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Thursday 22 October 2015 10:00:28 AM
चुरू। प्रयास संस्थान चुरू की ओर से दिया जाने वाला प्रतिष्ठित डॉ घासीराम वर्मा साहित्य सम्मान-2015 उदयपुर के प्रोफेसर माधव हाड़ा को उनकी पुस्तक 'सीढ़ियां चढ़ता मीडिया' के लिए प्रदान किया गया। प्रख्यात गणितज्ञ डॉ घासीराम वर्मा की अध्यक्षता में शहर के सूचना केंद्र में आयोजित इस समारोह में हिंदी कवि केदारनाथ सिंह मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर गोबिंद प्रसाद, लेखक-आलोचक डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने प्रोफेसर माधव हाड़ा को सम्मान स्वरूप इक्यावन सौ रुपए का चैक, साफा, शॉल व सम्मान पत्र भेंट किया। इस अवसर पर ज्ञानपीठ व साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित केदारनाथ सिंह ने कहा कि माधव हाड़ा उभरते हुए चिंतनशील साहित्यकार हैं।
केदारनाथ सिंह ने कहा कि विश्व के सांस्कृतिक मानचित्र पर राजस्थान की महत्वपूर्ण उपस्थिति है। अभिव्यक्ति पर मंडरा रहे खतरे पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि आज जब बोलने की आजादी पर पाबंदियों के प्रयास हो रहे हैं, तब मीडिया ने इस खतरे को कम करने का प्रयास किया है, मीडिया ने अभिव्यक्ति की ताकत को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि यदि आज के समय में दयानंद सरस्वती और गौतम बुद्ध जैसे क्रांतिधर्मी होते तो उनके साथ क्या व्यवहार किया जाता, यह कल्पना की जा सकती है। उन्होंने कहा कि हम सब अपनी टूटन की आवाज़ हैं, यह समय टूटन का समय है। केदारनाथ सिंह ने भाषा की रचना प्रक्रिया पर अपने विचार जाहिर करते हुए कहा कि भाषा को मिलावट से परहेज नहीं होना चाहिए, संस्कृत की शुद्धता ही उसके लिए नुकसानदायक रही।
मीडिया की भाषा पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया की भाषा मिश्रित है और इससे एक नई भाषा का निर्माण हो रहा है। डॉ घासीराम वर्मा के व्यक्तित्व, कृतित्व तथा प्रयास संस्थान की गतिविधियों की सराहना करते हुए उन्होंने इस पर सुखद आश्चर्य और स्वस्थ गर्व व्यक्त किया और कहा कि छोटे से शहर से दिया जा रहा यह पुरस्कार अत्यंत महत्वपूर्ण है। जवाहरलाल विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रोफेसर गोबिंद प्रसाद ने माधव हाड़ा के लेखन को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि आलोचना व कविता के क्षेत्र में उन्होंने महत्वपूर्ण काम किया है। उन्होंने कहा कि समाज, साहित्य और भाषा पर बाजार का प्रभाव शुरू से ही रहा है, आज विज्ञापन की भाषा भी कविता की भाषा हो गई है।
मुख्य वक्ता हिंदी के ख्यातिनाम लेखक-आलोचक डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने कहा कि मीडिया का हमारे जीवन में प्रभावी दखल है, लेकिन मीडिया ने आदर्शों को बदला है और नई छवियां गढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया परिवर्तन का महत्वपूर्ण माध्यम है और उसने इस भूमिका को बखूबी निभाते हुए दृष्टिकोण बदलने का भी काम किया है। मीडिया का तीव्र दृश्य परिवर्तन पाठक व लेखक दोनों को प्रभावित कर रहा है। प्रोफेसर माधव हाड़ा के रचना-संसार पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वसनीय पाठक की उपस्थिति लेखक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रोफेसर माधव हाड़ा ने प्रत्युत्तर में केदारनाथ सिंह के हाथों सम्मानित होने को अपने जीवन का दुर्लभ व अविस्मरणीय क्षण बताया और कहा कि हिंदी में मीडिया से परहेज का रिवाज़ है। उन्होंने मीडिया की भाषा, मुहावरे तथा इसके साहित्य पर प्रभाव की चर्चा करते हुए कहा कि मीडिया का शास्त्र नहीं बन सकता है और इसमें तात्कालिक धारणाएं अधिक प्रभावी होती हैं।
प्रख्यात गणितज्ञ डॉ घासीराम वर्मा ने बताया कि जब वे अंग्रेजी पढ़ते-पढ़ते ऊब जाते हैं, तब हिंदी की पत्रिकाएं पढ़ते हैं। उन्होंने स्त्री शिक्षा का समाज के लिए महत्व परिलक्षित करते हुए कहा कि किसी समय बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने प्रख्यात कवयित्रा महादेवी वर्मा को केवल स्त्री होने के कारण प्रवेश से इनकार कर दिया था, आज यह स्थिति बदल रही है और बदलनी भी चाहिए। उन्होंने संस्थान की ओर से इक्यावन सौ रुपए की राशि को भविष्य में अपनी ओर से बढ़ाकर इक्यावन हजार रुपए किए जाने की भी घोषणा की। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। भंवर सिंह सामौर ने स्वागत भाषण में अतिथियों का परिचय कराया। प्रयास के अध्यक्ष दुलाराम सहारण ने आभार व्यक्त किया।
सम्मान समारोह में कुमार अजय, रामेश्वर प्रजापति रामसरा, देवीलाल गोदारा, डॉ रामकुमार घोटड़, सोहन सिंह दुलार, अभिषेक चोटिया, शिवकुमार मधुप, शैलेंद्र शर्मा, लखेंद्र सिंह दांदू, विकास मील, विकास बुडानिया, हेमंत सिहाग, राजीव स्वामी, मोहन सोनी चक्र, राजेंद्र मुसाफिर, सुधींद्र शर्मा सुधी, जसवंत सिंह मेड़तिया, श्यामसुंदर शर्मा, बाबूलाल शर्मा, मोहनलाल अर्जुन, बजरंगलाल पारीक, संजय गोयल, सत्यनारायण शांडिल्य, अनिल शास्त्री आदि ने अतिथियों का मालार्पण कर स्वागत किया। संचालन कमल शर्मा ने किया।