स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 23 February 2013 06:41:05 AM
छतरपुर। छतरपुर के कलेक्टर राजेश बहुगुणा ने छतरपुर में खेती की भूमि को अवैध रूप से आवासीय भू-खंडो में विक्रय कर करोड़पति बनने वालों के सपनों पर पानी फेर दिया है। इससे भू-माफियों में हड़कंप मचा हुआ है, भू-माफियाओं ने नेताओं की शरण में जाकर इस आदेश का पलटवाने के लिए पूरा जोर लगा दिया है, लेकिन छतरपुर जिला कलेक्टर ने जो आदेश दिया है, वह नियम के तहत है, जिसे रद्द कराना भू-माफियों के वश से बाहर है। छतरपुर जिला कलेक्टर के इस आदेश से जिले में अवैध कालोनियों का कारोबार ठप्प हो गया है।
कृषि भूमि कानून बहुत सशक्त है, जिसमें राजनेता भी कुछ नहीं कर सकते हैं, जो मध्य प्रदेश सरकार के नियम में परिवर्तन से ही बदल सकता है। छतरपुर जिले में विकसित हो रही अवैधानिक कालोनियों के विरूद्ध कलेक्टर ने जिले में अभियान चलाकर प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिए थे, जिसमें सर्व प्रथम राजनगर तहसील में 24 अवैधानिक कालोनियों को, छतरपुर में 37 कालोनियों, नौगांव में 23 कालोनियों के विरूद्ध कार्रवाई की गई। इसमें 11 कालोनियों को अवैघानिक घोषित कर दिया गया, जिसमें 3 नगर पंचायत हरपालपुर की थीं।
जिला कलेक्टर के आदेश के पालन में जिला पंजीयक छतरपुर ने उप पंजीयक छतरपुर, लवकुश नगर, राजनगर, बिजावर, नौगांव, बक्स्वाहा को लिखित आदेश दिए और जहां आदेश नहीं पहुंच सके, वहां उन्होंने दूरभाष पर सूचना देकर तत्काल कार्रवाई करने को कहा। इस आदेश के तहत अब नगर पालिका, नगर पंचायत, क्षेत्र की भूमि तथा नगर पालिका नगर पंचायत सीमा से लगे ग्रामों की भूमि 50 आरे से कम भूमि विक्रय होने पर भूमि-परिवर्तन डायबर्सन का प्रमाण पत्र होना आवश्यक कर दिया है। इससे यह होगा कि अब छोटे भू-खंडों की बिक्री तत्काल प्रभाव से बंद हो गई हैं, लाखों रूपए में भूमि खरीद कर बिना अनुमति और नक्शा के अवैधानिक कालोनियां विकसित करने वालों की रकम जाम हो गई है, जगह-जगह प्रोपर्टी डीलर के लगे बोर्ड हटने लगे हैं। छतरपुर के लोगों का कहना है कि जो आदेश अब जारी हुआ है वह बहुत पहले जारी हो जाना चाहिए था।