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Monday 25 November 2019 05:31:35 PM
बिजनौर। बिजनौर के जिलाधिकारी रमाकांत पांडेय ने कहा है कि प्रतिभा और अर्हता किसी की जागीर नहीं है, यह मेहनत, लगन और धैर्य से प्राप्त होने वाले ऐसे गुण हैं, जिनके आधार पर बिना भेदभाव के कोई भी व्यक्ति अपनी विशिष्ठ पहचान बना सकता है। उन्होंने कहा कि नारी का सशक्तिकरण और सर्वांगीण विकास तभी सम्भव है, जब उनमें शिक्षा, आत्मविश्वास, कुशल एवं शालीन अभिव्यक्ति के गुण हों। उन्होंने कहा कि नारी ने इन्हीं गुणों से सुसज्जित होकर समाज में अपनी विशिष्ठ पहचान बनाई है और जीवन में कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां हमारी बेटियां अपनी प्रतिभाओं के बल पर समाज एवं राष्ट्र के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान न दे रही हों। रमाकांत पांडेय ने कहा कि यही कारण है कि युवतियां किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं और अपनी प्रतिभाओं से वे इस सत्य को व्यावहारिक रूपसे प्रमाणित भी कर रही हैं कि उनके बिना समाज और राष्ट्र के विकास का सपना बेमानी है।
जिलाधिकारी रमाकांत पांडेय भारत सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जनजागरुकता कार्यक्रम के अंतर्गत स्थानीय नेहरू स्टेडियम में मानव श्रृंखला कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज की नारी ने अपने शैक्षिक विकास और आत्मविश्वास से उस प्राचीन धारणा को समाप्त कर दिया है कि नारी समाज पर एक बोझ है। रमाकांत पांडेय ने कहा कि भारत पौराणिक संस्कृति के साथ-साथ महिलाओं के सम्मान के लिए जाना जाता था, लेकिन बदलते समय के साथ कुछ लोगों की सोच में नकारात्मक बदलाव के कारण अब बेटियों और महिलाओं के साथ एकसमान व्यवहार नहीं किया जाता है। रमाकांत पांडेय ने कहा कि जन्म के बाद लड़कियों को कई तरह के भेदभाव से गुजरना पड़ता है, जिससे वे सशक्त होने के बजाय अशक्त हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने और जन्म से ही उन्हें अधिकार देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार की कई योजनाएं हैं, जिससे उनको शैक्षिक और आर्थिक लाभ प्राप्त होगा। रमाकांत पांडेय ने कहा कि वर्ष 1980 से पूरे भारत में लिंगानुपात दिन प्रतिदिन गिरता गया है और आज परिणाम यह है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या बहुत कम हो गई है।
रमाकांत पांडेय ने कहा कि अल्ट्रा-सोनोग्राफी और फोटोस्कोप की मदद से भ्रूण के लिंग का पता लगाया जाता है और अगर भ्रूण में कन्या है तो उसका गर्भपात करा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या एक जघन्य अपराध तो है ही, मानवता और प्रकृति के प्रति भी अत्यंत निंदनीय कार्य है, इससे एक ओर लिंगानुपात में असंतुलन पैदा होता है, वहीं दूसरी ओर मानवीय मूल्यों का भी ह्रास होता है। जिलाधिकारी रमाकांत पांडेय ने कहा कि इस समस्या का समाधान केवल कार्यशाला से ही सम्भव नहीं है, बल्कि जनसामान्य को लिंगानुपात के संकट के प्रति जागरुक करना भी सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश की लगभग आधी आबादी महिलाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षा को लेकर सरकार ने बड़े कदम उठाए हैं, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का विस्तार भी किया गया है। उन्होंने कहा कि योजना का उद्देश्य केवल महिलाओं को शिक्षित करना ही नहीं, बल्कि लिंगानुपात को सामान करना भी है। मुख्य विकास अधिकारी केपी सिंह ने कहा कि बेटियां पूरे आत्मविश्वास के साथ शिक्षा ग्रहण करें और अपनी प्रतिभा से समाज के विकास एवं राष्ट्रनिर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर प्रमाणित करें कि उनके प्रति समाज की धारणा गलत है।
जिलाधिकारी रमाकांत पांडेय ने आकाश में गुब्बारे छोड़कर मानव श्रृंखला कार्यक्रम का शुभारंभ किया और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की शपथ दिलाई। इस अवसर पर छात्राओं ने नारी सशक्तिकरण पर भाषण और गीत प्रस्तुत किए। श्रृंखला का समापन विकास भवन पर हुआ, जहां जिलाधिकारी ने मानव श्रृंखला का भव्य आयोजन करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों और सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त किया। मानव श्रृंखला में स्कूली छात्राएं, एएनएम, आशा, स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, महिला सफाईकर्मी, आंगनवाड़ी कार्यकत्री, एनसीसी कैडेट, पुलिस अधीक्षक शरद त्यागी, उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ एसके निगम, जिला विद्यालय निरीक्षक राजेश कुमार, जिला पंचायतराज अधिकारी संतोष कुमार, जिला प्रोवेशन अधिकारी, जिला सूचना एवं विज्ञान अधिकारी और विभागों के अधिकारी एवं एनजीओ के पदाधिकारी भी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन आसिफ गय्यूर ने किया।