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Thursday 26 December 2019 03:35:36 PM
मुंबई। फोनोग्राफिक परफॉर्मेंस लिमिटेड ने संगीत प्रदर्शकों से ध्वनि रिकॉर्डिंग कॉपीराइट नियम का पालन करने का आग्रह किया है। पीपीएल लाइसेंसिंग और विमुद्रीकरण का कार्य कर रहा है। यह 3 मिलियन से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गीतों के लिए 'पब्लिक परफॉर्मेंस राइट्स' और 'रेडियो ब्रॉडकास्टिंग राइट्स' चला रहा है। इससे आदित्य म्यूजिक, आनंद ऑडियो, लाहिड़ी म्यूजिक जैसे 340 से अधिक शीर्ष संगीत लेबल जुड़े हैं जैसे-मुज़िक 247, सारेगामा, सोनी म्यूजिक, स्पीड रिकॉर्ड्स, एसवीएफ म्यूजिक, टाइम्स म्यूजिक, टी-सीरीज़, यूनिवर्सल म्यूजिक, वीनस। भारत का संगीत उद्योग हर साल सैकड़ों गाने तैयार करता है, जिनमें से कई गाने दर्शकों के साथ गूंजते हैं और हमारे सांस्कृतिक लोकाचार का हिस्सा बने हुए हैं और बन जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में गानों के सार्वजनिक प्रदर्शन उद्देश्यों के लिए ध्वनि रिकॉर्डिंग के उपयोगकर्ताओं से कॉपीराइट का अनुपालन बढ़ाने के लिए एक गहन अभियान चला हुआ है।
प्रवर्तन प्राधिकरणों के साथ-साथ न्यायपालिका ने भी पीपीएल शुल्कों के सरलीकरण और युक्तिकरण के साथ एक प्रमुख भूमिका निभाई है। प्लस जैसी डिजिटल पहलों के कार्यांवयन ने लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है जिसपर व्यवसायों और इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों की प्रतिक्रियाएं काफी तीव्र हो रही हैं। कॉपीराइट अनुपालन के मामले में भारत सबसे विकसित बाजारों में से एक है और इस राजस्व को कलाकारों और प्रदर्शनों की सूची में देख रहा है। अनुपालन को और अधिक बढ़ाने के अपने प्रयास में पीपीएल लगातार प्रयास कर रहा है और यह सुनिश्चित कर रहा है कि कानून के संबंधित प्रावधानों के तहत इनसे निपटा जाए। पीपीएल सभी उपयोगकर्ताओं को उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए अपेक्षित लाइसेंस प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
पीपीएल इंडिया के एमडी और सीईओ रजत काकर ने इसपर टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह खुशी की बात है कि पृष्ठभूमि संगीत और घटनाओं दोनों के लिए प्रदर्शन लाइसेंस लेने वाले प्रतिष्ठानों में भारी उछाल आया है। उन्होंने कहा है कि मैं बड़ी संख्या में लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आगे आने के लिए ध्वनि रिकॉर्डिंग के उपयोगकर्ताओं का आभारी हूं, इसके अलावा मैं यह सुनिश्चित करने के लिए देशभर में प्रवर्तन टीमों को धन्यवाद देना चाहूंगा कि ध्वनि रिकॉर्डिंग के मालिकों की सही आय की रक्षा की जा रही है। पीपीएल में प्रौद्योगिकी पहल और पेशेवर कार्य प्रक्रियाएं हैं, जो यह सुनिश्चित कर रही हैं कि सही मालिकों को उचित मुआवजा दिया जा रहा है। पीपीएल की अंतर्राष्ट्रीय, हिंदी और क्षेत्रीय संगीत में प्रमुख हिस्सेदारी है, जो सार्वजनिक प्रदर्शन और रेडियो प्रसारण के लिए उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध है।
भारत के बाज़ार को अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां कॉपीराइट अनुपालन और नैतिक प्रथाओं के एक चमकदार उदाहरण के रूपमें देख रही हैं, जो बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा करना चाहता है। रजत काकर ने कुछ गुमराह करने वाले गैरआज्ञाकारी उपयोगकर्ताओं से आग्रह किया है कि वे सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए ध्वनि रिकॉर्डिंग के उपयोग के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आगे आएं और नियमों के अनुसार संगीत बजाएं। दरअसल कॉपीराइट अधिनियम 1957 के तहत प्रत्येक प्रतिष्ठान या व्यक्ति को संगीत के कॉपीराइट मालिकों से सहमति प्राप्त करनी होगी, इससे पहले कि वे सार्वजनिक रूपसे संगीत प्रदर्शन का इरादा रखते हैं। उनका कहना है कि तीन मिलियन से अधिक गीतों को नियंत्रित करने के आधार पर पीपीएल इस प्रक्रिया को अपने सभी सदस्यों या कार्यों के उपयोग के लिए एक एकल खिड़की लाइसेंस प्रदान करके सरल बनाता है।
पीपीएल म्यूज़िक लाइसेंसिंग कंपनी है, जो विश्वस्तर पर इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ फ़ोनोग्राफ़िक इंडस्ट्रीज से संबद्ध है और अपने सार्वजनिक प्रदर्शन अधिकारों के मुद्रीकरण के लिए भारतीय और वैश्विक रिकॉर्ड लेबलों के विशाल बहुमत का प्रतिनिधित्व करती है। कंपनी अपने सदस्यों के लिए रेडियो प्रसारण का भी लाइसेंस देती है। पीपीएल ने भारत में लाइसेंसिंग कवरेज बढ़ाकर अपने सदस्यों के लिए मूल्य बढ़ाने के लिए बड़े कदम उठाए हैं। गौरतलब है कि देश में 1957 के कॉपीराइट अधिनियम की धारा 51 और 63 के तहत किसी भी अपराध के रूपमें पीपीएल के कॉपीराइट का उल्लंघन कानूनन दंडनीय है।