स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 1 December 2015 02:43:02 AM
अहमदाबाद। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अहमदाबाद में भारतीय प्रबंधन संस्थान में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और राष्ट्रीय अभिनव फाउंडेशन के डॉ एपीजे अब्दुल कलाम इग्नाइट पुरस्कार-2015 प्रदान करते हुए कहा है कि 1.2 अरब सृजनात्मक सोच के रचनात्मक उपयोग से वर्तमान में हमारे समक्ष आ रही बहुत सी समस्याओं से भारतीय समाज को मुक्त कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत रूप से हम सबके लिए आवश्यक है कि देश और समाज की समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिबद्धता और समर्पण को दर्शाया जाए। राष्ट्रपति ने आईआईएम-अहमदाबाद के पूर्व छात्रों और संकाय सदस्यों से उद्योग, व्यापार, उद्यमिता, सामाजिक प्रमुखों और जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे लोगों की सृजनात्मक सोच के साथ निरंतर जुड़े रहने का आह्वान किया।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि संस्थान को वर्तमान समाज के समक्ष आ रहे मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि संस्थान को ज्ञान का दीपक, नेतृत्व भावना के साथ अन्य संस्थानों का दिशा-निर्देशक बनना चाहिए और एक ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए, जिससे सहयोग और सहानुभूति की भावना के साथ उत्कृष्टता और निष्पादन अभियान को चलाया जा सके। राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय अभिनव फाउंडेशन और आईआईएम-अहमदाबाद में सामाजिक अभिनव के भारतीय प्रारूप को एक वैश्विक पहचान दी है। उन्होंने अभिनव प्रयोगों में संसाधनों और ऊर्जा निवेश को जारी रखने के लिए संस्थान को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि इससे राष्ट्र की आर्थिक प्रगति के साथ-साथ एक दीर्घकालिक समग्र समाज के निर्माण को भी बल मिलेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि अभिनव आर्थिक विकास की कुंजी है और यह उभरती आवश्यकताओं और चुनौतियों का सामना करने के लिए राष्ट्र एवं समाज की परिपक्वता को प्रतिबिंबित करती है। उन्होंने कहा कि यह एक सतत प्रक्रिया है और इसे हर कदम पर पोषित किए जाने की आवश्यकता है। समाज को अधिकतम लाभ देने के लिए उच्चतर शिक्षा और उद्योग को करीब लाने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के बच्चों ने यह सिद्ध कर दिया है कि अभिनव भावनाओं के माध्यम से शानदार नवीन संभावनाओं को साकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश की युवा पीढ़ी को देखते हुए वे बेहद आशांवित हैं, क्योंकि ये नई पीढ़ी अनसुलझी समस्याओं के साथ नहीं रहना चाहती। उन्होंने कहा कि सृजनात्मक युवाओं का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण ‘संवेदना से सृजनशीलता’ है।