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अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह का लंबा सफर

भारत में फिल्म विकास आज अर्थव्यवस्‍था से जुड़ा

पणजी में फिल्‍म समारोह की जोरदार तैयारियां

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 18 November 2015 04:37:45 AM

international film festival in goa

पणजी। भारत में अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह का इतिहास बड़ा पुराना है। पहली बार अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह का आयोजन 1952 में मुंबई में हुआ था। वह गैर-प्रतिस्‍पर्धी समारोह था। समारोह 24 जनवरी 1952 से 15 दिनों तक जारी रहा, इसमें भारत सहित 23 देशों ने हिस्‍सा लिया था, संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने भी इसमें भागीदारी की थी। इस दौरान 52 फीचर फिल्‍मों और 115 अन्‍य डॉक्‍यूमेन्‍ट्री, विज्ञान, कार्टून, कठपुतली, शिक्षा और बाल फिल्‍मों का प्रदर्शन किया गया था। समारोह के उद्घाटन में एक विशेष फीचर फिल्‍म प्रदर्शित की गई थी। यह फिल्‍म 1896 में लूमियर ब्रदर्स निर्मित बंबई में पहली बार प्रदर्शित की गई फिल्‍म थी। समारोह की दूसरी विशिष्‍टता यह थी कि फिल्‍मों के प्रदर्शन के लिए ओपेन-एयर थियेटरों का निर्माण किया गया था।
भारत में दूसरे अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह का आयोजन दिल्‍ली में 27 अक्‍टूबर से 2 नवंबर 1961 में हुआ। यह समारोह भी गैर-प्रतिस्‍पर्धी था। तीसरा समारोह दिल्‍ली में 8 से 21 जनवरी 1965 में हुआ था। समारोह का उद्घाटन भारत के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति राधाकृष्‍णन ने किया था। तीसरा समारोह भारत में आयोजित पहला प्रतिस्‍पर्धी समारोह था। इसे पेरिस के फेडरेशन इंटरनेशनल दी प्रोड्यूसर्स दी फिल्‍म्स (एफआईएएफपी) ने ‘ए’ ग्रेड दिया था। यह मान्‍यता मिलने के बाद भारत के समारोह को कान्‍स, बर्लिन, वेनिस, कार्लोवी वेरी और मॉस्‍को समारोहों के समकक्ष माना जाने लगा। चौथा भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह दिल्‍ली में 5 से 18 दिसम्‍बर 1969 में हुआ। इसका उद्घाटन राष्‍ट्रपति वीवी गिरि ने किया था। समारोह में 34 देशों ने भागीदारी की थी। समारोह के इस संस्‍करण के लिए भारत सरकार ने राष्‍ट्रीय फिल्‍म पुरस्‍कार की शुरूआत की। इन 30 पुरस्‍कारों को तीन वर्गों में बांटा गया-कलात्‍मक फिल्‍म, संचार संबंधी फिल्‍म और विशेष लघु फिल्‍म।
अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह का पांचवां आयोजन दिल्‍ली में 30 दिसंबर 1974 से 12 जनवरी 1975 में किया गया। तीसरे समारोह को अंतर्राष्‍ट्रीय मान्‍यता मिलने के बाद भारत ने अपने पांचवें समारोह में एक स्‍थायी प्रतीक-चिन्‍ह अपनाया। यह प्रतीक-चिन्‍ह भारत के राष्‍ट्रीय पक्षी मोर का प्रतिनिधित्‍व करता है। इसका स्‍थायी सूत्र वाक्‍य ‘वसुधैव कुटुंबकम’ निर्धारित किया गया। इसी वर्ष अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह के बाद एक गैर-प्रतिस्‍पर्धी फिल्‍म समारोह के आयोजन का भी फैसला किया गया। फिल्‍मोत्‍सव को भारत में फिल्‍म निर्माण केंद्रों के रूप में संगठित किया गया था, इसलिए अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह केवल नई दिल्‍ली में आयोजित किए जाते थे। सन् 1989 में आयोजित 12वें अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह में उल्‍लेखनीय परिवर्तन किया गया, जिसके तहत समारोह को गैर-प्रतिस्‍पर्धी बनाया गया। इसके संबंध में अगस्‍त 1988 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने निर्णय किया था कि सभी भावी फिल्‍म समारोह गैर-प्रतिस्‍पर्धी होंगे और सभी समारोहों को अब भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह कहा जाएगा। कलकत्ता में 21वां भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह आयोजित किया गया।
जून 1989 में एक और महत्‍वूपर्ण निर्णय किया गया कि अब से अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह केवल 10 दिन का होगा। इसके बाद भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह देशभर के प्रमुख शहरों में आयोजित किया जाता रहा। कई वर्ष बाद सीमित स्‍तर पर प्रतिस्‍पर्धा दोबारा शुरू की गई, इसके तहत ‘एशियाई महिला निदेशक’ वर्ग को प्रतिस्‍पर्धी बनाया गया। भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह का 34वां संस्‍करण नई दिल्‍ली में 9 से 19 अक्‍टूबर 2003 को आयोजित किया गया। गोवा में पहली बार 35वां भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह का आयोजन 29 नवंबर से 9 दिसम्‍बर 2004 को किया गया तथा गोवा को स्‍थायी समारोह स्‍थल निर्धारित किया गया, इसके बाद गोवा में हर वर्ष भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह का आयोजन किया जाता है।

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