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Thursday 19 November 2015 03:14:13 AM
वृंदावन/ मथुरा। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृंदावन में चैतन्य महाप्रभु के आगमन के पंचशती समारोह में शिरकत की। राष्ट्रपति ने कहा कि चैतन्य महाप्रभु भक्ति आंदोलन के सबसे महान संतों में से एक थे। उन्होंने अपने कीर्तनों के जरिए बंगाल में वैष्णववाद को लोकप्रियता दिलाई, उनके कीर्तन में संगीत का जादुई मिश्रण था। उन्होंने कहा कि चैतन्य महाप्रभु ने जगह-जगह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर भक्ति में सेवा का प्रसार किया और भक्तों के समूहों के बीच उपदेश दिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि सदियों से हम विविधता में रहते आए हैं, इस तरह भारत में विविधता में एकता खोजी गई, चैतन्य महाप्रभु ने भक्ति की अलग धारा का प्रतिपादन किया था। राष्ट्रपति ने कहा कि ज्यादातर लोगों को आश्चर्य होता है कि भारत में प्रशासन, एक संविधान और एक कानूनी न्यायिक क्षेत्र के भीतर एक प्रणाली के दायरे में इतनी ज्यादा विविधता के बीच सामंजस्य बनाना कैसे संभव है। उन्होंने कहा कि इनके उत्तर हमारे सभ्यतागत मूल्यों में छिपे हैं, भारत की एकता हमारे सांस्कृतिक और सभ्यतागत मूल्यों की वजह से संभव है।
राष्ट्रपति ने कहा कि ने कहा कि हम सदियों से विरासत के रूप में इन्हें संजोए और इन्हें पुष्पित किए हुए हैं, अब ये हमारे जीवन के हिस्से हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि चैतन्य महाप्रभु ने प्रेम, समानता, मानवता और सामंजस्य का उपदेश दिया था। उन्होंने कहा कि हमें अपने समाज को फिर से ऊर्जावान बनाने के लिए महान संत के इस संदेश को अंगीकार करना चाहिए, हमें प्रेम के संदेश को स्वयं में फिर से प्रवाहित करना चाहिए। समकालीन विश्व में चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाओं की व्यापक प्रासंगिकता बनी हुई है।