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Monday 28 March 2016 02:35:06 AM
भुवनेश्वर। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत रोटावायरस टीके की राष्ट्रीय शुरूआत पर कहा है कि हमने देश में बाल मृत्यु दर घटाने के मंतव्य से पूर्ण प्रतिरक्षण का प्रसार बढ़ाने के लिए मील का पत्थर छुआ है, प्रतिरक्षण के क्षेत्र में इसको एक ऐतिहासिक पल एवं श्रेष्ठ कदम बताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकार बच्चों में रुग्णता एवं मृत्यु दर कम करने हेतु प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत के बच्चों में नियमित प्रतिरक्षण को बेहतर बनाना एक आवश्यक विनियोग है और यह देश का स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करेगा।
जेपी नड्डा ने कहा कि पांच वर्ष से कम के बच्चों में रोटावायरस अतिसार एवं मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में से एक है एवं देश में प्रति वर्ष लगभग 80,000 से एक लाख बच्चों की रोटावायरस डायरिया के कारण मृत्यु हो जाती है, साथ ही सालाना 9 लाख बच्चे अतिसार के कारण अस्पतालों में भर्ती होते हैं। उन्होंने कहा कि रोटावायरस टीका हमें समस्या के सीधे समाधान की क्षमता एवं अतिसार से होने वाली मौतों को रोकने की काबिलियत प्रदान करेगा। शुरुआत में इस टीके को चार राज्यों में प्रारंभ किया जा रहा है-आंध्र प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश एवं ओडीशा और फिर क्रमवार ढंग से पूरे देश में शुरू किया जाएगा। जेपी नड्डा ने कहा कि इस जीवनरक्षी टीके को हमारे प्रतिरक्षण कार्यक्रम में सम्मिलित करने से न सिर्फ हमारे बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार होगा, बल्कि रोटावायरस से पनपी अन्य समस्याएं जैसे कुपोषण, बच्चों में देरी से हुआ शारीरिक एवं मानसिक विकास आदि भी कम होंगे।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अस्पतालों में भर्तियां कम होने से परिवार का आर्थिक भार कम होता है एवं स्वास्थ्य क्षेत्र पर सरकार के खर्च में भी कमी आती है। उन्होंने कहा कि रोटावायरस टीका, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और विज्ञान मंत्रालय ने पीपीपी के तहत भारत में ही तैयार किया है, इसलिए यह एक युगांतरकारी उपलब्धि है। टीकाकरण शुरू करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 1985 में शुरू किया गया भारत का सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम दुनिया के सबसे बड़े प्रतिरक्षण कार्यक्रमों में से एक है और स्वास्थ्य क्षेत्र में देश में बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य टीकों के माध्यम से रोकी जा सकने वाली बीमारियों से देश के बच्चों का अधिकतम रक्षण करना है, इस नजरिए से मंत्रालय ने दिसम्बर 2014 में टीकाकृत या आंशिक रूप से टीकाकृत बच्चों के पूर्ण प्रतिरक्षण हेतु 'मिशन इंद्रधनुष' शुरू किया था।
मिशन इंद्रधनुष के तहत अप्रैल 2015 से जुलाई 2015 एवं अक्टूबर 2015 से जनवरी 2016 के बीच दो चरणों में 20 लाख प्रतिरक्षण सेशन में कुल 1 करोड़ 42 लाख बच्चों और 36.7 लाख महिलाओं का टीकाकरण किया जा चुका है। जेपी नड्डा ने कहा कि मिशन इंद्रधनुष से स्वास्थ्य तंत्र सुदृढ़ हुआ, जिससे हमें नया टीका शुरू करने एवं प्रतिरक्षण कार्यक्रम का फैलाव हर बच्चे तक सुनिश्चित करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि टीकाकरण कार्यक्रम को निचले तबकों तक ले जाने हेतु सरकारी प्रतिनिधियों की भूमिका को चिह्नित भी किया गया है। उन्होंने बताया कि चार और नए टीके शुरू किए गए हैं-इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन, रोटावायरस वैक्सीन, मीज़ल्स, रुबेला (एमआर) वैक्सीन और एडल्ट जापानी इन्सेफिलाइटिस (जेई) वैक्सीन।
नए टीकों के शुरू होने पर भारत का प्रतिरक्षण कार्यक्रम 27 मिलियन बच्चों को सालाना 12 जानलेवा रोगों के विरुद्ध टीकाकरण मुहैया कराएगा, जो दुनिया में सबसे बड़ा जनवर्ग होगा। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र प्रधान भी इस मौके पर मौजूद थे, जिन्होंने कहा कि यह भारत सरकार की बहुत बड़ी शरुआत है। उन्होंने कहा कि ओडीशा में मॉनसून के समय रोटावायरस से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में यह टीका कमी लाएगा। धर्मेंद्र प्रधान ने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्रामाणिक श्रम की प्रशंसा भी की और बच्चों को रोटावायरस का टीका लगवाने का अनुरोध किया। ओडीशा के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अतानु सब्यसाची नायक ने स्वास्थ्य मंत्रालय को रोटावायरस की शुरुआत हेतु बधाई दी। उन्होंने कहा कि इससे देश के स्वास्थ्य कार्यक्रम पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव बीपी शर्मा ने भारत में टीकाकरण अभियान में जनसहयोग की पुरजोर अपील करते हुए कहा कि रोटावायरस से कई जानें तो बचेंगी ही साथ ही इसपर खर्च भी कम होगा। उन्होंने कहा कि यह काफी प्रभावी होगा। कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी सीके मिश्रा अतिरिक्त सचिव राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, डॉक्टर राकेश कुमार संयुक्त सचिव, ओडीशा सरकार के वरिष्ठ अधिकारी एवं डबल्यूएचओ, यूनिसेफ, पीएचएफआई आदि संस्थाओं के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। भारत में यद्यपि वर्ग विशेष के कुछ लोग बच्चों के प्रतिरक्षण कार्यक्रम में कुछ भी सहयोग नहीं करते हैं, सरकार को इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं और समाज के जागरूक लोगों का सहारा लेना पड़ता है। भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और कुछ अन्य मुस्लिम देशों में तो बच्चों के टीकाकरण की स्थिति बेहद चिंताजनक है, इस कारण वहां के लोगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन एडवायज़री जारी किया करता है।