काया के पिंजरे में कैद हंसा-सी फड़फड़ाती वह पवित्र आत्मा, जो जीवन भर एक फिरंगी लेखक की बेवफाई और जमाने भर की रूसवाई का दंश सहती रही, अंतत: अनंत में विलीन हो गई। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सीमांत डिंडौरी जिले के धुर जंगलों में बसे गुमनाम गांव रैतवार की कोसीबाई को उसका प्रारब्ध डॉ हैरी वारियर एल्विन जैसे महान शोधकर्ता लेखक तक खींच ले गया था, जो बाद में उसके लिए परम छलिया सिद्ध हुए। साहचर्य...