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Monday 5 June 2017 01:22:54 AM
हरिद्वार। अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ प्रणव पण्ड्या अपने ज्ञान और विवेक से गंगा और गायत्री की महत्ता व्यक्त करते हुए कहते हैं कि गंगा और गायत्री पवित्रता की दो धाराएं हैं, गंगा प्रत्यक्ष है तो गायत्री परोक्ष, गंगा स्नान से बाह्य शुद्धि होती है तो गायत्री की उपासना से साधक के जीवन में आंतरिक शुद्धता आती है। डॉ प्रणव पण्ड्या शांतिकुंज में गंगा दशहरा और गायत्री जयंती पर्वोत्सव मनाने आए देश-विदेश के हजारों स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं एवं निर्मल गंगा जन अभियान में जुटे सैकड़ों गायत्री तीर्थ के युवाओं के तीन दिवसीय आध्यात्म पर्वोत्सव के मुख्य कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि गायत्री सद्बुद्धि की अधिष्ठात्री है, इसके जप से साधक का ज्ञान बढ़ता है और उनकी वृत्ति सकारात्मक दिशा को प्रवृत्त होती है। उन्होंने कहा कि जिस तरह अपने पुत्रों की रक्षा हेतु सगर और भागीरथ सहस्र तप करके गंगा को धरती पर लाए, उसी तरह इस युग के भागीरथ युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने सम्पूर्ण मानव जाति के उत्थान के लिए गायत्री को जन-जन तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि गायत्री ने सामूहिक संस्कृति का परिष्कार किया है, यह राष्ट्र की आराधना का महामंत्र है। विज्ञानवेत्ता डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि गायत्री परिवार की संस्थापिका वंदनीया माता भगवतीदेवी शर्मा के जन्मशताब्दी वर्ष 2026 तक के कालखंड को तीन-तीन वर्ष के तीन भागों में बांटकर योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनके अंतर्गत श्रेष्ठता का वरण, तेजस्विता, निर्भीकता और सामूहिकता-सहगमन से गायत्री परिवार चल रहा है।
डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि इन योजनाओं के माध्यम से कई जटिल समस्याओं का समाधान होता दिखाई देगा। उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार के दस लाख से अधिक युवा और स्वयंसेवी गंगोत्री से गंगासागर तक की 2525 किलोमीटर दूरी तय करने वाली पतित पावनी माँ गँगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने में कई वर्ष से जुटे हैं और अब तक स्वच्छ गंगा योजनाओं में अच्छी सफलता भी मिली है। उन्होंने कहा कि गंगा में मिलने वाली कई नदियों को भी स्वच्छ करने में गायत्री परिवार सक्रिय है। गायत्री परिवार की अधिष्ठात्री शैल दीदी ने कहा कि गायत्री और गंगा भाव संवेदनाओं की देवियां हैं, इनकी प्रेरणाओं को जीवन में उतारने से जीवन महान बनता है। उन्होंने भी कहा कि गंगा जहां स्थूल शरीर को शुद्ध करती है, वहीं गायत्री अंतःकरण को पवित्र बनाती है। शैलदीदी ने गायत्री के तीन चरण-उपासना, साधना एवं आराधना के मार्मिक उदाहरण देते हुए इनका नियमित रूपसे पालन करने की शिक्षा दी।
अधिष्ठात्री शैलदीदी ने त्रिशंकु, पाण्डवों आदि के उदाहरण से गंगा और गायत्री की महत्ता पर विस्तार से चर्चा की। शैलदीदी ने चेतना के अवतरण के लिए निरंतर सीखते रहने, बार-बार अभ्यास, सत्कर्मों की याद दिलाते रहने एवं आस्था-भावना को जाग्रत रखने पर ज़ोर दिया। इस अवसर पर गायत्री परिवार के प्रमुख सदस्यों ने हिंदी की दो और असमिया की दो किताबों का विमोचन भी किया। गायत्री पर्व पूजन का वैदिक कर्मकांड जितेंद्र मिश्र ने सम्पंन कराया। ब्रह्ममुहूर्त में डॉ प्रणव पण्ड्या एवं शैलदीदी ने आचार्यश्री के प्रतिनिधि के रूप में सैकड़ों श्रद्धालुओं को गायत्री महामंत्र की दीक्षा दी। गायत्री परिवार ने अपने आराध्य पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की 27वीं पुण्यतिथि को संकल्प दिवस के रूप में मनाते हुए उनके बताये सूत्रों का स्वयं पालन करने एवं दूसरों को भी प्रेरित करने की शपथ ली। ब्रह्मवादिनी बहिनों ने विभिन्न संस्कार सम्पन्न कराए। सायंकाल दीप महायज्ञ में आहुतियां समर्पित की गईं। कार्यक्रम का संचालन नमोनारायण पांडेय ने किया।