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'पूजा' से खुलते हैं और भी उम्मीदों के द्वार!

हरियाणा सरकार के लिए पूजा बन सकती है एक विज़न

पिता का सहारा और दूसरी लड़कियों के लिए है प्रेरणा

राजकुमार अग्रवाल

Friday 6 March 2015 12:06:02 AM

pooja

कैथल। हरियाणा में कैथल की पूजा भी उन लड़कियों और महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई है, जो अपनी ख़ुद की इच्छाशक्ति, कड़ी मेहनत, योग्यता और हिम्मत से आत्मनिर्भर होना चाहती हैं। पूजा उन दूसरी अधिकांश लड़कियों की तरह किसी सुरक्षात्मक नौकरीपेशे की तरफ नहीं भागी है, बल्‍कि उसने पेशेवर ड्राइविंग को अपना कॅरिअर बनाया है, जिसमें लड़कियों और महिलाओं के लिए न केवल रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे, अपितु स्कूल टैक्सी, बस या स्‍थानीय परिवहन में पेशेवर ड्राइवर के रूप में उनको लेने से लड़कियों बच्चों और महिलाओं के प्रति अपराधों में भी जरूर कमी आएगी।
कैथल के गांव चंदाना की रहने वाली पूजा आईजी कॉलेज में बीएससी फाइनल की छात्रा है। सुबह कॉलेज में पढ़ने जाती है और वहां से लौटकर पिता इंद्र सिंह के साथ अपने खेत के काम में हाथ बंटाती है। वह ट्रैक्टर चलाती है और उसने गांव से 6 किलोमीटर दूर जाकर ड्राइविंग स्कूल में बस चलाकर पेशेवर ड्राइविंग भी सीख ली है। माता-पिता उसकी इस हिम्मत का सम्मान करते हैं, बाकी उसे गांव के किसी के तंज ताने की परवाह नहीं है। पूजा बताती है कि वह परिवार में एक भाई तीन बहनें हैं, सबसे बड़ी होने के कारण उसने पिता के साथ खेती में हाथ बंटाना शुरू कर दिया, इसी दौरान ट्रैक्टर चलाना भी सीख लिया, वह खेतों में ट्रैक्टर से जुताई करके अपनी पढ़ाई का खर्च निकालती है।
पूजा ने सिद्ध किया है कि बस ड्राइविंग सिर्फ पुरूषों का ही काम नहीं रहा है। बस ड्राइविंग में पुरूषों को ही देखा जाता रहा है, लेकिन अब महिलाओं ने इस पेशे में भी अपने दम पर प्रवेश किया है। माना जा रहा है कि पूजा का ‌पेशेवर ड्राइविंग में आने का फैसला उनकी तरह बाकी लड़कियों के लिए वरदान बन सकता है और हरियाणा सरकार चाहे तो वह लड़कियों और महिलाओं को निजी पेशेवर ड्राइविंग में टैक्सी मालिक बनाकर या पेशेवर सड़क परिवहन में अवसर देकर अपनी कई चुनौतियों का समाधान कर सकती है। एक चुनौती तो यही है कि नगरों और महानगरों में स्कूल टैक्सियों, बसों और घरेलू कारों में लड़कियों, बच्चों और महिलाओं के साथ जो ड्राइवर जनित अपराध होते हैं, वे महिला ड्राइवर होने से काफी हद तक रोके जा सकते हैं, लड़कियों और महिलाओं का रोज़गार का क्षेत्र भी इससे विकसित होता है।
पूजा के पिता इंद्र सिंह कहते हैं कि 'मेरी बेटी छह बेटों के बराबर है, मुझे खेती का काम छोड़कर पूजा को घर से दूर गढ़ी पाड़ला में ड्राइवर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में ले जाना कष्टदायक नहीं लगता। पूजा कहती है कि गांवों में अधिकतर लोग रूढ़ीवादी और संकोची होते हैं, वे लड़कियों को गांव से बाहर भेजने को तैयार नहीं होते हैं, लड़कियों को सिर्फ दसवीं तक पढ़ाकर उनकी शादी कर देते हैं, अब ऐसे काम नहीं चलेगा, पुरानी सोच को समय के अनुसार बदलने की जरूरत है, लड़कियों को अपना भविष्य बनाने देना चाहिए। वह अपने माता-पिता को बार-बार धन्यवाद देती है, जिन्होंने उसे अपने कॅरिअर का रास्ता चुनने की आज़ादी दी है और आज वह आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही है। पिता के लिए सहारा व दूसरी लड़कियों के लिए प्रेरणा के रूप में हरियाणा सरकार के लिए पूजा भी बन सकती है एक विज़न।

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