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Wednesday 7 June 2017 05:25:13 AM
मथुरा। उत्तर प्रदेश के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने इन बातों का खंडन किया है कि योगी आदित्यनाथ सरकार पत्रकारों से दूरी बढ़ा रही है। मथुरा में उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन की 'पत्रकारिता के मापदंड तब पंडित दीनदयाल उपाध्याय, गणेश शंकर विद्यार्थी, माखनलाल चतुर्वेदी, बाबूराव पराड़कर और आज की पत्रकारिता' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल उूल-जलूल के विवादों से बचने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश सरकार के दो जिम्मेदार मंत्रियों को पत्रकारों से बातचीत का दायित्व सौंपा है, ताकि पत्रकारों और जनता में कोई भ्रम की स्थिति उत्पन्न न हो। गौरतलब है कि मीडिया में यह काफी चर्चा है कि योगी आदित्यनाथ मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं और उनका जिस प्रकार मीडिया से व्यवहार और संपर्क होना चाहिए, वह नहीं है, वे भी कुछ पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों की उपेक्षापूर्ण परिपाटी पर चल रहे हैं, जबकि उनसे आशा की जा रही है कि वे मीडिया एवं अपनी सरकार के बीच संबंधों में व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनिंदा मीडिया से मिलने या सरकार के दो मंत्रियों को मीडिया के संपर्क में रखने के प्रयोग को योगी सरकार की एक नापसंद शैली माना जा रहा है।
सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह को सरकार के मीडिया से संबंधों पर जो सफाई देनी पड़ी है, उसके कुछ तो ऐसे मायने हैं, जो योगी सरकार की मीडिया से दूरी की ओर इशारा करते हैं। यद्यपि इसके लिए मीडिया के कुछ ही लोग जिम्मेदार माने जाते हैं, जिन्होंने राज्य की बसपा-सपा सरकारों में अपने आवांछित कृत्यों और सांठगांठ से मीडिया की छवि को तारतार करने का काम किया है, मगर इसके लिए मायावती सरकार और अखिलेश यादव सरकार भी उतनी ही जिम्मेदार मानी जाती हैं, जिन्होंने अपने मीडिया स्वार्थों के चलते मीडिया में भेदभावपूर्ण स्थिति पैदा की, जिसका वे खामियाजा भी भुगत रही हैं, इसी प्रकार सारे ही मीडिया को एकसा मानकर योगी सरकार भी मीडिया से अलग-थलग जाती नज़र आ रही है, मीडिया का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कोई भी सीधा या व्यावहारिक संवाद नहीं है। सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने योगी सरकार और मीडिया के बीच पैदा होती खाई को पाटने की कोशिश करते हुए मीडियाकर्मियों की समस्याओं के प्रति योगी सरकार को संवेदनशील साबित करने की कोशिश की। उन्होंने महसूस किया कि कुछ भ्रम हैं, जिसपर सरकार को तुरंत ध्यान देना होगा।
धर्मपाल सिंह ने कहा कि जब वे श्रममंत्री हुआ करते थे, तब उन्होंने पत्रकारों को मालिकों के उत्पीड़न से मुक्त कराने के लिए उनका पूरा साथ दिया, पत्रकारों का उत्पीड़न करने वाले अख़बार मालिकों को नोटिस भी जारी किए गए, लेकिन उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि इस लड़ाई में पत्रकार ही उनका साथ छोड़ गए थे। उन्होंने कहा कि मागें मानी जानी चाहिएं, नहीं तो उन्हें छीनने के लिए संघर्ष भी जरूरी है, लेकिन उसमें कानून की मर्यादा बनी रहनी चाहिए। बहरहाल सिंचाई मंत्री ने पत्रकारों के हितों की रक्षा करने के सरकार के संकल्प को व्यक्त करते हुए योगी सरकार और मोदी सरकार के देशव्यापी कार्यक्रमों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि देश में पहली बार मोदी सरकार ने मुद्रा बदलकर भ्रष्टाचार को खत्म करने का क्रांतिकारी कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि देश की संपदा सोने चांदी नहीं, बल्कि नदियां हैं, नदियों में हमारी संस्कृति और सभ्यता रची बसी है, लेकिन नदियों को साफ रखना चुनौतीपूर्ण है, जिसका मुकाबला करने के लिए सभी के योगदान की आवश्यकता है।
इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्ल्यूजे) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और देश के जानेमाने पत्रकार के विक्रम राव ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि आईएफडब्ल्यूजे ने आजादी के बाद से पत्रकारों की स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण कार्य और संघर्ष किए हैं और आईएफडब्ल्यूजे पत्रकार और उनके परिवारों के हितों के प्रति सततरूप से पूरी तरह जागरूक है। संगोष्ठी में पधारे उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री बलदेव सिंह ने कहा कि पत्रकारों की लेखनी से कार्यपालिका सतर्क रहती है, इससे उसपर कार्य करने का दबाव बना रहता है। उन्होंने कहा कि सत्य को उजागर करना काफी कठिन है, पत्रकार और उसके परिवार को जोखिम का भी सामना करना पड़ता है, जिसके लिए उसे सुरक्षा मिलनी जरूरी है। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश की सरकारें बगैर भेदभाव के कार्य कर रही हैं, जिसमें मीडिया का सहयोग मिलना जरूरी है। श्रमजीवी पत्रकार यूनियन की जिला कमेटी के प्रमुख सुनील शर्मा ने सिचाई मंत्री धर्मपाल सिंह को राज्यपाल के नाम सम्बोधित एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें दुर्घटना या हादसे की स्थिति में पत्रकार के परिवार के भरण पोषण हेतु 20 लाख रुपए की आर्थिक सहायता और साठ वर्ष के सीनियर सिटीजन पत्रकार को आय का कोई अन्य श्रोत न होने की स्थिति में दस हजार रुपए मासिक पेंशन देने की मांग की गई है।
संगोष्ठी के संयोजक एवं आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय सचिव संतोष चतुर्वेदी ने श्रमजीवी पत्रकार यूनियन और आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय और प्रांतीय पदाधिकारियों को स्मृतिचिन्ह स्वरूप राधा-कृष्ण की युगल छवि भेंटकर सम्मानित किया। श्रमजीवी पत्रकार यूनियन की राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ मथुरा में केडी डेंटल कालेज सभागार में सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह और आईएफडब्ल्यूजे के अध्यक्ष के विक्रम राव आदि के दीप प्रज्जवलन से हुआ। अनेक श्रमजीवी पत्रकारों ने संगोष्ठी के विषय पर विचार व्यक्त किए। संगोष्ठी में विचार रखने वालों में दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष हवलदार सिंह, राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौर, यूनियन के कानूनी सलाहकार अश्वनी दुबे, श्रमजीवी पत्रकार यूनियन उत्तरप्रदेश के अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी, आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी विश्वदेव राव, आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्याम बाबू उल्लेखनीय हैं। संगोष्ठी में कुंवर नरेंद्र सिंह, डॉ अशोक अग्रवाल, आशुतोष गर्ग, पंडित भूपेश उपाध्याय, निरंजन धुरंधर, चंद्रकिशोर शर्मा, माताप्रसाद शर्मा, हरवेंद्र चतुर्वेदी, अमित शर्मा, गजेंद्र चौधरी, प्रवेश चतुर्वेदी, यदुवंशमणि पावस, सुभाष सैनी, कल्पना गर्ग, रिज़वान अहमद, योगेश गौतम, दिनेश आचार्य, महेंद्र चौधरी, विजय नागपाल, योगेश आवा, विनोद चौधरी बिट्टू, गगन शर्मा प्रमुखरूप से मौजूद थे।