स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 1 November 2016 01:17:28 PM
मुंबई/ रोहतक। रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने उत्तर रेलवे के दिल्ली प्रभाग के तहत हरियाणा में रोहतक-गोहाना खंड पर 5 लेवल क्रॉसिंग को हटाने के लिए कल मुंबई से वीडियो कांफ्रेंस के जरिये भारतीय रेलवे की चार किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रेल लाइन की आधारशिला रखी। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस परियोजना की बदौलत रोहतक के निवासियों को होने वाली सहूलियत के लिए एक टेलीफोन संदेश के जरिये सुरेश प्रभाकर प्रभु को धन्यवाद और बधाई दी। रोहतक में एक समानांतर समकालिक समारोह आयोजित किया गया, हरियाणा सरकार में सहयोग मंत्री मनीष कुमार ग्रोवर ने इसकी अध्यक्षता की। सुरेश प्रभाकर प्रभु ने इस अवसर पर कहा कि रोहतक के निवासियों को आवाजाही में काफी सहूलियत प्रदान करने के साथ-साथ सड़कों पर चलने वाले लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने की खातिर ही इस परियोजना की परिकल्पना की गई है, इस प्रकार भारतीय रेलवे हरियाणा राज्य में और ज्यादा कनेक्टिविटी सुलभ कराने के लिए अपने प्रयासों को निरंतर जारी रखेगी।
सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कहा कि रेलवे ने विभिन्न विकास परियोजनाओं के जरिये एक आधुनिक भारत की परिकल्पना की है और इसने अथक प्रयासों एवं पहलों के जरिये इस लक्ष्य को पाने की दिशा में निरंतर प्रगति की है। रोहतक-गोहाना रेल खंड पर इस एलिवेटेड रेल लाइन के निर्माण पर 315 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इससे रोहतक शहर में भीड़-भाड़ से निजात दिलाने में मदद मिलेगी। यह परियोजना रिहायशी कॉलोनियों को जोड़ने वाले 5 व्यस्त लेवल क्रॉसिंग को हटाकर सड़कों पर चलने वाले लोगों को सुरक्षा मुहैया कराएगी तथा रेलवे के लिए परिचालन में लचीलापन सुनिश्चित करेगी। यह भारतीय रेलवे का प्रथम एलिवेटेड रेल ट्रैक है, जिसे अत्यंत घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में सड़कों पर यातायात को सुगम बनाने के लिए निर्मित किया जा रहा है। इस पर 315 करोड़ रुपये की कुल लागत में से 90 करोड़ रुपये रेलवे व्यय करेगी, जबकि शेष धनराशि हरियाणा सरकार उपलब्ध कराएगी।
एलिवेटेड ट्रैक को रेलवे की जमीन पर सड़क के निर्माण के लिए 12 मीटर चौड़ी पट्टी छोड़ने के बाद निर्मित किया जाएगा और एक बार इसके संचालन में आने के बाद वर्तमान ट्रैक का उपयोग नहीं किया जाएगा। इस परियोजना को 2018 तक पूरा कर दिया जाएगा, जब बुलेट रेल परियोजना पर वास्तविक रूप से कार्य का शुभारंभ होगा। सर्वेक्षण, भू-तकनीकी जांच और डिजाइन एवं ड्राइंग आदि के रूप में प्रारंभिक कार्य के लिए निविदा भी दी जा चुकी है और कार्य भी शुरू हो गया है। रेलमंत्री का कहना है कि देश में एलिवेटेड ट्रैक सुरक्षित रहेंगे, क्योंकि उन पर कोई अतिक्रमण नहीं होगा। भीड़-भाड़ वाले शहरों में यातायात और शहरी परिवहन की समस्याओं से निपटने के मामले में एलिवेटेड ट्रैक कितने सहायक सिद्ध होंगे, रोहतक-गोहाना ट्रैक के अनुभव से इसपर अध्ययन करने में भी मदद मिलेगी और यह एक उदाहरण बन सकता है।
एलिवेटेड गलियारों के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की समस्या के साथ परियोजना में विलंब होने जैसे मामलों का भी समाधान निकलेगा। यह एलिवेटेड गलियारा भूमि मालिकों को दी जाने वाली मुआवजा राशि की तुलना में आर्थिक रूप से अधिक व्यावहारिक होगा। इसके अलावा, इससे परियोजना के त्वरित निष्पादन को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा। विदेशों में एलिवेटेड रेल गलियारों को वरीयता दी जाती है। यह न केवल कार्य के शीघ्र निष्पादन को सुनिश्चित करता है, बल्कि दुर्घटनाओं से जान-माल की रक्षा भी करता है। विश्व स्तर पर त्वरित गति की अधिकांश रेलों का संचालन एलिवेटेड गलियारों पर किया गया है। जापान, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों ने अपनी त्वरित गति की रेलों के लिए एलिवेटेड गलियारों का निर्माण किया हुआ है।