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देसंविवि में गुरु गोविंद सिंह का प्रकाशोत्सव

सिखों ने भारतीय संस्कृति को बचाया-अहलूवालिया

गुरु और शिष्य परंपरा का निर्वहन हो-मुख्यमंत्री

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 23 August 2017 06:50:44 AM

festival of guru gobind singh in devsnskriti university

हरिद्वार। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के मृत्युंजय सभागार में सिखधर्म के दसवें गुरु गोविंद सिंह का 350वां प्रकाशोत्सव उल्लासपूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत गुरुग्रंथ साहिब की अरदास से हुई। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय संसदीय राज्यमंत्री डॉ एसएस अहलूवालिया पधारे, जिन्होंने अपने संबोधन में कहा कि सिखों का इतिहास वीरता, शहादत एवं शौर्य की गाथाओं से भरा हुआ है, जिन्होंने सदैव भारतीय संस्कृति को बचाए रखा है। डॉ एसएस अहलूवालिया ने कहा कि भारत में लगभग दो प्रतिशत सिख हैं, जो विभिन्न देशों में भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार के साथ भारत की पहचान के रूपमें कार्यरत हैं।
डॉ एसएस अहलूवालिया ने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब में 36 संतों की वाणी है, जिनके अंतिम श्लोक में भगवान श्रीराम का जिक्र है और जो सभी धर्मों की एकता और अखंडता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि आज जन-जन तक इसकी प्रेरणाएं पहुंचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार इस कार्य को सफलता के साथ कर रहा है और हम इस परिवार का विशेष रूपसे आभार व्यक्त करते हैं। अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ प्रणव पंड्या ने कहा कि श्रेष्ठमानव की तीन अवस्थाएं होती हैं, संत, सुधारक और शहीद, इन तीनों गुणों के समंवित रूप थे-गुरु गोविंद सिंह, जोकि समाज के सामने एक श्रेष्ठ उदाहरण हैं।
प्रणव पंड्या ने कहा कि धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के लिए गुरु गोविंद सिंह ने परिवार तक का बलिदान कर दिया। डॉ प्रणव पंड्या ने कहा कि गुरुग्रंथ की ऊर्जा से देवसंस्कृति विश्वविद्यालय प्रकाशित होगा। उन्होंने घोषणा की कि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में गुरुग्रंथ साहिब की स्थापना होगी और गुरुमुखी भाषा की पढ़ाई भी निकट भविष्य में प्रारंभ की जाएगी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इस अवसर पर मौजूद थे। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति को बचाए रखने में गुरु गोविंद सिंह का अमूल्य योगदान है, हिंदू धर्म और संस्कृति को आतताइयों के कुचक्रों से बचाए रखने में उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया, वे त्याग की प्रतिमूर्ति और संत थे।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि समाज और देश को एकजुट रखने में सिखधर्म के गुरुओं का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने अपने बचपन को याद करते हुए गुरु-शिष्य परंपरा के निर्वहन पर जोर दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह वी भगय्या ने कहा कि जब-जब देश में संकट आया है, तब-तब महान गुरुओं ने आगे बढ़कर उसका समाधान निकाला, भारत में भक्ति और शक्ति का अनुपम संगम है, सभी मिलकर युवा पीढ़ी को नई दिशा देने के लिए कार्य करें। उन्होंने कहा कि समाज के प्रत्येक क्षेत्र में आई विपदाओं को गुरुओं ने दूर किया, हम सभी को राष्ट्र देवता की आराधना करनी चाहिए।
तख्त हरमिंदर साहब के प्रमुख जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह ने कहा कि वे गंगा स्वच्छता अभियान में गायत्री परिवार के साथ मिलकर कार्य करेंगे। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय परिवार की ओर से प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पंड्या ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह, युगसाहित्य एवं पौधे भेंटकर सम्मानित किया, तो वहीं सिख भाइयों ने भी शांतिकुंज और विश्वविद्यालय परिवार को रूमाला भेंट किया। इस दौरान अतिथियों ने गोविंद गीता का विमोचन किया। कार्यक्रम में कुलपति शरद पारधी, कुलसचिव संदीप कुमार, हरिद्वार के मेयर मनोज गर्ग, जिला और पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, सिख सम्प्रदाय के अनेक अनुयायियों के साथ विश्वविद्यालय और शांतिकुंज परिवार मौजूद था।

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