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Wednesday 29 November 2017 02:07:21 AM
कोलकाता। राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने कोलकाता में राजभवन में विज्ञान चिंतन समारोह में कोलकाता के वैज्ञानिक समुदाय को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि विज्ञान का सार मानव के सम्मोहन और उत्सुकता से संबंधित है एवं यह नई सीमाओं के लिए अंतहीन खोज से संबंधित है। उन्होंने कहा कि आर्यभट्ट और चरक के युग से लेकर हजारों वर्ष तक भारत में विज्ञान और जांच-पड़ताल की इसकी भावना को अंगीकार किया गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान हमारा बौद्धिक कारण तथा बलगुणक रहा है। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में कोलकाता एवं बंगाल इस प्रक्रिया के केंद्रीय हिस्सा रहे हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने कहा कि आज हमारे सामने बड़ी चुनौती इसे राज्य के बाहर-भीतर और दूसरे भौगोलिक क्षेत्रों में विस्तारित करने की है। राष्ट्रपति ने बताया कि स्वामी विवेकानंद के आग्रह पर जमशेदजी टाटा ने देश में एक विश्वस्तरीय वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान यानी आईआईएससी बैंगलूरू की स्थापना की थी। रामनाथ कोविद ने कहा कि बंगाल के युवा छात्र आज भी युवा विज्ञान स्नातक एवं वैज्ञानिक, युवा इंजीनियर एवं तकनीकीविद विज्ञान और ज्ञान के प्रसार में बहुत अधिक योगदान देते हैं, ऐसा वे पूरे देश और पूरे विश्व में करते हैं।
रामनाथ कोविद ने कहा कि बंगाल की वैज्ञानिक प्रतिभा समूह का दोहन करना खुद बंगाल के लिए काफी लाभदायक है और कोलकाता को भारत के टेक हब के रूपमें रूपांतरित करना, जैसा कि यह एक सदी पहले या यहां तक कि 50 वर्ष पहले जैसा भी इसे बनाना, महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति ने राष्ट्र के प्रति वैज्ञानिकों की प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने कहा कि वे राष्ट्र के वास्तविक निर्माता हैं और उनपर नवीन भारत या एक ऐसा भारत, जो 2022 तक कुछ विशेष विकास उपलब्धियों को हासिल कर लेगा, के लक्ष्य को अर्जित करने की जिम्मेदारी है।