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Monday 27 July 2015 02:29:06 AM
फैज़ाबाद। दलित समाज को अपने अधिकारों और सामाजिक एकता के लिए संगठित करने में लगे भारतीय समन्वय संगठन (लक्ष्य) की फैज़ाबाद टीम ने फैज़ाबाद के मवई गांव माजनपुर में बहुजन जनजागरण के तहत 20 गांवों का एक दिवसीय कैडर कैंप आयोजित किया, जिसमें चिलचिलाती गर्मी के बावजूद सैकड़ों महिलाओं और लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। लक्ष्य के इन शिविरों में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा देखने को मिल रही है, जिसका मतलब यह निकाला जा रहा है कि लक्ष्य ने घर के चूल्हे से जागरूकता आंदोलन शुरू किया है और उसकी पहली कड़ी के रूप में महिलाओं को प्रेरित किया गया है, यही कारण है कि इसमें दलित और आर्थिक पिछड़े समाज की महिलाएं अपना भविष्य खोज रही हैं। कुछ विश्लेषणकर्ताओं का कहना है कि लक्ष्य ने बहुत तेजी से अपना सामाजिक प्रभाव बढ़ाया है और यदि यही रफ्तार रही तो राजनीतिक दलों के लिए यह सामाजिक संगठन बड़ी चुनौती पेश करेगा। कैडर कैंप में महिलाओं और पुरुषों की उपस्थिति बता रही है कि इस सामाजिक संगठन का दलित समाज में आकर्षण बढ़ रहा है। शिविर को संबोधित करने वाले वक्ताओं ने दलित समाज के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक मुद्दों को लक्ष्य बनाया है, जिसमें यह संगठन बच्चों की शिक्षा और संगठित रहकर चलने पर ज्यादा जोर दे रहा है।
लक्ष्य के कमांडरों ने यहां भी दलित समाज की आर्थिक और सामाजिक उपेक्षा पर गहरी चिंता जताई और बहुजन समाज के अधिकारों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए समाज को जागरूक किया। हरियाणा से आईं लक्ष्य कमांडर कविता जाटव ने दलितों के राजनीतिक और अन्य प्रकार से शोषण का निडरता के साथ सामना करने का आह्वान किया। हरियाणा से आए लक्ष्य के राष्ट्रीय प्रवक्ता केपी गौतम ने बहुजन समाज की दुर्दशा पर आंकड़े पेश करते हुए कहा कि बहुजन समाज की प्रगति के लिए मान्यवर कांशीराम के संघर्ष से बेहतर कोई रास्ता नहीं है। लक्ष्य की महिला कमांडर शशि यादव ने पिछड़ों का आह्वान किया कि वे दलितों के साथ मिलकर भाईचारा बनाएं और बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के दिखाए रास्ते पर चलें। लक्ष्य महिला कमांडर सुषमा बाबू ने बच्चों और खासतौर से लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान दें और उन्हें हरहाल में स्कूल भेजें। संघमित्रा गौतम ने भगवान बुद्ध के आदर्शों और उपदेशों को अपनी जीवनशैली में अपनाने की शिक्षा देते हुए कहा कि दलित समाज के लिए यह जरूरी है कि वह शिक्षा को एक आंदोलन की तरह ग्रहण करे। उन्होंने कहा कि शिक्षा के बिना दलित समाज की तरक्की नहीं हो सकती।
रेखा आर्या ने भी बहुजन समाज को बाबा साहेब के रास्ते पर चलने की जरूरत बताई। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि लक्ष्य ने दलित समाज को संगठित करने का जो बीड़ा उठाया, उसमें आशातीत सफलता मिल रही है। मंजुलता आर्या ने दलित समाज की एकता पर बल दिया और कहा कि इसी से हम अपने अधिकारों को ले सकते हैं। अंजू सिंह ने बताया कि लक्ष्य की टीमें देश भर में बहुजन समाज को शिक्षा और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करके एकजुट करने का प्रयास कर रही हैं। राजकुमारी कौशल ने कहा की हमें लड़के-लड़की में भेद नहीं करना चाहिए और अपनी बेटियों को अच्छे से शिक्षित करना चाहिए। शांति गौतम ने समाज के लोगों को ऐसी कुरूतियों से बचना चाहिए, जो परिवार पर बुरा प्रभाव डालती हैं। उन्होंने कहा कि अपने घर में शैक्षणिक और सामाजिक माहौल पैदा करने के लिए शराब जैसी बुराई से दूर रहना होगा। उनका कहना था कि समाज आज पहले से ज्यादा चुनौतियों का सामना कर रहा है और उसको प्राप्त होने वाले हकों में इसलिए कटौती हो रही है कि हम शिक्षा के महत्व और उसकी आवश्यकता को नहीं समझ पा रहे हैं।
लक्ष्य के कैडर कैंप में दिल्ली और हरियाणा के दलित समाज के लोग आए और उन्होंने बताया कि वे अपने यहां किस प्रकार अपने समाज को सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षणिक रूप से जागरूक कर रहे हैं। आतिर मसूद खान ने कैडर कैंप में बड़ी संख्या में उपस्थित देखकर विश्वास व्यक्त किया कि लक्ष्य जल्द ही दलित समाज का आईना बनेगा। लक्ष्य ने अब तक जितने भी कार्यक्रम आयोजित किए हैं, उनमें लोगों की स्वतः भागीदारी बताती है कि उसको ऐसे ही नेतृत्व की जरूरत है। वक्ता इस बात से निराश दिखे कि दलित समाज को इस्तेमाल किया जा रहा है और बदले में उसे कुछ भी नहीं दिया जा रहा है, दलित समाज के पास एक ताकत है और वह तब तक कोई मायने नहीं रखती, जब तक समाज को उसके उपयोगिता का कोई माध्यम न हो। वक्ताओं ने कहा कि लक्ष्य ने शिक्षा और अधिकारों को उन क्षेत्रों में मुद्दा बनाया है, जिन क्षेत्रों में उसकी सर्वाधिक आवश्यकता है और गांव इनका सही मंच है। लक्ष्य कमांडर मंजुलता आर्या ने हरियाणा, दिल्ली लखनऊ, सीतापुर से आए समाज के जागरूक लोगों का आभार प्रकट किया। कैडर कैंप का संचालन लखनऊ से आई लक्ष्य कमांडर कमलेश सिंह और रजनी सोलंकी ने किया।