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Wednesday 8 March 2017 04:55:22 AM
लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राजभवन लखनऊ में कार्यरत महिला कर्मचारियों एवं अधिकारियों के कार्यक्रम में राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि हमें आत्मावलोकन करने की आवश्यकता है कि महिलाओं को अब तक उनके कौन से अधिकार मिले हैं और कितने मिलने शेष हैं। उन्होंने कहा कि पाश्चात्य देश में महिलाओं को अपने अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ा, मगर आजाद भारत में उन्हें संविधान के साथ-साथ समानता एवं समान अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह गौर करने की जरूरत है कि महिलाओं को समान अधिकार के साथ-साथ समान अवसर भी प्राप्त हुए हैं या नहीं। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय महिलाओं का गौरवशाली इतिहास रहा है, हमारे देश में महिलाओं ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यपाल, मुख्यमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया है, हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं, जो अभिनंदनीय है।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि अनुकूल वातावरण मिलता है तो बेटियाँ मेहनत के आधार पर आगे बढ़ती हैं, लिंग भेद, भ्रूण हत्या, दहेज तथा महिलाओं को पुरूषों से कम आंकना अपरिपक्व सोच है, इस स्थिति को परिवर्तित करने के लिए सकारात्मक प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि सामाजिक स्तर पर महिला-पुरूष के बीच बराबरी को व्यवहार में लाने की जरूरत है, महिलाओं में प्रतिभा है, महिलाएं अपनी योग्यता एवं प्रतिभा को साबित करते हुए स्वयं अपनी जगह बनाएं। राम नाईक ने कहा कि वे 29 राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं, 20 विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह हो चुके हैं, 4 विश्वविद्यालय नए होने के कारण वहां के छात्र-छात्राएं अभी स्नातक स्तर तक नहीं पहुंचे हैं, शेष विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह अप्रैल माह तक हो जाएंगे, यह उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं में यह पाया गया है कि 64 प्रतिशत पदक छात्राएं प्राप्त कर रही हैं, लड़कियां शिक्षा के प्रति ज्यादा गंभीर हैं, जबकि शिक्षा के साथ-साथ वे घर के काम में भी हाथ बटाती हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह महिला सशक्तिकरण का एक चित्र है, जिसे आगे ले जाने की जरूरत है।
महिला दिवस कार्यक्रम में राज्यपाल राम नाईक की पत्नी कुंदा नाईक ने भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वे शिक्षिका रह चुकी हैं। अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि सामाजिक स्तर पर काफी सुधार आया है, मगर अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को उचित सम्मान देने एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाए जाने की आवश्यकता है। राज्यपाल की प्रमुख सचिव जूथिका पाटणकर ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ भीमराव अम्बेडकर ने संविधान में महिलाओं को पूरा संरक्षण एवं समान अधिकार दिए हैं, महिलाओं को समान अवसर, समान स्थान तथा आर्थिक स्वतंत्रता के साथ-साथ राजनैतिक अधिकार मिलने चाहिएं। उन्होंने कहा कि समाज में महिलाओं के प्रति नजरिया बदला है, यद्यपि उनके प्रति और अधिक संवेदनशीलता की आवश्यकता है।
राज्यपाल के सचिव चंद्रप्रकाश ने राज्यपाल की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के ‘महिलाओं की सुविधाओं के लिये जद्दोजहद’ विषयक शीर्षक से कुछ अंश सुनाए, जिनमें महिलाओं के लिए शौचालय, सांसद एवं विधायक निधि से पानी के नल, रेल दुर्घटना में बीमा सुरक्षा का प्राविधान, महिला स्पेशल, बेबी फूड, स्तनपान प्रोत्साहन, कारगिल के शहीदों की पत्नियों के लिये गैस एजेंसी और पेट्रोल पम्प आदि दिए जाने का उल्लेख था। कार्यक्रम में रीता यादव, सुनीता श्रीवास्तव, अंजु गोयल ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन सरिता सिंह ने किया। इस अवसर पर राजभवन के समस्त अधिकारी उपस्थित थे।