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Saturday 13 May 2017 03:01:51 AM
चंडीगढ़। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब और राजस्थान राज्यों, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और संघ शासित राज्य चंडीगढ़ की उत्तरी क्षेत्र परिषद की 28वीं बैठक गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में कल चंडीगढ़ में हुई। परिषद की बैठक में उप मदों सहित सदस्य राज्यों के समान हितों के 18 मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई, उनमें उत्तरी राज्यों में वित्तीय और अवसंरचनात्मक सद्भाव की आवश्यकता, राज्यों से फल, पुष्प एवं सब्जियों के निर्यात के संयुक्त प्रयासों, इस क्षेत्र की विभिन्न नदियों के जल तथा पनबिजली का राज्यों के बीच बंटवारा, नुकसानदायक अपशिष्ट के निपटान के लिए सामान्य उत्प्रवाही उपचार संयंत्रों और उपचार भंडारण एवं आपदा सुविधा, हरिके बैरेज से निकलने वाली राजस्थान की नहरों में प्रदूषण और पंजाब में भाखड़ा मुख्य लाइन नहर पर 27 स्थानों पर कुल 63.75 मेगावाट विद्युत वाली लघु पनबिजली परियोजनाओं की स्थापना आदि विषय शामिल थे। उत्तरी क्षेत्र परिषद बैठक में जिन 18 विषयों पर चर्चा की गई, उनमें से 7 विषयों का निपटान कर लिया गया है।
औद्योगिक क्षेत्रों के उत्प्रवाहियों तथा कस्बों के सीवेज का यमुना नदी और घग्गर नदी तथा राजस्थान की नहरों में बहाया जाना एक अंत:राज्यीय समस्या है। एक बड़े कदम के रूप में सभी सदस्य राज्यों ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मार्गदर्शन में जल प्रदूषण की समस्या को संयुक्त रूपसे निपटारा करने के बारे में आम सहमति व्यक्त की। फलों, फूलों और सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अपीडा ने जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के लिए परियोजनाओं को स्वीकृतियां प्रदान की है। राज्यों से यह अनुरोध किया गया कि वे जल और पनबिजली के बंटवारे के विवादित मामलों को सम्बंधित केंद्रीय मंत्रालयों की मध्यस्थता से सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाएं। गौरतलब है कि राज्यों के बीच अंत:राज्य सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने के लिए राज्य पुर्नगठन अधिनियम 1956 के अंतर्गत पांच क्षेत्रीय परिषदों का गठन किया गया था। इनको आर्थिक रूपसे, राजनीतिक रूपसे एवं सांस्कृतिक रूपसे एक दूसरे से जुड़े राज्यों के लिए एक संयुक्त प्रयास के रूप में किसी मामले पर चर्चा और सिफारिश करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। उच्चस्तरीय सुसम्बद्ध निकाय होने के कारण ये राष्ट्रीय दृष्टिकोण के साथ-साथ क्षेत्रीय कारकों को ध्यान में रखते हुए विशिष्ट मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने में समर्थ हैं।
केंद्र सरकार ने इन क्षेत्रीय परिषदों को सशक्त बनाया है। वर्ष 2015 से विभिन्न क्षेत्रीय परिषदों की 9 बैठकें तथा इनकी स्थायी समितियों की 11 बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। इन बैठकों में कुल 699 मुद्दों पर चर्चा की गई और 345 का निपटान किया गया है। गृहमंत्री ने बैठक में मौजूद सभी मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों एवं मुख्य सचिवों को सलाह दी है कि कश्मीरी विद्यार्थियों एवं नौजवानों को, चाहे वो देश में कहीं भी हों, के साथ सौहार्द एवं सम्मान का बर्ताव किया जाना चाहिए और उन्हें आसान माहौल प्रदान किया जाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरे भारत के सब नौजवान और युवतियां भारत के बच्चे हैं और उनके साथ उसी प्रकार का व्यवहार किया जाना चाहिए। बैठक में हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों, संघ-राज्य क्षेत्र चंडीगढ़ के प्रशासक, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उप-राज्यपाल, जम्मू एवं कश्मीर तथा राष्ट्रीय राष्ट्रीय क्षेत्र दिल्ली के उप मुख्यमंत्रियों, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब, राजस्थान के मंत्रियों और केंद्र तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में विभिन्न विषयों पर सहकारी संघ-वार की भावना के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से विचार-विमर्श किया गया और अगली बैठक राजस्थान में आयोजित करने के निर्णय के साथ बैठक समाप्त हुई।