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Thursday 3 January 2019 05:37:27 PM
जालंधर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जालंधर में 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में ‘जय अनुसंधान’ के साथ उद्घाटन व्याख्यान दिया। उन्होंने विज्ञान कांग्रेस की विषयवस्तु ‘भावी भारतः विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की असली ताकत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को लोगों के साथ जोड़ने में है। प्रधानमंत्री ने अतीत के महान वैज्ञानिकों जेसी बोस, सीवी रमण, मेघनाद साहा और एसएम बोस जैसे आचार्यों का जिक्र किया कि इन लोगों नेन्यूनतम संसाधन और अधिकतम प्रयास के जरिए जनता की सेवा की। उन्होंने कहा कि सैकड़ों भारतीय वैज्ञानिकों का जीवन और कार्य प्रौद्योगिकी विकास एवं राष्ट्र निर्माण के संबंध में उनके गहरे बुनियादी दृष्टिकोण की समग्रता का परिचायक है। उन्होंने कहा कि हमारे विज्ञान के आधुनिक मंदिरों के माध्यम से भारत अपने वर्तमान को बदल रहा है और अपने भविष्य को सुरक्षित करने का काम कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों लालबहादुर शास्त्री और अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि शास्त्रीजी ने जय जवान, जय किसान नारा दिया, जबकि अटलजी ने इस नारे में जय विज्ञान को जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम एक कदम आगे बढ़ें और इसमें ‘जय अनुसंधान’ को संलग्न करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान का लक्ष्य दो उद्देश्यों को प्राप्त करने से पूरा होता है-सघन ज्ञान का सृजन और इस ज्ञान को सामाजिक एवं आर्थिक भलाई में लगाना। नरेंद्र मोदी ने कहा कि विज्ञान ईकोप्रणाली की खोज को बढ़ावा देने के साथ हमें नवाचार और स्टार्टअप पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने वैज्ञानिकों में नवाचार को प्रोत्साहन देने के लिए अटल नवोन्मेष मिशन की शुरूआत की है। उन्होंने कहा कि 40 वर्ष की तुलना में इन 4 वर्ष के दौरान ज्यादा टेक्नॉलाजी बिजनेस इंक्यूबेटर्स स्थापित किए गए हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों को सस्ती स्वास्थ्य सेवा, आवास, स्वच्छ पानी, जल एवं ऊर्जा, कृषि उत्पादकता और खाद्य प्रसंस्करण की समस्याओं को हल करने के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध करना होगा। उन्होंने कहा कि विज्ञान सार्वभौमिक है, इसलिए प्रौद्योगिकी को स्थानीय आवश्यकाताओं और परिस्थितियों के अनुरूप हल प्रदान करने के लिए स्थानीय नज़रिया रखना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि बिग डाटा विश्लेषण, कृत्रिम बौद्धिकता, ब्लॉक-चेन इत्यादि को कृषि सेक्टर, विशेषकर छोटी जोत वाले किसानों की मदद के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने वैज्ञानिकों से अपील की वे लोगों का जीवन सुगम बनाने के लिए काम करें। इस संदर्भ में उन्होंने कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सूखा प्रबंधन, आपदा की पूर्वचेतावनी प्रणाली, कुपोषण दूर करने, बच्चों में दिमागी बुखार जैसी बिमारियों से निपटने, स्वच्छ ऊर्जा, स्वच्छ पेयजल और साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में अनुसंधान के जरिए समयबद्ध तरीके से समाधान निकाला जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2008 में भारतीय विज्ञान की प्रमुख उपलब्धियों का उल्लेख किया, जिनमें विमानों में इस्तेमाल करने योग्य जैव ईंधन का उत्पादन, दिव्य नयन-दृष्टि बाधितों के लिए मशीन, ग्रीवा का कैंसर, तपेदिक और डेंगू के निदान के लिए सस्ते उपकरण, सिक्किम-दार्जलिंग क्षेत्र में वास्तविक समय में भूस्खलन चेतावनी प्रणाली प्रमुख है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईएससी, टीआईएफआर और आईआईएसईआर पर आधारित अनुसंधान और विकास के आधार पर देश की शक्ति का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि राज्य विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों में भी मजबूत अनुसंधान ई-प्रणाली विकसित की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय अंतर-विषयी साइबर भौतिक प्रणालियों को मंजूरी दे दी है, जिसमें 3600 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होना है। इस मिशन के तहत अनुसंधान एवं विकास, प्रौद्योगिकी विकास, मानव संसाधन एवं कौशल, नवाचार, स्टार्टअप ईको-प्रणाली, मजबूत उद्योग और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को रखा गया है।
अंतरिक्ष में कॉर्टोसेट-2 और अन्य उपग्रहों की सफलता का प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में गगनयान के जरिए अंतरिक्ष में तीन भारतीयों को भेजने की तैयारी चल रही है। उन्होंने सिकल सेल अनीमिया का कारगर हल खोजने के लिए अनुसंधान शुरू होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवोन्मेष परामर्श परिषद से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के समुचित उपाय करने के लिए मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि हमने प्रधानमंत्री रिसर्च फेलो योजना शुरू की है, जिसके तहत देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों से प्रतिभाशालियों को आईआईटी और आईआईएससी में पीएचडी कार्यक्रमों के लिए सीधा प्रवेश दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस योजना से बेहतर अनुसंधान का रास्ता खुलेगा और प्रमुख शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों की कमी की समस्या दूर होगी।