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Thursday 6 February 2020 01:45:46 PM
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ डेफएक्सपो के 11वें संस्करण का उद्घाटन करते हुए कहा है कि डेफएक्सपो-2020 भारत के सबसे बड़े रक्षा प्रदर्शनी मंच और दुनिया के शीर्ष डेफएक्सपो में से एक बन गया है, क्योंकि इसबार दुनियाभर की एक हजार से अधिक रक्षा आयुध निर्माताओं की 150 कम्पनियां इसमें भाग ले रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत की इस द्विवार्षिक सैन्य प्रदर्शनी में ग्लोबल रक्षा निर्माण केंद्र के रूपमें देश की संभावनाओं को प्रदर्शित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें न केवल भारत के प्रधानमंत्री के रूपमें बल्कि उत्तर प्रदेश के सांसद के रूपमें सभी का डेफएक्सपो के 11वें संस्करण में स्वागत करने की खुशी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह लोगों और भारत के युवाओं के लिए एक बहुत बड़ा अवसर है, मेक इन इंडिया से न केवल भारत की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि रक्षा क्षेत्र में रोज़गार के नए अवसर सृजित होंगे, इससे भविष्य में रक्षा निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में सिर्फ बाज़ार ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए विशाल अवसर हैं। उन्होंने कहा कि डेफएक्सपो भारत की विशालता, उसकी व्यापकता, उसकी विविधता और दुनिया में उसकी विस्तृत भागीदारी का जीता-जागता सबूत है, यह इस बात का प्रमाण है कि भारत सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्र में मजबूत भूमिका के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह डेफएक्सपो न सिर्फ रक्षा से जुड़े उद्योग, बल्कि भारत के प्रति दुनिया के विश्वास को भी प्रतिबिंबित करता है। प्रधानमंत्री ने कहा डेफएक्सपो की उप विषयवस्तु ‘रक्षा क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन’ कल की चिंताओं और चुनौतियों को दर्शाता है, जैसे-जैसे जीवन टेक्नोलॉजी चलित होता जा रहा है, सुरक्षा से जुड़े मुद्दे एवं चुनौतियां और भी गंभीर होती जा रही हैं, यह केवल वर्तमान के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में रक्षा बल नई प्रौद्योगिकियां तैयार कर रहे हैं, भारत भी दुनिया के साथ कदम से कदम मिला रहा है, अनेक प्रतिकृतियां तैयार की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य अगले पांच वर्ष के दौरान रक्षाक्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के कम से कम 25 उत्पाद विकसित करना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लखनऊ में डेफएक्सपो एक अन्य कारण से भी महत्वपूर्ण है, भारत के प्रधानमंत्री हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने देश में रक्षा उपकरणों के निर्माण का स्वप्न देखा था और इसके लिए अनेक कदम भी उठाए थे, उनकी कल्पना के रास्ते को अपनाते हुए हम अनेक रक्षा उत्पादों के निर्माण में तेजी लाए हैं, हमने 2014 में 217 रक्षा लाइसेंस जारी किए और पिछले पांच वर्ष में यह संख्या 460 पर पहुंच गई। उन्होंने कहा कि भारत आज आर्टिलरी गनों, विमान वाहकों से लेकर युद्धपोत पनडुब्बियों तक का निर्माण कर रहा है, वैश्विक रक्षा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी भी बढ़ी है, पिछले दो वर्ष में भारत ने करीब 17000 करोड़ रुपये मूल्य के रक्षा उत्पाद निर्यात किए हैं, अब हमारा लक्ष्य रक्षा निर्यात को बढ़ाकर 5 बिलियन डॉलर तक ले जाना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन 5-6 वर्ष में हमारी सरकार ने अनुसंधान और विकास को राष्ट्र की नीति का प्रमुख हिस्सा बना दिया है, रक्षा अनुसंधान और विकास तथा निर्माण के लिए देश में आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है, अन्य देशों के साथ संयुक्त उद्यमों का पता लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक केंद्रित दृष्टिकोण के साथ एक ऐसा माहौल तैयार होगा, जहां लोग निवेश और नवोन्मेष के लिए तैयार रहेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उपयोगकर्ता और उत्पादक के बीच सहभागिता से राष्ट्रीय सुरक्षा को और अधिक मजबूत बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि रक्षा निर्माण केवल सरकारी संस्थानों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसकी निजी क्षेत्र के साथ सामान भागीदारी और साझेदारी होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में रक्षा उपकरणों के निर्माण के लिए दो बड़े गलियारों का निर्माण किया जा रहा है, एक तमिलनाडु में और एक उत्तर प्रदेश में होगा, उत्तर प्रदेश के रक्षा गलियारे के अंतर्गत लखनऊ के अलावा अलीगढ़, आगरा, झांसी, चित्रकूट और कानपुर में नोड्स स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत में रक्षा सामानों के निर्माण को गति प्रदान करने के लिए नए लक्ष्य तय किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य अगले पांच वर्ष में रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एमएसएमई की संख्या 15000 से ऊपर ले जाना है, आई-डीईएक्स के विचार को बढ़ाने के लिए 200 नए रक्षा स्टार्ट-अप्स शुरु करने का लक्ष्य रक्षा गया है, यह प्रयास कम से कम 50 नई टेक्नोलॉजी और उत्पादों को विकसित करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि देश के प्रमुख उद्योग संगठन रक्षा सामानों के निर्माण के लिए एक साझा मंच बनाएं, ताकि वे रक्षा के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के विकास और उत्पादन दोनों का लाभ उठा सकें। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्येक 2 वर्ष में होने वाली यह मिलिट्री एक्जीबिशन वैश्विक स्तर पर देश को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब के रूपमें शोकेस करने का उत्कृष्ट अवसर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि डिफेंस एक्स्पो-2020 भारत की रक्षा-सुरक्षा की चिंता करने वालों के साथ-साथ भारत के युवाओं के लिए भी बड़ा अवसर है। मेक इन इंडिया से भारत की सुरक्षा बढ़ेगी, वहीं डिफेंस सेक्टर में युवाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर भी सृजित होंगे। उन्होंने कहा कि दुनिया में जब 21वीं सदी की चर्चा होती है, तो स्वाभाविक रूप से भारत की तरफ ध्यान जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक शस्त्रों के विकास के लिए दो प्रमुख आवश्यकताएं हैं-रिसर्च एंड डेवलेपमेंट की उच्च क्षमता और उन शस्त्रों का उत्पादन। बीते 5-6 वर्ष में केंद्र सरकार ने इसे अपनी राष्ट्रनीति का प्रमुख अंग बनाया है। उन्होंने कहा कि उपयोगकर्ता और उत्पादक यानि यूजर और प्रोड्यूसर के बीच भागीदारी से राष्ट्रीय सुरक्षा को और अधिक शक्तिशाली बनाया जा सकता है, पहले डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में प्राइवेट सेक्टर को टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की बहुत समस्याएं आती थीं, इसके लिए अब रास्ते खोले गए हैं और डीआरडीओ में भारतीय उद्योगों के लिए बिना चार्ज के ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी की नीति बनाई गई है, ऐसे कदमों से वैश्विक सप्लाई चेन्स में भारतीय उद्योगों की भागीदारी बढ़ेगी, दुनिया के टॉप डिफेंस मैन्युफैक्चररर्स को अधिक स्पर्धा इंडियन पार्टनर्स मिलेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को और गति एवं विस्तार देने के लिए नए लक्ष्य रखे गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एमएसएमई की संख्या को अगले 5 वर्ष में 15 हजार के पार पहुंचाना है, आई-डेक्स के आइडिया को विस्तार देने के लिए इसको स्केल-अप करने के लिए 200 नए डिफेंस स्टार्टअप्स शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है, हमारा यह प्रयास होगा कि कम से कम 50 नई टेक्नोलॉजीज और प्रोडक्ट्स का विकास हो सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आज से नहीं बल्कि हमेशा से विश्वशांति का भरोसेमंद पार्टनर है, दो विश्वयुद्ध में हमारा डायरेक्ट स्टेक ना होते हुए भी भारत के लाखों जवान शहीद हुए, आज दुनियाभर में 6 हजार से अधिक भारतीय सैनिक यूएन पीस-कीपिंग फोर्सेज का हिस्सा हैं, यहां डिमांड है, डेमोक्रेसी है और डिसाइसिवनेस भी है। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल, टेररिज्म या साइबर थ्रेट्स, यह पूरे विश्व के लिए एक बड़ी चुनौती है, नए सिक्योरिटी चैलेंजेज को देखते हुए दुनिया की तमाम डिफेंस फोर्सेस, नई टेक्नोलॉजी को इवॉल्व कर रही हैं, भारत भी इससे अछूता नहीं है। उन्होंने कहा कि आने वाले 5 वर्ष में डिफेंस एक्सपोर्ट को 5 बिलियन डॉलर यानि करीब 35 हजार करोड़ रुपए तक बढ़ाए जाने का लक्ष्य है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि डिफेंस एक्स्पो-2020 के दौरान 23 एमओयू के माध्यम से डिफेंस इण्डस्ट्रियल कॉरीडोर में 50 हजार करोड़ रुपए का निवेश सम्भावित है, जिससे लगभग 3 लाख रोजगार के अवसर सृजित होंगे। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का कार्य प्रगति पर है और इसे जनता के लिए वर्ष 2020 के अंत तक खोल दिया जाएगा, बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस-वे का निर्माण वर्ष 2021 के अंत तक सम्भावित है, इसके अलावा, मेरठ से प्रयागराज तक गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर भी कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एशिया का सबसे बड़ा नोएडा इण्टरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट जेवर में स्थापित किया जा रहा है, इसके अलावा रीजनल कनेक्टिविटी को ठीक करने के लिए 11 एयरपोर्ट्स पर कार्य चल रहा है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि डिफेंस एक्स्पो-2020 के माध्यम से ‘मेक इन इंडिया’ को प्रमोट करने में मदद मिलेगी। इस अवसर पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद येस्सो नाइक, प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे, जलसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया, मुख्य सचिव आरके तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह एवं सूचना तथा यूपीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अवनीश कुमार अवस्थी, केंद्र व राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्ष, रक्षा प्रतिनिधि एवं मीडिया प्रतिनिधि मौजूद थे।