बच्चों को कुपोषण के प्रकोपों से लड़ने और उनके जीवन की रक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए डॉ शंभुनाथ सिंह रिसर्च फाउंडेशन, सेव द चिल्ड्रेन एवं जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों के समन्वय से पिंडरा ब्लाक में करुणा परियोजना का संचालन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत ग्राम सभा पिंडरा, सराय, शांहपुर, सहमलपुर, उदपुर में आंगनवाड़ी...
केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय ने पहली जुलाई से सात जुलाई के बीच मनाए जा रहे डिजिटल इंडिया सप्ताह के अवसर पर डिजिटल गुड्डा-गुड्डी बोर्ड को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत श्रेष्ठ व्यवहार के रूप में अपनाया है। इस डिजिटल बोर्ड को महाराष्ट्र के जलगांव जिले में लोकप्रिय बनाया गया है और यह बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ...
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की चयन समिति ने पांच सदस्यों के रिक्त पदों पर सदस्यों के नामांकन के लिए प्राप्त नामों में से पांच नामों को शॉर्टलिस्ट किया है।ये नाम हैं-जार्जुम एटे, दीपिका श्रीवास्तव, प्रीत वर्मा, भुवन रिभु और डॉ योगेश दुबे। निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार महिला और बाल विकास मंत्रालय की वेबसाइट http://wcd.nic.in पर उपरोक्त सदस्यों के जीवनवृत्त (बायोडाटा) डाल दिए गए हैं,...
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज नई दिल्ली में वर्ष 2013 के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्रदान किए और उन्हें अपना शुभ-आशीष दिया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने सबसे पहले उन पांच बच्चों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने दूसरों को बचाने की कोशिश में अपनी जान दे दी। उत्तर प्रदेश की मौसमी कश्यप और आर्यन राज शुक्ला, मणिपुर...
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस वर्ष गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 बच्चों को राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। जिन बच्चों को पुरस्कृत किया जाएगा, उनमें 9 लड़कियां शामिल हैं। पांच पुरस्कार मरणोपरांत दिए जा रहे हैं। नई दिल्ली में भारतीय बाल कल्याण परिषद की अध्यक्ष गीता सिद्धार्थ ने एक संवाददाता...
फैशन की दौड़ में जब सारी दुनिया दीवानी हो रही है, तो भला बच्चें कैसे पीछे रह सकते हैं।बच्चों में बढ़ता फैशन का क्रेज आजकल हर जगह देखने को मिलता है, बच्चे भी स्वयं को कैसे फैशन के अनुसार ढालना चाहते हैं, इसे देखकर कभी-कभी फैशनेबल माता-पिता भी हैरत में पड़ जाते हैं। घर, स्कूल या पार्टी हो सभी जगह बच्चे ज़माने की चाल में चलना...
चौधरिया मेरा नौकर है, बुड्ढा-सा तन का जर्जर है।कुछ सफेद कुछ काले बाल, चलता बिलकुल रद्दी चाल।उसकी है पोशाक निराली, गंदा गमछा कुर्ता खाली।प्रति दिन दस आने है पाता, डेढ़ पाव आटा ले आता।साग आदि घर से ले आता, टिक्कड़ चार बनाकर खाता।पीता है अफीम की बौंड़ी, नहीं टेंट में रखता कौड़ी।ड्योढ़ी पर बैठा रहता है, बच्चों से ऐंठा करता है।...
पात्र 1- बादशाह, 2- मियां जुम्मन, 3- नवाब सिंह 4- मुंशी चन्दूलाल, 5- जोरावर सिंह 6- नकीब।(मंच पर सुंदर ढंग से सजा हुआ तख्त रखा है। सामने कालीन बिछा है। दीवालों से पर्दा टंगा है। ऊपर रंग-बिरंगे गुब्बारे और झंडियां लटक रही हैं। एक बड़ा-सा हुक्का चौकी पर रखा है। पर्दा उठते ही नकीब का प्रवेश)नकीब- बाअदब! बामुलाहिजा होशियार। बादशाहे आलम, सितारे गप्प, नवाबे-गप्प, सरदार बहादुर, राय बहादुर बादशाह हुजूर...
प्यारे बच्चो! जाओ, जाओ, बड़ा सुहाना भोर हुआ है।दिग्मंडल में बाल-विहंगों के गीतों का शोर हुआ है।लो, पूरब से रवि ने अपनी कंचन-सी किरणें बिखराई।मधु-पराग से भरी हुई नन्हीं-नन्हीं कलियां मुस्काई।मुस्काया धरती का कण-कण, मुस्काई नूतन आशाएं।जन-जन के मन में जागी हैं स्नेहमयी नव-अभिलाषाएं।...
सुदर्शन नाम का महाजन मैसूर में व्यापार करता था। उसके दो लड़के थे। बड़े का नाम माधो और छोटे का साधो था। सुदर्शन का ध्येय केवल धन बढ़ाना था। वह अपने पुत्रों को रुपये देकर बाहर भेजता और थोड़े ही दिनों में रुपये को दूना कर लाने के लिए कहता। माधो जुआड़ी निकल गया। हां, साधो सीधा था। सुदर्शन ने दोनों बेटों को एक-एक हजार रुपये देकर व्यापार के लिए बाहर भेजा। माधो जुए में एक-दो दिनों में ही दो हजार...
आओ साथी! कदम बढ़ाओ। दुश्मन को तुम पाठ पढ़ाओ।छोटे-छोटे हम बच्चे हैं, इसकी कुछ परवाह नहीं है।हमको भ्रम में डाले, रोके, ऐसी कोई राह नहीं है।गाओ, गान देश का गाओ। आओ साथी! कदम बढ़ाओ।नहीं मौत में ताकत इतनी जो आकर हमसे टकराए;है यह जन्मभूमि वीरों की-दुश्मन मिट्टी में मिल जाए;आजादी का गीत सुनाओ। आओ साथी! कदम बढ़ाओ।...
सुख-समृद्धि-सी जहां बह रही निर्मल सुरसरि-धारा,जागा देश हमारा।जहां बुद्ध की गूंजी वाणी, दुख-विनाशिनी, शुभकल्याणी।सत्य, अहिंसा, त्याग प्रेम की जग में जिसने कीर्ति बखानी-किया सार्थक अब तक जिसने विश्व शांति का नारा।जागा देश हमारा।क्षमाशील है, अति उदार है, यह बापू की यादगार है।'जियो और सबको जीने दो' कोटि-कोटि जन की पुकार है।जिसने दुनिया को सिखलाया सच्चा भाई-चारा।जागा देश हमारा।...
गांव में दो मित्र रहते थे। एक का नाम रामू और दूसरे का श्यामू। कहीं भी जाना होता, दोनों एक साथ जाते। कोई भी काम करना होगा, एक साथ करते। पर उनके स्वभाव में अंतर था। रामू बहुत चतुर तथा साहसी था। लेकिन श्यामू इसके विपरीत, डरपोक और भोला-भाला था। लोग उसे बेवकूफ बनाकर अपना काम निकालते थे।एक दिन रामू ने श्यामू से कहा - गांव में रहते-रहते जी ऊब गया है। अब शहर में जाकर रहना चाहिए। वहां जो कमाएंगे वही...
सभ्यता का उदय होने के साथ ही मनुष्य की लगातार कोशिश यही रही कि वह हर एक कठिनाई का हल ढूंढ़ निकाले। इन प्रयत्नों में वह सफलता भी पाता रहा। उसने लिपि का अविष्कार करके एक कठिनाई हल की तो वह पत्थरों पर लिखकर या अन्य वस्तु पर लिखकर अपने समाचार दूसरे तक पहुंचाने लगा। फिर इन समाचारों को जल्दी भेजने के लिए उसने बूतरों से काम लेना शुरू किया। उसके साथ ही पश्चिमी देशों, खासकर योरप में एक नई पद्धति...
आओ बच्चो! बालकाव्य का सुंदर भवन दिखाए;कैसे बना विशाल-कहानी इसकी तुम्हें सुनाए।जब से ममता भरी लोरियां हम मां की सुनते हैं-परी-लोक की मधुर कथाएं मन ही मन गुनते हैं;सूर तथा तुलसी ने मिलकर जब से लीला गाई;पड़ी भवन की नींव तभी से सबने खुशी मनाई।श्रीधर, श्री हरिऔध आदि ने साथी कई जुटाएईंटा गारा चूना लाकर खम्भे गये उठाएपण्डित बदरीनाथ भट्टजी 'बालसखा' बन आए।'शिशु' लाए आचार्य सुदर्शन कवि लेखक...