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शांति के दूत बनने की चुनौती-सीसीएमपी

देश में सांप्रदायिकता व सामाजिक विघटन पर चिंता

मप्र में कैथोलिक बिशप्स व ‌विशिष्ट लोगों की बैठक

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 13 August 2015 07:20:51 AM

meeting of catholic bishops and specific people

भोपाल। काथलिक काउंसिल ऑफ़ मध्य प्रदेश (सीसीएमपी) ने पास्ट्रल सेंटर भोपाल में दो दिन की बैठक आयोजित की, जिसमें इस बात पर चिंता व्यक्त की गई कि देश में सांप्रदायिक और विघटनकारी शक्तियां सर उठा रही हैं, जिससे समाज और संविधान के लिए खतरा पैदा हो रहा है। बैठक में मध्य प्रदेश के सभी काथलिक धर्माध्यक्षों के साथ-साथ यहां के विभिन्न क्षेत्रों के विशिष्ट प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक का मुख्य विषय था-'समाज में बढ़ती हिंसा और अशांति के वातावरण में शांति के दूत बनने की चुनौती।' इस विषय पर मंथन करते हुए सभी ने ईसा मसीह के जीवन और उनकी शिक्षाओं से प्रेरित होकर अपने जीवन को और अधिक प्रभावी रूप से जीने पर जोर दिया। बैठक में मध्य प्रदेश के कैथोलिक बिशप्स ने देश की एकता और अखंडता पर दृढ़ता व्यक्त करते हुए कहा कि उनका समाज शांति और सद्भाव के लिए प्रतिबद्ध है।
ईसा मसीह ने अपने जीवन में सदा निर्बलों एवं गरीबों को ऊपर उठाने और उन्हें सम्माननीय जीवन प्रदान करने का कार्य किया है। इंसान को इंसान से जोड़ने का काम किया है और ऐसा ही करने का पाठ पढ़ाया है। उनकी सबसे बड़ी आज्ञा थी- एक दूसरे को अपने समान प्यार करो। आज समाज में सांप्रदायिक शक्तियां और असामाजिक तत्व, धर्म, जाति, रंग, भाषा आदि के आधार पर अपने निहित स्वार्थ के लिए देश और समाज को विभाजित करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसका हम सभी को मिलकर सामना करना है, इस विभाजन को बचाना है और देश के संविधान के मूल्यों पर मंडराते खतरे को दूर करना है, ऐसे वातावरण में ईसा मसीह की शिक्षा हमें शांति-दूत बनने की चुनौती देती है। वक्ताओं ने विचार व्यक्त किया कि पोप फ्रांसिस ने हाल ही में प्रकाशित 'लाउडातो सी' नामक पुस्तक में कहा है कि हम सभी एक ईश्वर की संतान हैं, ईश्वर हम सबका पिता है अतः हम सभी बंधु हैं। वसुधैव कुटुंब हमारा परिवार है, हम सभी को भाईचारे और शांति से रहना है।
पोप फ्रांसिस ने पुस्तक में पर्यावरण पर विशेष जोर देते हुए समाज के लिए हमारी जिम्मेदारियों से अवगत कराया है, ईश्वर ने सृष्टि को हमारे हित के लिए बनाया, वही हमारा पालन-पोषण करती है, हमें उसकी रक्षा करना है, उसका विनाश नहीं। इंसान अपने स्वार्थ के लिए सृष्टि का शोषण करता आया है, जिसके भयंकर परिणाम सामने आए हैं, अतः हम सभी को चेतने की जरूरत है। बैठक में महात्मा गांधी का जिक्र किया गया जिन्होंने कहा है-धरती के पास सभी की जरूरत के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, किंतु सभी के स्वार्थ के लिए नहीं। वक्ताओं ने कहा कि ईसा मसीह की शिक्षाओं से स्वयं के जीवन को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है, उनसे प्रेरित सेवा-कार्यों से समाज को शांतिमय एवं और भी बेहतर बनाया जा सकता है। बैठक में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य सामाजिक कार्यों में अपनी निष्ठा और समर्पण की भावना को और अधिक मजबूत बनाने का संकल्प व्यक्त किया गया है।

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