स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Sunday 20 September 2015 06:39:26 AM
लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सख्त तेवरों से लगता है कि सरकार अब कभी भी शासन और जिलों में बैठे कुछ अधिकारियों को चिन्हित कर जेल भेजने या उनके विरुद्ध सेवा से जबरन रिटायर जैसी कठोर कार्रवाई करने वाली है। सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव भी सरकार से कड़ी कार्रवाई चाहते हैं, वे कई मौकों पर यह तक कह चुके हैं कि जो अधिकारी काम नहीं करे तो उसको जेल ही भेज दिया जाए। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कल कानून-व्यवस्था एवं विकास कार्यों की राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में जो बोला, उसका मतलब साफ है कि छवि को लेकर चिंतित सरकार अफसरों पर कड़ी कार्रवाई के मूड में आ गई है, इसलिए उन्होंने सख्त लहजे में कानून-व्यवस्था एवं सरकार की छवि पर अफसरों को नसीहतों की झड़ी लगाते हुए बहुत कुछ कहा है। मुख्यमंत्री जैसे किसी बड़ी कार्रवाई के मूड में थे, किंतु उन्होंने दायित्वों के निर्वहन में शिथिलता बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी और उनको समझा दिया कि कार्य को टालने की प्रवृत्ति के गंभीर नतीजे होंगे।
ज्ञातव्य है कि अखिलेश सरकार को इस समय अपनी कार्यप्रणाली पर सब तरफ से भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है और अब तो मुख्यमंत्री की मौजूदगी में सपा के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और उनके भाई एवं राज्य के वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव तक सार्वजनिक कार्यक्रमों तक में सरकार के कामकाज पर उंगली उठाने लगे हैं। पिता और चाचा समझकर इन नेताओं की बातों की अखिलेश यादव चाहे जितनी अनदेखी करें, किंतु एक शासनकर्ता के लिए ऐसी बातों की अनदेखी करना सख्त मना है। सपा सरकार का तीन साल का समय निकल चुका है, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी मान रहे हैं कि हालात ठीक नहीं हैं, जनता उनकी सरकार की कार्यप्रणाली से न केवल निराश है, अपितु सभी तबकों में भारी नाराजगी भी है। सपा में भी उनके कार्यकर्ता खुलकर कहने लगे हैं कि अपनी प्रशासनिक विफलताओं का जनसभाओं या समीक्षा बैठकों में दूसरों पर गुस्सा उतारने से 2017 के चुनाव परिणाम सपा के पक्ष में नहीं आ जाएंगे।
मीडिया को यूं तो बताया गया है कि मुख्यमंत्री विधान भवन के तिलक हॉल में प्रदेश के वरिष्ठ प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों की इस उच्चस्तरीय बैठक में अचानक पहुंचे, लेकिन इसे सरकार के अधिकारियों का एक 'फूहड़ प्रचार स्टंट' ही कहा जा रहा है, क्योंकि इतनी बड़ी मीटिंग में मुख्यमंत्री के अचानक पहुंचने की खबर चलवाकर यह संदेश गया कि यदि मुख्यमंत्री ऐसी मीटिंग में नहीं जाते तो उनके लिए फिर इससे ज्यादा महत्वपूर्ण बैठक और कौन सी होगी? राज्यभर की नौकरशाही जिन मुद्दों को लेकर बुलाई गई थी और उस बैठक के प्रेस रिलीज़ में मुख्यमंत्री ने जो कहा है, क्या वे मामूली बातें हैं? मीडिया में यह बात बड़ी प्रमुखता से चलाई जा रही है कि मुख्यमंत्री इस बैठक में अचानक पहुंचे, जबकि निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बैठक की अध्यक्षता मुख्य सचिव को करनी थी। मुख्यमंत्री की मजाक उड़वाने वाले इस 'प्रचार स्टंट' से बड़ा खराब संदेश निकला। बहरहाल मुख्यमंत्री ने इस बैठक में कहा कि मंडल और जिलों में तैनात अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे संजीदगी से कार्य करते हुए विकास कार्यों की गुणवत्ता पर पूरा ध्यान दें। उन्होंने कहा कि जनता से सीधे जुड़े विभाग स्वास्थ्य, बिजली, सड़क, पानी, खाद्य एवं रसद आदि की व्यवस्था दुरूस्त रहनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायत चुनाव प्रस्तावित हैं, इसके अलावा विभिन्न त्यौहार भी आ रहे हैं, इसे ध्यान में रखकर फील्ड में तैनात अधिकारियों को पूरी सतर्कता बरतते हुए अपने दायित्वों को अंजाम देना होगा। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनावों को सुचारू रूप से कराने के लिए अधिकारी पूरी तरह निष्पक्ष रहकर कार्य करें और इस बात का विशेष ध्यान रखें कि किसी भी स्तर पर कोई भेदभाव न हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि अपराध रोकने के लिए प्रभावी और कड़े कदम उठाए जाएं, जघन्य अपराध पर पुलिस तत्काल सक्रिय होकर जरूरी कार्रवाई करे और ऐसे मामलों में मीडिया में सही स्थिति आए, इस पर भी विशेष ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि यदि कोई साम्प्रदायिक घटना घटती है तो इसके लिए जनपद के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक सीधे जिम्मेदार होंगे। मुख्यमंत्री ने प्रशासन से सरकार की छवि बनाने को कहा और कहा कि यह तभी संभव है, जब वरिष्ठ अधिकारियों का अपने अधीनस्थों पर प्रभावी नियंत्रण एवं पकड़ हो तथा जनता में जिला प्रशासन की साख अच्छी हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता में जिला प्रशासन के प्रति भरोसा कायम रहे, स्थानीय प्रशासन के अधिकारी जनता की समस्याओं को सुनने और उनके समाधान के लिए आसानी से सुलभ रहें।
उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव के दौरान भी जन सुनवाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए, यदि अधिकारी जनता से सीधा संवाद कायम रखने में सफल रहते हैं तो उन्हें तमाम घटनाओं की जानकारी और सच्चाई समय से मिल जाती है, जिसके आधार पर प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं। उन्होंने तहसील, थानों और ब्लॉक की कार्यप्रणाली को भ्रष्टाचार रहित बनाने पर जोर देते हुए कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को अपने-अपने जिले के सभी विभागों की गतिविधियों की पूरी जानकारी रहनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को आगाह किया कि मौजूदा समय ऐसा है, जब हर एक को यह जानकारी रहती है कि कौन क्या कर रहा है, जनता को भी मालूम रहता है कि अधिकारी कैसा कार्य कर रहा है, किसी भी बात को छिपाना अब संभव नहीं है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अब शासन स्तर पर तैनात प्रमुख सचिवों, सचिवों के कार्यों का मूल्यांकन, विकास एजेंडे के क्रियांवयन हेतु की गई कार्रवाई के आधार पर होगा। उन्होंने शासन स्तर के अधिकारियों को प्रत्येक दो माह में आवंटित जनपद का भ्रमण कर विकास एवं अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं का मौके पर जायजा लेने और इसकी रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी सरकार के कार्यकाल में अधिकारियों को कार्य करने की पूरी आजादी दी गई है, ताकि बगैर किसी परेशानी अथवा तनाव के अधिकारी अपने दायित्वों को अंजाम दे सकें, इसलिए इसके दृष्टिगत अधिकारियों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे पूरी लगन और मेहनत से अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा कि मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन से अधिकारियों का मनोबल बढ़ा है, जिसके फलस्वरूप हर सेक्टर में उत्साहजनक नतीजे मिल रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि सभी अधिकारी उनकी मंशा एवं प्राथमिकताओं के अनुरूप कार्य करेंगे। इस अवसर पर राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता, पुलिस महानिदेशक जगमोहन यादव शासन के प्रमुख सचिव, सचिव, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।