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Thursday 16 July 2015 01:57:08 AM
लखनऊ। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। समापन समारोह में उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल संघ लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ बीके यादव मुख्य अतिथि के रूप में आए और उन्होंने भविष्य में गन्ना किसानों को समय पर गन्ना भुगतान कैसे हो इस पर गंभीर विचार करने पर जोर दिया तथा इसके लिए पूर्व नियोजन बनाने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने वर्तमान में चीनी उद्योग को आर्थिक बदहाली से उबारने के लिए विविधिकरण को आवश्यक बताया तथा भविष्य में देश के अंदर पेट्रोल में 15-20 प्रतिशत तक की इथनॉल मिश्रित करने पर जोर दिया।
प्रबंध निदेशक ने कहा कि गन्ने से सिर्फ चीनी बनाकर अब चीनी मिलें मुनाफा नहीं कमा सकतीं, अन्य उत्पादों जैसे बिजली, इथनॉल, जैविक खाद इत्यादि के सह उत्पाद कर ही मिलें मुनाफा कमा सकती हैं। इस अवसर पर डॉ बीके यादव ने डॉ एके साह और डॉ ओके सिन्हा की संकलित एवं संपादित गन्ना उत्पादन तकनीक विषय पर पुस्तक का विमोचन किया। संस्थान के निदेशक डॉ ओके सिन्हा ने कहा कि गन्ना के खोई से 2-जी इथनॉल का उत्पादन चीनी मिलों के लिए वरदान साबित हो सकता है, अगर इथनॉल की मांग बढ़ती है तो चुकंदर की खेती गन्ने के साथ सह-फसली के रूप में करके ज्यादा मात्रा में इथनॉल बनाया जा सकता है।
डॉ ओके सिन्हा ने कहा कि अगर 2017 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत तक इथनॉल मिश्रण के लक्ष्य को पाना है तो अभी से इस दिशा में तीव्र गति से कार्य करने की जरूरत है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रभारी डॉ एके साह ने बताया कि चीनी मिल के प्रतिनिधियों ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को उत्कृष्ट बताते हुए भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कराने का आग्रह किया है। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में कुल 14 चीनी मिलों के 16 गन्ना अधिकारियों ने भाग लिया और सभी को प्रमाण पत्र तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित गन्ना अधिकारी चीनी मिल क्षेत्र में भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान का राजदूत बनकर वैज्ञानिक तकनीकों के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।