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Tuesday 4 March 2014 02:43:51 AM
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना में हाल के वर्षों के थल, वायु, जल तीनों आयामों में बड़ी संख्या में परिष्कृत (उन्नत) प्लेटफॉर्म के शामिल होने से परिचालन क्षमता में भारी इजा़फा हुआ है। संचालन में आई तीव्रता से इसकी जटिलता भी बढ़ी है, जिससे अनेक अवसरों पर सैनिकों और सामग्री के प्रयोग में गहन परिश्रम लगता है, ऐसे में सुरक्षा प्रक्रिया का कड़ाई से पालन अनिवार्य हो जाता है। भारतीय नौसेना इस तथ्य के प्रति संवेदनशील है कि सभी नौसैनिक अभियानों में सुस्पष्ट सुरक्षा पद्धतियों का उचित ढंग से पालन किया जाए। इसी के चलते अधिकारियों, नौसेना के पारंपरिक अभियानों में 'सुरक्षा संस्कृति' जीवन का ढंग बन गई है। उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ उपाय सुझाए और लागू किए गए हैं।
नौसैनिक अधिकारियों में अपने कार्यकाल के सभी दौर में शुरू से ही 'सुरक्षित रहने' की सोच विकसित की जाती है। जहाजों और पनडुब्बियों की मरम्मत अवधि के दौरान (यह अवधि-महीनों से सालों के बीच हो सकती है) बंदरगाहों और समुद्र में सुरक्षा के सभी पहलुओं की जांच के बाद ही इन्हें संचालन के योग्य घोषित किया जाता है। कार्य के दौरान सुरक्षा को भी महत्वपूर्ण पहलू मानकर साल में अथवा दो साल में एक बार इनकी जांच की जाती है। फ्लैग ऑफिसर सी ट्रेनिंग (एफओएसटी) विशेषज्ञ दल के अधिकारी और चालक (सेलर) भी जांच करते हैं। इसी तरह की सुरक्षा जांच पनडुब्बियों, वायुसेना की टुकड़ियों और हवाई ठिकानों से संबंद्ध संचालन अधिकारी भी करते हैं। सुरक्षा मानकों की जांच लेखा (ऑडिट) और निरीक्षण के दौरान कमांड स्टॉफ, वार्षिक निरीक्षण के दौरान संचालन अधिकारी करते हैं।
सुरक्षा संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सुरक्षा स्तर अधिकारियों को शामिल करते हुए एक फ्रेमवर्क जारी किया गया, जिसमें क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं। ये सुरक्षा जागरूकता नीतियों और दुर्घटनाओं के विश्लेषण की सूचना और विभिन्न सुरक्षा उपाय जारी करते हैं। हाल ही की पनडुब्बियों की दुर्घटनाओं के बाद सुरक्षा-मानकों की विस्तृत पड़ताल, हथियारों से संबद्ध सुरक्षा प्रणालियों और संचालन मानक प्रक्रिया के लेखा-विश्लेषण के आदेश सभी परिचालित पनडुब्बियों के लिए दिए गए हैं। किसी भी दुर्घटना की संपूर्ण जांच ना केवल गलतियों को खोजने के उद्देश्य से बल्कि सभी जटिल पक्षों, सामग्री और प्रशिक्षण पहलुओं पर की जाती है, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचा जा सके।