स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Sunday 2 April 2017 05:53:22 AM
नई दिल्ली/ शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के घरपर आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई की छापेमारी और एफआईआर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने सही ठहराया है, जिसके बाद वीरभद्र सिंह का हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर बने रहना अनैतिक हो गया है और भाजपा ने उनसे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने या कांग्रेस से उनको मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग कर डाली है। दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला बहुत स्पष्ट है और वीरभद्र सिंह पर तत्काल मुख्यमंत्री पद त्याग देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र सिंह यादव ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई की सारी कार्रवाई एवं एफआईआर दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा सही ठहराए जाने के बाद उनसे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से तत्काल इस्तीफा देने की मांग की है। भूपेंद्र सिंह ने कहा है कि इन तथ्यों से वीरभद्र सिंह का मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहना न केवल नैतिक, अपितु सार्वजनिक जीवन की मर्यादाओं के भी विरुद्ध है, वे कांग्रेस के भ्रष्टाचार से समझौते के प्रतीक बन गए हैं, इसलिए भाजपा मांग करती है कि उन्हें तत्काल प्रभाव से त्याग पत्र देना चाहिए। भाजपा महासचिव ने एक बयान में कहा है कि कांग्रेस में नैतिकता का अभाव और भ्रष्टाचार का प्रभाव इतना बढ़ गया है कि न्यायालय के हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर निर्णय के बाद भी कांग्रेस क्यों मौन है?
भूपेंद्र सिंह यादव ने कहा है कि अगर कांग्रेस में जरा सी भी नैतिकता है तो उसे वीरभद्र सिंह का तुरंत मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा ले लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह के विरुद्ध भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप उस समय के हैं, जब से वे केंद्र में कांग्रेस गठबंधन की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। उल्लेखनीय है कि वीरभद्र सिंह ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा उनके विरुद्ध दायर भ्रष्टाचार के केस के विरुद्ध उच्च न्यायालय दिल्ली में एक याचिका डाली थी, जिसका निर्णय 31 मार्च 2017 को आया है और अपने निर्णय में उच्च न्यायालय ने वीरभद्र सिंह की याचिका खारिज करते हुए उनके विरुद्ध दायर की गई एफआईआर को सही माना है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने अपनी प्रारंभिक जांच में यह पाया है कि वीरभद्र सिंह ने अपने आयकर रिटर्न खातों में यह दिखाया है कि वर्ष 2008-09 और वर्ष 2010-11 के दौरान उनके सेब के बागों का मुनाफा 6 करोड़ से ज्यादा था, जबकि उससे पहले के और उसके बाद के वर्षों में उनका मुनाफा शून्य था। भूपेंद्र यादव का कहना है कि यह तथ्य स्वत: ही यह बताने में काफी है कि वीरभद्र सिंह ने अपनी काली कमाई छिपाने के लिए अपने खातों में अपने सेब के बागों की कमाई को अवैध रूप से दिखाया। उच्च न्यायालय दिल्ली ने सीबीआई की अन्वेषण की कार्रवाई के दौरान वीरभद्र सिंह के निवास स्थान पर मारे गए छापों को भी उचित माना है। उच्च न्यायालय दिल्ली ने यह भी माना है कि वीरभद्र सिंह पर एफआईआर रजिस्ट्रेशन के पीछे किसी प्रकार का दुष्विचार तथा राजनैतिक उद्देश्य नहीं था।
भूपेंद्र यादव ने कहा कि इस मामले में स्टांप पेपर के रजिस्टर पर साधारण ध्यान देने से ज्ञात होता है कि अपने अवैध अनुबंध को उचित ठहराने के लिए इसमें जाली एंट्री की गई हैं। उन्होंने कहा कि स्टांप पेपर रजिस्टर पर की गई कटिंग यह स्पष्ट रूप से सिद्ध करती है कि इसमें कुछ प्रविष्टियां बाद की तारीखों में की गई हैं, जिस तरीके से वीरभद्र सिंह के एजेंट आनंद चौहान ने इस रजिस्टर पर हस्ताक्षर किए हैं, उसमें और रजिस्टर में पूर्व में की गई प्रविष्टियों के हस्ताक्षरों में विरोधाभास प्रकट होता है, उससे यह सिद्ध होता है कि यह प्रविष्टियां बाद की तारीखों पर उस स्थिति में की गईं जब इनकम टैक्स विभाग ने उन पर कार्रवाई की।