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Tuesday 1 July 2014 02:40:21 PM
अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव में अपनी वैवाहिक स्थिति का खुलासा न कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपराध तो किया था, किंतु ऐसे मामलों में निधारित समय सीमा के भीतर प्राथमिकी दर्ज नहीं होने के कारण इस संबंध में दायर एक याचिका पर विचार नहीं करते हुए अहमदाबाद की अदालत ने उसका अंतिम रूप से निपटारा कर दिया। अहमदाबाद (ग्रामीण) के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमएम शेख की अदालत में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता निशांत वर्मा ने यह याचिका दायर की थी, जिसमें निशांत वर्मा ने वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन-पत्र में अपनी वैवाहिक स्थिति ‘छिपाने’ का जिक्र करते हुए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी।
अदालत ने नरेंद्र मोदी की वैवाहिक स्थिति पर दायर याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि तथ्यों का खुलासा न करने से जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 (ए) (3) के तहत अपराध किया गया, किंतु सीआरपीसी की धारा 468 (2) (बी) के मुताबिक जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 (ए) (3) के उल्लंघन से जुड़े मामलों में अपराध की शिकायत एक साल के भीतर करनी होती है, चूंकि कथित अपराध होने के एक साल चार महीने के बाद शिकायत दर्ज कराई गई है, ऐसे में शिकायत का संज्ञान नहीं लिया जा सकता और अब प्राथमिकी नहीं दर्ज की जा सकती।’ ध्यान रहे कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 (ए) (3) में नामांकन दाखिल करते वक्त सूचना छिपाने पर दंड का प्रावधान है और इसमें दोषी पाए जाने पर छह महीने तक की जेल की सजा हो सकती है।
अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 468 ऐसे गैर-गंभीर मामलों पर लागू होती है, जिनमें तीन साल से ज्यादा की जेल की सजा का प्रावधान नहीं हो। सीआरपीसी की धारा 468 में समय सीमा खत्म होने के बाद कोई भी अदालत इस तरह के अपराध का संज्ञान नहीं ले सकती। धारा 468 (2) (बी) के मुताबिक, जिन मामलों में एक साल से ज्यादा की जेल की सजा नहीं होती उनमें घटना के एक साल के भीतर शिकायत दर्ज करानी होती है। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 (ए) (3) के उल्लंघन के दोषी को अधिकतम छह महीने जेल की सजा हो सकती है।
याचिकाकर्ता ने रानिप पुलिस थाने में नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया था, जिसे नहीं माना गया था, तब फिर याचिकाकर्ता इस साल अप्रैल में अदालत गया और चुनावी हलफनामे में नरेंद्र मोदी के खिलाफ वैवाहिक स्थिति छिपाने के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया। समय सीमा बीत जाने पर यह मामला खत्म हो गया है। वड़ोदरा लोकसभा सीट से अपना नामांकन दाखिल करते हुए इस नरेंद्र मोदी ने इस बार खुलासा किया कि उनकी पत्नी का नाम जशोदाबेन है, पहले वे जीवनसाथी के कॉलम को खाली छोड़ दिया करते थे। याचिकाकर्ता के वकील के आर कोष्टी ने कहा है कि वह इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे।