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान तथा मत्स्यकी कॉलेज की स्थापना मध्य प्रदेश में की जाएगी।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की स्थापना का मुख्य उद्देश्य कृषि और संबंधित विज्ञानों की विभिन्न शाखाओं में शिक्षा प्रदान करना, कृषि क्षेत्र में शोध कार्य करना, बुंदेलखंड क्षेत्र में विस्तारित शिक्षा के कार्यक्रम लागू करना और राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों के साथ संपर्कों को बढ़ाना है। उन्होंने राष्ट्रीय कृषि शोध संस्थान के वार्षिक कृषि मेला-पूसा कृषि मेला का भी उद्घाटन किया। इसमें कृषि वैज्ञानिकों के अलावा बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया। इसे ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन ‘आदित्य’ ने भी संबोधित किया।
शरद पवार ने कहा कि दालों और तिलहनों का उत्पादन पिछले कुछ वर्षों के दौरान रिकार्ड स्तर पर पहुंचा है। देश में 2012-13 के दौरान 73,840 रुपये मूल्य के खाद्य तेलों का आयात हुआ है, क्योंकि मांग उत्पादन से अधिक है, इसलिए उत्पादकता और बेहतर विपणन सहायता उपलब्ध करा कर उत्पादकता में सुधार लाने की आवश्यकता है। किसानों को फसलों का उत्पादन करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने की भूमिका का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण करने की विधि पर ध्यान देने की जरूरत है। शरद पवार ने कृषि विकास के लिए जैव-प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार की वचनबद्धता दोहराते हुए कहा कि हमें यह तथ्य स्वीकार करना चाहिए कि कृषि का क्षेत्र बढ़ाने की बहुत कम संभावना है, सीमित भूमि से ही खाद्यान्न, फल और सब्जियों की बढ़ती हुई मांग को पूरा करना है। कृषि मंत्री ने मानसून मौसम में कम बारिश होने के मामले में 500 जिलों के लिए तैयार आकस्मिक योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी।
कृषि और खाद्य प्रसंकरण उद्योग राज्य मंत्री तारीक अनवर ने कहा कि सम्मेलन के मुख्य विषयों के बारे में विस्तृत चर्चा करने के लिए राज्यों को चार समूहों में समूहित किया गया है। सम्मेलन में फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए समग्र योजना, जल, उर्वरकों आदि के उपयोग के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी अपनाने, साधारण से कम मानसून होने की स्थिति से निपटने के लिए आकस्मिक योजना और दालों, तिलहनों और मोटे अनाजों के विपणन से संबंधित मामलों पर विचार किया जाएगा।