स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 18 May 2015 05:06:20 AM
किशनगंज (बिहार)। मौलाना आजाद नेशनल उर्दू विश्वविद्यालय हैदराबाद के कुलपति जफर यूनुस सरेशवाला ने देश के जाने-माने इस्लामिक शिक्षण संस्थानों में एक तौहिदुल इस्लाम मदरसा में कुरान का अध्ययन करते हुए छात्र-छात्राओं से सवाल किया कि आपने अपने दीन की शिक्षा में इस्लाम की क्या तस्वीर देखी और उसको देखने, पढ़ने के बाद दूसरों के सामने इस्लाम की क्या तस्वीर पेश की है? क्या हिंदू तुम्हारा दुश्मन है? कुरान में तो शैतान को दुश्मन कहा गया है, उसमें हिंदू कहां है? अगर हिंदू दुश्मन होता तो तुम कहां होते? जो लोग निजामुद्दीन औलिया, हाजी अली, अजमेर शरीफ जैसी दरगाहों पर चादर चढ़ाते हैं, वो तुम्हारे मुर्दों की पूजा करते हैं, तो वे तुम्हारे दुश्मन कहां से हुए? मुसलमानों की नई पीढ़ी को इस सुधारवादी सोच के साथ उनके व्यक्तित्व निर्माण और उन्हें देश की मुख्यधारा में खड़े होने की जफर यूनुस सरेशवाला की इस प्रेरणा ने यहां जबरदस्त असर दिखाया। वह युवाओं में उनके हीरो की तरह छा गए। छात्र-छात्राओं ने भी कहा कि हां, उन्हें कुरान के साथ वह भी चाहिए, जिससे हम अपने जीवनस्तर को ऊंचा, ज्यादा सुंदर और ज्यादा सुखद बना सकते हैं।
जफर यूनुस सरेशवाला ने कहा कि नौजवान यहां कुरान पढ़ें और उसके साथ इंग्लिश भी पढ़ें, टैक्नालॉजी और विज्ञान भी पढ़ें, मैं ही नहीं कह रहा हूं, बल्कि इस्लामिक शिक्षा के विद्वान सर सैयद अहमद भी यही कहा करते थे और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आपसे कुरान नहीं छीन रहे हैं, बल्कि वह भी यही चाहते हैं कि एक हाथ में कुरान भी हो और दूसरे हाथ में रोज़गार हो, जिससे दोनों ही स्तरों पर सामाजिक जीवन में सफलता प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि मैं यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भाजपा को वोट देने के लिए कहने नहीं आया हूं, बल्कि मेरा कहना है कि आप छात्र-छात्राओं को बहुत आगे सोचना है, आप अपने में सियासी बेदारी भी पैदा करें और दूसरों का पीछा छोड़कर खुद तय करें कि राजनीति आपसे चले, मुसलमानों के ज़मीनी तबके को आपकी राजनीतिक समझदारी की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज यह देखने और समझने की आवश्यकता है कि आपकी बेहतरी के लिए कौन सबसे ज्यादा उपयोगी और सक्षम है।
जफर यूनुस सरेशवाला ने छात्र-छात्राओं के बीच विस्तार से उनके और मुस्लिम समाज के कई ज्वलंत मुद्दे जिक्र किए जिनका संबंध उनकी दीनी तालीम और उसके बाद जीवन की बड़ी आवश्यकताओं से है। भारी संख्या में मौजूद छात्र-छात्राओं ने उन्हें बड़े गौर से सुना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग मुसलमानों को डराते हैं या जिनके नाम पर मुसलमानों को डराया जाता है, उन्हें उनसे डरने की कोई जरूरत नहीं है, चाहे उनमें डॉ प्रवीण तोगड़िया भी हों या कोई और हों, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उन्हें कोई समर्थन नहीं हो सकता है, जो मुसलमानों के विपरीत सोचते हैं, नरेंद्र मोदी वह सवा सौ करोड़ लोगों को साथ लेकर चल रहे हैं, वह आपके बारे में सोचते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग आपको आपकी तरक्की से और देश की मुख्यधारा से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्होंने इस शिक्षा संस्थान में 2007 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का सेंटर खोलने की बात की थी और 2012 में गहरे पानी में ज़मीन दी गई एवं 2014 में पानी में शिलान्यास करके चल दिए, यानी ग्यारह वर्ष में वे यहां एएमयू सेंटर की दीवार तक खड़ी नहीं कर सके, इसलिए सोचिए और उनसे सर्तक रहने की जरूरत है। ध्यान रहे कि जफर यूनुस सरेशवाला को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निकटतम मुस्लिम चेहरा माना जाता है और वे मुसलमानों में नरेंद्र मोदी को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों से मुसलमानों को जागरूक करते आ रहे हैं। मदरसे और मुस्लिम शिक्षण संस्थानों में उनकी बातों को गौर से सुना और समझा जा रहा है एवं उनको आमंत्रित भी किया जा रहा है। अब तक वे बिहार के मटियार, अररिया और नार्थ ईस्ट के कई मदरसों और शिक्षा संस्थानों में छात्रों और शिक्षकों से मिल चुके हैं।
तौहिदुल इस्लाम मदरसा में जफर यूनुस सरेशवाला को यहां के विद्यार्थियों को पुरस्कार वितरण और व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया था। उन्होंने कहा कि यदि यहां ज़मीन मिले तो वे मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी लाना चाहेंगे। जफर यूनुस सरेशवाला ने छात्र-छात्राओं को पुरस्कार वितरित किए। छात्र-छात्राओं ने उनसे बहुत कुछ जानने की इच्छा व्यक्त की, जिसपर उन्होंने उनकी जिज्ञासाओं को भी शांत किया। विख्यात इस्लामिक विद्वान मौलाना मतिउर्रहमान, तौहिदुल इस्लाम मदरसा के कुलपति हैं और वे इस संस्थान में दीनी शिक्षा के साथ व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी चला रहे हैं। उन्होंने जफर यूनुस सरेशवाला की इस बात के लिए प्रशंसा की कि वह भारत में मुसलमान युवाओं को भ्रांतियों के प्रति जागरूक कर रहे हैं, जिससे उनमें अपने देश के नेतृत्व के प्रति विश्वास पैदा हो रहा है। जफर यूनुस सरेशवाला ने बिहार के दूर-दराज के उपेक्षित और कई मुस्लिम बहुल्य इलाकों में चल रहे मदरसों और शिक्षा संस्थानों में अपने जागरूकता व्याख्यान दिए हैं, जिनसे मुसलमान युवाओं में सामाजिक, राजनीतिक जागरूकता के साथ उनकी लोकप्रियता भी बढ़ी है।