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Thursday 17 May 2018 04:45:13 PM
बैंगलुरू। कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा के नेता डॉ बूकानाकेरे सिद्धलिंगप्पा येदियुरप्पा ने आज सवेरे नौ बजे पद और गोपनीयता की शपथ ले ली है। वे भारत के दक्षिण राज्य कर्नाटक के अभी ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें त्रिशंकु विधानसभा में सबसे बड़े दल के नेता के रूपमें शपथ दिलाई गई है। कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला ने उन्हें पंद्रह दिन के भीतर विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने का अवसर दिया है, दूसरी तरफ इस शपथ ग्रहण के खिलाफ कांग्रेस के सुप्रीमकोर्ट जाने पर सुप्रीमकोर्ट ने शपथ ग्रहण पर रोक तो नहीं लगाई है, किंतु उसने मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से अठ्ठारह मई की सुनवाई लगाते हुए अपेक्षित बहुमत के एक सौ बारह विधायकों की सूची मांगी है। यहां से कर्नाटक का सत्ता संघर्ष अपने चरम पर पहुंच गया है, जिसमें देखना है कि राज्यपाल द्वारा बहुमत सिद्ध करने के लिए दिए गए पंद्रह दिन के समय की बात कायम रहती है, यह सुप्रीमकोर्ट में बीएस येदियुरप्पा को अठ्ठारह तारीख को ही विधायकों की सूची सौंपनी पड़ेगी। ऐसी स्थिति में कुछ भी हो सकता है, जिसमें यदि येदियुरप्पा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो हो सकता है, कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस बार किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी सर्वाधिक एक सौ चार सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी है, जबकि दूसरे नंबर पर अठहत्तर सीटें कांग्रेस को मिली हैं, अड़तीस सीटें जनता दल एस को मिली हैं और दो निर्दलीय जीतकर आए हैं। भाजपा कर्नाटक की जनता की पहली पसंद बनी है और उसने कांग्रेस और जनता दल एस को अस्वीकार किया है, लेकिन कर्नाटक की सत्ता का गणित भाजपा के पक्ष में नहीं है, लेकिन कांग्रेस और जनता दल एस मिलकर सरकार बनाने के लिए एक सौ बारह का आंकड़ा पार कर जाते हैं। कांग्रेस और जनता दल एस एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े थे, लेकिन ये दोनों दल सत्ता हासिल करने के लिए मिल गए हैं, चूंकि यह चुनाव बाद का गठबंधन है, इसलिए राज्यपाल को सबसे बड़े दल के रूपमें बीजेपी विधानमंडल दल के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना पड़ा है, जिन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण कर ली है।
कर्नाटक में सत्ता की जोड़-तोड़ दो संवैधानिक स्तरों पर पहुंच गई है, जिसमें देखना है कि क्या निष्कर्ष निकलता है, मगर जब भाजपा की बीएस येदियुरप्पा की सरकार बन गई है तो भाजपा को अपनी साख बचाने के लिए विधानसभा में अब हर हाल में बहुमत सिद्ध करना है, जिसके लिए भाजपा नेतृत्व कटिबद्ध हो गया है। बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक के शक्तिशाली नेता हैं, जो कांग्रेस और जनता दल एस के विधायकों को अपने खेमे में लाने के लिए लामबंद हो गए हैं और लिंगायत विधायकों पर उनकी नज़र है, उन्हें बहुमत के लिए केवल आठ विधायकों की जरूरत है और देखना है कि ये आठ विधायक कहां से आते हैं। भाजपा हर स्थिति का सामना करने को तैयार है, जिसमें वह बहुमत सिद्ध न होने पर कांग्रेस और जनता दल एस के चुनाव बाद गठबंधन को सत्ता में आता देखना नहीं चाहती, भलेही कर्नाटक में अनुकूल अवसर आने तक राष्ट्रपति शासन लगाना पड़े।
बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने पर कांग्रेस और जनता दल एस ने कर्नाटक में धरना दिया है, दूसरे राजनीतिक दलों ने भी इस शपथ ग्रहण पर नकारात्मक टिप्पणियां की हैं, सुप्रीमकोर्ट से भी मामूली राहत मिली है, इसलिए येदियुरप्पा के पास अपनी सरकार का बहुमत सिद्ध करने का समय बहुत कम है। उन्हें शीघ्रातिशीघ्र बहुमत सिद्ध करना होगा। वैसे तो स्पष्ट स्थिति के अनुसार भाजपा के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं है, लेकिन साम दाम दंड भेद की नीति अपनाकर भाजपा अपना बहुमत सिद्ध कर सकती है। भाजपा को रोकने के लिए दिल्ली से कर्नाटक तक विपक्ष लामबंद है, मगर भाजपा और बीएस येदियुरप्पा कोई कमजोर खिलाड़ी नहीं हैं, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि वे विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध करके दिखा देंगे।