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Saturday 4 March 2017 05:07:51 AM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में एथनोग्रॉफिक एंड फोक कल्चर सोसाइटी तथा लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र एवं एंथ्रोपोलॉजी विभाग की ‘दक्षिण एशिया में राजनीति, समाज तथा संस्कृति’ विषयक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। संगोष्ठी में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रोफेसर आनंद कुमार, एथनोग्रॉफिक एंड फोक कल्चर सोसाइटी के अध्यक्ष जी पटनायक, यूनिवर्सिटी आफ पर्थ आस्ट्रेलिया के प्रोफेसर फ्रांसिस लोबो विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं की उपस्थिति उल्लेखनीय है।
राज्यपाल राम नाईक ने मुख्य अतिथि के रूप में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत 1947 में आजाद हुआ तब से हमारे देश का जनतंत्र सफलतापूर्वक चल रहा है और इतना सफल जनतंत्र अन्य देशों में नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत को विकासशील देश कहा जाता है, इसलिए राजनीति, समाज और संस्कृति अपने आपमें महत्वपूर्ण घटक हैं। दक्षिण एशियाई देश विचार की दृष्टि से अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन उनकी सांस्कृतिक और सामाजिक परम्पराओं में समानता है। राज्यपाल ने कहा कि इन देशों की सभ्यता और सामाजिक व्यवस्था का एक-दूसरे पर प्रभाव पड़ा है, दक्षिण एशियाई देश शिक्षा, स्वास्थ्य, आतंकवाद और बेरोज़गारी जैसी चुनौतियों पर संयुक्त रूप से विचार करें। उन्होंने कहा कि देशों की परिस्थितियां भिन्न हो सकती हैं पर आपसी सहयोग से हम प्रगति कर सकते हैं।
राम नाईक ने कहा कि भारत वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करता है। उन्होंने संस्कृत के श्लोक को उद्धृत करते हुए कहा कि तेरा और मेरा विचार छोटी सोच वाले लोग करते हैं, जबकि उदार चरित्र वाले लोग पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व की पुरातन संस्कृति में भारत का यही संदेश है, जो संसद के मुख्य द्वार पर लिखा है। उन्होंने कहा कि बौद्धिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान का हमें लाभ उठाना चाहिए। राम नाईक ने कहा कि दक्षिण एशियाई देशों के बीच में विकासात्मक साझेदारी के लिए राजनैतिक समझ होना महत्वपूर्ण है, राजनैतिक संवाद के जरिये इसकी पूर्ति की जा सकती है। उन्होंने कहा कि सामाजिक आर्थिक विकास को उच्चस्तर पर पहुंचाने हेतु यह आवश्यक है कि हम अपने मूल्यों, विश्वासों तथा सहयोग से राजनीति से जुडे़ रहें, हमारे विकासात्मक अनुभव एक दूसरे के लिए प्रासंगिक हैं।
एथनोग्रॉफिक एंड फोक कल्चर सोसाइटी के अध्यक्ष जी पटनायक ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि एशियाई देश अपनी भौगोलिक, सांस्कृतिक तथा राजनैतिक विशिष्टता के लिए जाने जाते हैं। संगोष्ठी में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह, प्रोफेसर आनंद कुमार, प्रोफेसर फ्रांसिस लोबो और अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे। वक्ताओं शिक्षा, स्वास्थ्य, आतंकवाद और बेरोज़गारी के मुद्दे प्रमुखता से उठाए और उनपर गंभीर विचार विमर्श किया। संगोष्ठी में इस बात पर जोर दिया गया कि आपसी सहयोग के बिना किसी भी समस्या का समाधान मिलने वाला नहीं है, लिहाजा सभी एशियाई देश एक रोड मैप के साथ चलें।