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Wednesday 11 July 2018 02:47:20 PM
देहरादून। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक और संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने देहरादून में आईटीआई भवन में ‘सिपेट : कौशल विकास एवं तकनीकी सहायता के लिए केंद्र’ का उद्घाटन किया और इसके साथ ही दोइवाला में सिपेट की नई इमारत की आधारशिला रखी। देहरादून देश में सिपेट का 32वां केंद्र है। अनंत कुमार ने इस अवसर पर यह बात रेखांकित की कि अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले बुनियादी कच्चे माल में 50 प्रतिशत से भी अधिक मात्रा प्लास्टिक की ही होती है, चाहे वह साधारण चम्मच हो अथवा बुनियादी ढांचागत क्षेत्र या ऑटोमोबाइल अथवा एयरोस्पेस या उन्नत जैव चिकित्सा उपकरणों का निर्माण कार्य हो। उन्होंने जानकारी दी कि जहां कहीं भी प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है, वहां सिपेट में प्रशिक्षित तकनीकी श्रम बल को रोज़गार अवश्य मिलेगा।
रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सिपेट देहरादून में पहले वर्ष में 1500 विद्यार्थियों को दाखिला मिलेगा, दूसरे वर्ष में 2500 और तीसरे वर्ष में 3000 विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के सहयोग से हम निकट भविष्य में प्लास्टिक इंजीनियरिंग में बीटेक पाठ्यक्रमों का शुभारंभ करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 तक सिपेट के 23 केंद्र कार्यरत थे, जो लगभग 40,000 विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दे रहे थे और अब सिपेट प्रतिवर्ष 1,00,000 टेक्नीशियन तैयार कर रहा है। उन्होंने कहा कि सिपेट के इस स्वर्ण जयंती वर्ष में हम समूचे भारत में सिपेट के केन्द्रों की कुल संख्या को बढ़ाकर 50 के पार ले जाएंगे, इस अवसर पर मैं उत्तराखंड में सिपेट के एक और केंद्र को प्रस्तावित करता हूं। प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग के परिदृश्य में पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करने पर सरकार के विशेष जोर का उल्लेख करते हुए अनंत कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने स्वाभाविक तरीके से नष्ट होने वाले बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक को आम उपयोग में लाने के लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में अच्छी प्रगति की है।
अनंत कुमार ने उत्तराखंड के सितारगंज में एक प्लास्टिक पार्क की स्थापना के लिए 40 करोड़ रुपये का आवंटन करने की घोषणा की, जहां अन्य इकाइयों या यूनिटों के अलावा एक प्लास्टिक अपशिष्ट रिसाइक्लिंग यूनिट भी होगी, जो राज्य में प्लास्टिक अपशिष्ट की बढ़ती मात्रा से निपटने में मददगार साबित होगी। उन्होंने कहा कि यह पार्क उत्तराखंड के 5000 से भी ज्यादा लोगों के लिए रोज़गार सृजित करेगा। अनंत कुमार ने कहा कि राज्य में स्थित इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड के पास बेकार पड़ी 833.25 एकड़ अतिरिक्त भूमि को उत्तराखंड के लोगों के कल्याण के लिए भारत सरकार ने राज्य सरकार को हस्तांतरित कर दी है। उन्होंने उत्तराखंड में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के केंद्रों की स्थापना की दिशा में हुई प्रगति पर खुशी व्यक्त की और राज्य में जल्द ही 100 और पीएमबीजेपी केन्द्रों की स्थापना करने की घोषणा भी की है। कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मौजूद थे। उन्होंने यह माना कि तकनीकी कौशल हासिल करना और आगे रोज़गार प्राप्त करना उत्तराखंड में एक बड़ा मसला है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सिपेट इस राज्य के विद्यार्थियों के लिए एक वरदान साबित होगा, क्योंकि यह इस संस्थान से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्हें प्लास्टिक उद्योगों में गारंटीड रोज़गार अवसर मुहैया कराउगा। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि सिपेट से पास होने वाले टेक्नीशियनों को वेतन के रूपमें औसतन लगभग 30,000 रुपये मिलेंगे। उन्होंने आईडीपीएल की भूमि राज्य को दिलाने के लिए केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार का धन्यवाद किया। इस भूमि के लिए उत्तराखंड सरकार पिछले 18 वर्षों से प्रयास कर रही थी। भारत सरकार के रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग के अधीन देहरादून में सिपेट की स्थापना पर कुल मिलाकर 51.32 करोड़ रुपये की लागत आएगी, जिसके लिए भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार 50:50 के आधार पर वित्त पोषण करेगी। इस मौके पर भारत सरकार के रसायन एवं पेट्रोरसायन सचिव पी राघवेंद्र राव, उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, हरिद्वार के सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्र एवं राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी और प्लास्टिक बिरादरी के सदस्य भी उपस्थित थे।