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बहुजन स्वयं 'झंडा और डंडा' उठाएं-लक्ष्य

हरदोई में गांव कृपालपुर में लक्ष्य का विशाल कैडर कैंप

'बहुजन समाज के नेता ही समाज की उपेक्षा कर रहे हैं'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 14 October 2017 02:40:59 AM

cadre camp of the lakshy in village kripalpur in hardoi

हरदोई। दलित समाज को बुनियादी अधिकारों और सामाजिक दायित्वों के प्रति सक्रिय रूपसे जागरुक करने वाले भारतीय समन्वय संगठन यानी लक्ष्य की महिला टीम ने जिला हरदोई के गांव कृपालपुर में लक्ष्य गांव-गांव की ओर अभियान के तहत कैडर कैम्प का आयोजन किया, जिसमें गांव की महिलाओं, बालिकाओं, युवाओं और नागरिकों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। कैंप में लक्ष्य की महिला कमांडरों ने लक्ष्य के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए समाज से कहा कि वह शिक्षा के महत्व को समझे और अंधविश्वास जैसी खतरनाक सामाजिक बुराइयों के परित्याग के लिए अपने आस-पड़ोस को प्रेरित करे। महिला कमांडरों ने कहा कि दलित समाज दूसरे समुदायों से प्रेरणा ले कि उन्होंने अपने बच्चों को शिक्षा देकर किस प्रकार उन्हें प्रग‌ति की दौड़ में शामिल कर दिया है। महिला कमांडरों का सबसे ज्यादा जोर शिक्षा पर था और दूसरी बात उन्होंने पुरुषों और युवाओं से कही कि वे अपने परिवार की भलाई में नशाखोरी का परित्याग करें। लक्ष्य के शिविर में बड़ी संख्या में भागीदारी देखी गई, लेकिन इस बात को लेकर भी निराशा देखी गई कि बहुजन समाज के नेता ही समाज की उपेक्षा कर रहे हैं।
भारतीय समन्वय संगठन अब तक उत्तर प्रदेश, दिल्ली ‌हरियाणा सहित कई राज्यों के जिलों में समाज की जागरुकता के लिए कैडर कैंप लगा चुका है। यहां यह उल्लेखनीय है कि भारतीय समन्वय संगठन दलित समाज में सुधारवादी उद्देश्यों के लिए प्रमुख रूपसे कार्य कर रहा है। यह एक गैर राजनीतिक संगठन है, जिसके कार्यक्रमों में दलित समाज के प्रत्येक वर्ग की बढ़चढ़कर भागीदारी देखी जा रही है। इसकी महिला कमांडर समाज की महिलाओं बालिकाओं और युवाओं के बीच उनकी बेहतरी के लिए काम कर रही हैं। यह संगठन तड़क-भड़क से दूर है और वास्तविकता के साथ सक्रिय है, यही कारण है कि इसे दलित समाज के सामान्य वर्ग का बड़ा भारी समर्थन हासिल हो रहा है। लक्ष्य के कैडर कैंप देखने से ही पता चल जाता है कि यहां दिखावा नहीं है, बल्कि समाज की बेहतरी के लिए संघर्ष है। लक्ष्य के कैडर कैंपों की दूसरे समाज में भी चर्चा होने लगी है। इनमें अनुशासन और अनुसरण देखकर कहा जा सकता है कि सामाजिक क्रांतियां इसी प्रकार जन्म लेती हैं।
हरदोई कैंप में लक्ष्य की कमांडरों ने दलित समाज के आभिजात्य वर्ग से अपने समाज के निर्बल वर्ग की हर प्रकार से बेहतरी के लिए प्रोत्साहित करने का आह्वान किया है और यह एहसास कराया है कि यह उनका दायित्व है कि वे अपने समाज के लोगों को शिक्षा एवं सहयोग प्रदान करने में अपनी भूमिका निभाएं। लक्ष्य कमांडर रेखा आर्या ने कहा कि बहुजन समाज को अपनी स्थिति में परिवर्तन लाने के लिए स्वयं ही रास्ते निकालने होंगे, हमें अपने महापुरुषों के बताए मार्ग को अपनाना होगा। उन्होंने खेद प्रकट किया कि बहुजन समाज के अधिकांश नेताओं ने अपना कर्तव्य ठीक से नहीं निभाया और वे भी अपने समाज में दूषित मानसिकता वाले लोगों जैसा व्यवहार करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज में सुधार की स्थिति में कोई अंतर नहीं आया है, आए दिन बहुजन समाज पर अत्याचार भी हो रहे हैं, उनकी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, जिनपर बहुजन समाज के ही नेता अपना मुंह तक नहीं खोलते हैं, जो कि बहुत दुःखद है, इसलिए अपनी बिगड़ी स्थिति संभालने के लिए स्वयं को झंडा और डंडा उठाना होगा।
लक्ष्य कमांडर राजकुमारी कौशल ने कहा कि बहुजन समाज को अपनी जातियों की दीवारों से बाहर निकलकर एक मजबूत बहुजन समाज बनाना होगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि बहुजन समाज के युवाओं और महिलाओं को बुनियादी शिक्षा और बुनियादी अधिकार के इस आंदोलन की कमान अपने हाथों में लेनी होगी। लक्ष्य कमांडर संघमित्रा गौतम ने सामाजिक विकास के लिए तथागत गौतम बुद्ध की शिक्षाओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि तथागत गौतम बुद्ध ने हमें वैज्ञानिक मार्ग दिखाया है, जिसमें अंधविश्वास का कोसों दूर तक कोई लेना-देना नहीं है, जबकि हम इसी में डूबे हैं। उन्होंने कहा कि गौतम बुद्ध के इस आदर्श और ज्ञान को स्वीकार कीजिए कि आप अपना दीपक स्वयं बनिए! लक्ष्य के सलाहकार एमएल आर्या ने लक्ष्य की सामाजिक क्रांति पर विस्तार से प्रकाश डाला और समाज के लोगों का आह्वान किया कि वे इस सामाजिक क्रांति में शामिल हों और स्वयं ही अपनी स्थिति को बेहतर बनाते हुए शिक्षाजनित समाज के निर्माण की स्पर्धा में शामिल हों, जो वे देखते हैं और उसमें शामिल होने के लिए निर्भरता ढूंढते हैं।

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