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Wednesday 22 June 2016 03:39:28 AM
श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएसएलवी-सी34 के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के प्रमुख एएस किरण कुमार को और इसरो की टीम को बधाई दी है। पीएसएलवी-सी34 एक बार में ही अपने साथ 20 उपग्रहों को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक ले गया है। इनमें चार भारतीय और सोलह विदेशी उपग्रह हैं। उपग्रहों में कार्टोसेट-2 श्रृंखला का एक उपग्रह और 19 अन्य उपग्रह शामिल है। राष्ट्रपति ने भारतीय विज्ञानियों की इस सफलता पर कहा कि मैं समझता हूं कि कार्टोसेट-2 से जो छवियां प्राप्त होंगी, वह विशिष्ट छवियों को चिन्हित करने में उपयोगी होंगी, जो कि मानचित्रण, कार्टोग्राफिक अनुप्रयोगों और भूमि सूचना प्रणाली एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली में उपयोगी हो सकती हैं। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इस सफलता से पूरा देश गौरवांवित महसूस करता है, जिसने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि भारत की अंतरिक्ष क्षमता बढ़ रही है। उन्होंने इसरो के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, प्रौद्योगिकीविदों और सहयोगियों के भविष्य में किए जाने वाले सभी प्रयासों के लिए शुभकामनाएं दीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को बधाई देते हुए कहा है कि 20 सेटेलाइट एक साथ अंतरिक्ष में भेजकर इसरो ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों को इस यादगार पल के लिए मेरी तरफ से बधाई। इसरो की भेजी गई सेटेलाइट में कार्टोसेट-2 श्रृंखला की सेटेलाइट भी हैं, इनका वजन 725 किलो के करीब बताया गया है। इसरो ने बताया कि यह सेटेलाइट पृथ्वी पर नज़र रखने का काम करेगा, सेटेलाइट से भेजी गई छवियों का प्रयोग कार्टोग्राफिक अनुप्रयोग, शहरी और ग्रामीण अनुप्रयोगों, तटीय भूमि उपयोग तथा विनियमन, सड़क नेटवर्क की निगरानी, जल वितरण, भूमि के लिए नक्शा बनाने, परिवर्तन का पता लगाने और विभिन्न प्रकार की भूमि सूचना प्रणाली तथा भौगोलिक सूचना प्रणाली के अनुप्रयोगों में हो सकेगा। इसरो ने इससे पहले तक अप्रैल 2008 में सबसे ज्यादा 10 सेटेलाइट छोड़े थे। इसरो ने अबतक कुल 57 विदेशी सेटेलाइट्स छोड़े हैं, इन सभी को 18 अलग-अलग मिशन पर अंतरिक्ष में भेजा जा चुका है। दुनिया की बात करें तो रूस सबसे आगे है, उसने एक बार में 37 सेटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे हैं। रूस ने यह कारनामा 2014 में किया था।
इसरो ने सारी सेटेलाइट्स आज आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ीं। सेटेलाइट्स को ले जाने के लिए पीएसएलवी-सी34 का इस्तेमाल किया गया, इसमें से 13 यूएसए के प्लांट लेब ऑर्गेनाइजेशन के हैं, प्रत्येक का वजन 4.7 किलो है। अन्य 19 उपग्रहों में से एक ‘सत्यभामा’ सेट, जिसका वजन 1.5 किलोग्राम है और इसे चेन्न्ई के सत्यभामा विश्वविद्यालय के छात्रों के सहयोग से बनाया गया है, दूसरा उपग्रह ‘स्वयं’ है, जिसका वजन एक किलो है और इसे पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के छात्रों की मदद से बनाया गया है, जबकि 17 बचे हुए उपग्रह विदेशी ग्राहकों के उपग्रह हैं। इसमें 13 सेटेलाइट अमेरिका, दो कनाडा, एक जर्मनी और इंडोनेशिया के हैं। इस सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत ने पीएसएलवी प्रक्षेपण यान की मदद से अब तक 113 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया है, जिसमें 39 भारतीय और 74 विदेशी उपग्रह हैं। कार्टोसेट-2 श्रृंखला के सभी 20 उपग्रहों का कुल वजन 1288 किलोग्राम है। आने वाले दिनों में यह उपग्रह अपने पेनक्रोमेटिक और मल्टीस्पेक्ट्रल कैमरों की मदद से रिमोट सेंसिंग सेवा प्रदान करेगा।