इस स्तंभ पर प्राचीन तेलुगू लिपी खुदी हुई है। यह नंदी मंडप के दोनों ओर ये जो मंदिर हैं-कामेश्वर मंदिर और काटेश्वर मंदिर, इन्हीं के पास। इतिहास हम भारतीयों के लिए ज्यादा अहमियत नही रखता। अपनी इस कमी का बहुत महंगा मोल भी चुकाया ही होगा हमने। जिसका इतिहास तगड़ा नहीं, उसकी राजनीति भी कैसे तगड़ी होगी भला। भला हो इन अभिलेखों का और भला हो उन गड़े मुर्दे उखाड़ने की कलर में निष्णात लोगों का, जिन्होंने खुद हमारा इतिहास हमको निकाल के थमाया और सिखाया। बहरहाल, इस अभिलेख के अनुसार यह मंदिर 1213 में निर्मित हुआ था यानी आज से कोई आठ सौ वर्ष पूर्व।