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Friday 25 September 2015 12:21:52 AM
बंगलुरू। मंगल उपग्रह यान ने मंगल ग्रह की कक्षा में एक वर्ष पूरा कर लिया है। मंगल उपग्रह यान के मंगल ग्रह की कक्ष में सफलतापूर्वक एक वर्ष का अभियान पूरा करने के बाद इसके सभी पांच अंतरिक्ष उपकरणों से बड़े डाटा सेट प्राप्त किए गए हैं। इस अवसर पर अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (इसरो) अहमदाबाद ने मंगल ग्रह का मानचित्र प्रस्तुत किया है, जिसमें मंगलयान में लगे रंगीन कैमरे (एमसीसी) से लिए गए चित्रों और वैज्ञानिक मानचित्र के रूप में अन्य अंतरिक्ष उपकरणों से प्राप्त परिणामों का संकलन है।
एमसीसी से प्राप्त चित्रों से मंगलग्रह पर अलग-अलग आकाशीय विश्लेषण के बारे में विशिष्ट जानकारी उपलब्ध हुई है। करीब 72,000 किलोमीटर पर एपोसिस के जरिए लिए गए चित्रों में मंगल पर बादल, वातावरण में धूल और कई प्रकार की सतह नज़र आ रही है। दूसरी ओर पेरिऐप्सीस से हासिल किए गए उच्च गुणवत्ता के चित्रों में मंगल ग्रह की सतह पर विभिन्न आकारों की विशेषताएं विस्तार से दर्शाइ गई हैं। इनमें से कुछ चित्रों को इस मानचित्र में प्रदर्शित किया गया है। इन चित्रों को मंगलग्रह की सतह और वायुमंडलीय प्रक्रियाओं के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
मंगलग्रह पृथ्वी के सबसे नजदीकी ग्रहों में एक है और मानवजाति की चिरकाल से ही इस ग्रह के बारे में जानने की रूचि रही है। मंगल ग्रह पर 1960 के शुरूआत से ही पंहुचने के लिए कई मानव रहित उपग्रह छोड़े गए हैं, इन अभियानों से मंगल ग्रह के विभिन्न वैज्ञानिक पहलुओं के बारे में एक बड़ा डाटा उपलब्ध हुआ है, डाटा का विश्लेषण करने पर अब इस सूखे और धूल भरे उपग्रह पर जीवन की संभावना बढ़ी है। अपने पहले मंगल उपग्रह अभियान या मॉम के नाम से लोकप्रिय अभियान की शुरूआत कर भारत भी मंगल ग्रह पर खोज करने वाले राष्ट्रों के समूह में शामिल हो गया है। मॉम यान दो वर्ष से भी कम रिकॉड अवधि में तैयार और छोड़ा गया था।
मॉम में मंगल ग्रह की सतह का भूविज्ञान, आकारिकी, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं और तापमान आदि के बारे में डाटा इकट्ठा करने के लिए पांच वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं। इस अवसर पर इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने बैंगलोर में मार्स ऑर्बिटर मिशन का कक्षा में एक वर्ष पूरा होने के अवसर पर मार्स एटलस जारी किया। इसरो के वैज्ञानिक सचिव डॉ वाईवीएन कृष्णमूर्ति, इसरो उपग्रह केंद्र के निदेशक डॉ अन्नादुरई एम, स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक तपन मिश्रा और इसरो की जन संपर्क इकाई के निदेशक देवीप्रसाद कर्णिक भी उपस्थित थे।