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Sunday 16 April 2017 02:39:44 AM
हरिद्वार (उत्तराखंड)। उत्तराखंड के राज्यपाल डॉ कृष्णकांत पाल ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के पंचम दीक्षांत समारोह में दीक्षा प्राप्त विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा है कि जहां आपने जन्म लिया है, जहां आप पले-बढ़े और पढ़े हैं, उस क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि तथा भविष्य के विकास का केंद्र बनाना अपनी नैतिक जिम्मेदारी मानें। उन्होंने कहा कि भारतवर्ष की सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखते हुए ही आधुनिकता को अपनाएं, वैश्विक प्रतिस्पर्धा के इस युग में सफलता के लिए आधुनिक तकनीक का ज्ञान आवश्यक है, मगर अपनी संस्कृति को मजबूत करते हुए आधुनिक ज्ञान और तकनीकी संयत्रक के रूप में राज्य की उन्नति के लिए अपनी सक्रिय भूमिका भी सुनिश्चित करें।
राज्यपाल डॉ कृष्णकांत पाल ने विद्यार्थियों से कहा कि अच्छी पुस्तकों के अध्ययन की आदत के साथ ही नया सीखने की ललक और लगन को हमेशा जीवंत रखें, इससे सकारात्मक सोच, रचनात्मक और वैचारिक शक्तियां मजबूत होती हैं, नवाचार या इनोवेशन की प्रेरणा मिलती है तथा किसी एक समस्या के अनेक समाधानों का मार्ग भी खुलता है। डॉ कृष्णकांत पाल ने उपाधि प्राप्त स्नातकों तथा स्वर्ण पदक विजेताओं को बधाई दी और उन्हें समझाया कि अब उनके जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है, जिसमें चुनौतयां होंगी तो मान-प्रतिष्ठा के भी अनेक अवसर होंगे। उन्होंने कहा कि भविष्य की किसी भी विपरीत परिस्थिति को चुनौती के रूप में स्वीकार करें और मानवीय मूल्यों के आलोक में अपने ज्ञान, विवेक, कौशल से चुनौतियों का सामना करते हुए जीवन में सफलता की ओर बढ़ें।
राज्यपाल ने विश्वासपूर्वक कहा कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय से शिक्षित तथा भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों से पोषित हो रही युवा पीढ़ी पूरे आत्मविश्वास से राष्ट्रनिर्माण में महत्वपूर्ण तथा सक्रिय भूमिका का निर्वहन करती रहेगी। राज्यपाल ने आधुनिक तकनीकी ज्ञान को अपनाए जाने पर विशेष बल देते हुए कहा कि तेजी से बदलती दुनिया में प्रासंगिक रहने और सफल होने के लिए स्वयं को सदैव अद्यतन करते रहना होगा। उन्होंने कहा कि रोज़गार की तलाश करने की जगह रोज़गार देने की स्थितियां बनाने के लिए साहस जुटाना चाहिए। राज्यपाल ने युवाओं में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को आवश्यक बताते हुए कहा कि जीवन में प्रगति के लिए यह जरूरी है, लेकिन उसमें अनुचित व अनैतिक तरीकों का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने स्वमूल्यांकन की क्षमता बढ़ाकर अपने भीतर की कमियों को पहचानने और उसे दूर करने की कोशिश करने के लिए भी युवाओं को प्रेरित किया।