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Friday 1 May 2020 11:43:42 AM
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दूसरे राज्यों से उत्तर प्रदेश के प्रवासी कामगारों एवं श्रमिकों से घर वापस आने के लिए पैदल यात्रा नहीं करने की अपील की है, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार श्रमिकों की घर वापसी का पहले ही प्रबंध कर चुकी है और बड़ी संख्या में श्रमिक अपने घर पहुंचाए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों एवं कामगारों की सुरक्षित वापसी के लिए प्रदेश सरकार सम्बंधित राज्य सरकारों से सम्पर्क में है और प्रवासी श्रमिकों के नाम, पते, टेलीफोन नम्बर तथा स्वास्थ्य परीक्षण सहित सम्पूर्ण विवरण उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है, ताकि उनकी सुरक्षित घर वापसी की कार्ययोजना को आगे बढ़ाया जा सके। मुख्यमंत्री ने लोकभवन में लॉकडाउन समीक्षा बैठक में कहा कि अबतक दिल्ली से लगभग 4 लाख प्रवासी श्रमिक एवं कामगार, हरियाणा से 12 हजार श्रमिक, कोटा राजस्थान से साढे़ ग्यारह हजार छात्रों की प्रदेश में सुरक्षित वापसी हो चुकी है, इसी प्रकार प्रयागराज में अध्ययनरत 15 हजार से अधिक प्रतियोगी छात्रों को प्रदेश के विभिन्न जनपदों में सुरक्षित उनके घर भेजा जा चुका है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया कि इसी प्रकार अन्य राज्यों से प्रदेश के प्रवासी कामगारों व श्रमिकों को वापस लाने के लिए प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए और प्रदेश वापसी से पूर्व प्रवासी श्रमिकों का अनिवार्य रूपसे स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के बॉर्डर को पूरी तरह से सील जरूर किया जाए, सीमावर्ती क्षेत्रों में सतर्कता बरती जाए, यह सुनिश्चित किया जाए कि नेपाल राष्ट्र सहित अन्य राज्यों से बगैर अनुमति के कोई भी उत्तर प्रदेश में नहीं आने पाए। उन्होंने कहा कि 10 लाख लोगों के लिए तत्काल क्वारंटीन सेंटर व शेल्टर होम तथा कम्युनिटी किचन तैयार किए जाएं, जहां आने वाले प्रवासी मजदूरों को तात्कालिक रूपसे रखा जा सके, क्वारंटीन सेंटर व शेल्टर होम स्थापना के लिए बड़े कॉलेजों का उपयोग किया जाए, इनमें कम्युनिटी किचन, शौचालय व सुरक्षा जैसी सभी जरूरी सुविधाएं अवश्य रहनी चाहिएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि होम क्वारंटीन किए गए लोगों की निगरानी के लिए निगरानी समितियां गठित की जाएं, इन समितियों में युवक मंगल दल, नेहरू युवा केंद्र, एनएसएस, एनसीसी आदि का सहयोग लिया जाए, भोजन तैयार करने में भी महिला स्वयंसेवी समूहों को जरूर जोड़ा जाए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि क्वारंटीन सेंटर/ शेल्टर होम से ही प्रवासी श्रमिकों को स्वास्थ्य परीक्षण के उपरांत घर भेजा जाए और घर भेजते समय सभी श्रमिकों को राशन की किट उपलब्ध कराई जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि नोएडा के साथ दिल्ली से भी उत्तर प्रदेश के छात्र-छात्राओं को वापस लाने के लिए वहां की सरकार से सम्पर्क किया जा रहा है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि नोएडा, गाजियाबाद तथा अलीगढ़ से प्रदेश के विभिन्न जनपदों में वापस जाने वाले छात्रों की सूची तैयार की जाए, इन छात्रों का स्वास्थ्य परीक्षण कराते हुए उन्हें घर भेजने की व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉजिस्टिक्स की दैनिक समीक्षा की जाए, भारत सरकार के मानकों के अनुरूप पीपीई किट, एन-95 मास्क सहित विभिन्न सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अतिरिक्त वेंटिलेटर्स की तात्कालिक आवश्यकता होने पर पोर्टेबल वेंटिलेटर्स मंगाए जाएं, सभी जनपदों में इन्फ्रा-रेड थर्मामीटर उपलब्ध कराए जाएं, एल-2 अस्पताल में प्रत्येक बेड पर ऑक्सीजन तथा एल-3 चिकित्सालय में प्रत्येक बेड पर वेंटिलेटर की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 का उपचार करने में सक्षम निजी चिकित्सालयों को उपचार की अनुमति दी जाए और यदि कोई रोगी ऐसे अस्पतालों में अपना इलाज कराना चाहता है तो उसके लिखित अनुरोध पर प्राइवेट या कॉरपोरेट चिकित्सालय में इलाज की स्वीकृति प्रदान की जाए।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि टेस्टिंग के लिए प्रदेश में उपलब्ध समस्त संसाधनों का उपयोग किया जाए, इसके दृष्टिगत पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गौ-अनुसंधान संस्थान मथुरा तथा लखनऊ केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान तथा बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान जैसे उच्चस्तरीय शोध संस्थानों की टेस्टिंग क्षमता का उपयोग करने पर विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि जनपद सहारनपुर में लैब क्रियाशील की जानी चाहिए, प्रत्येक मंडल मुख्यालय पर टेस्टिंग लैब स्थापित होनी चाहिए, प्रयास यह होना चाहिए कि आगामी एक सप्ताह में उत्तर प्रदेश टेस्टिंग क्षमता की दृष्टि से देश का नम्बर वन राज्य बन जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुष चिकित्सकों, नर्सिंग तथा पैरामेडिकल के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाए, ताकि आवश्यकता पड़ने पर इनकी सेवाएं भी प्राप्त की जा सकें। उन्होंने कहा कि प्रदेश के एल-1, एल-2 तथा एल-3 कोविड चिकित्सालयों में 52 हजार बेड की व्यवस्था करते हुए इसे चरणबद्ध रूपसे बढ़ाकर 1 लाख बेड किया जाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं, इसलिए राजस्व के वैकल्पिक स्रोतों में वृद्धि करनी पड़ेगी, इसके दृष्टिगत फ्री-होल्ड की कार्रवाई की जाए, इसके लिए एक कमेटी गठित कर इस कार्य को तेजी प्रदान की जाए।
मुख्यमंत्री ने कैश फ्लो में वृद्धि के लिए योजना बनाकर कार्रवाई पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि निवेश बढ़ाने के लिए आकर्षक नीति तैयार की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक खाद्यान्न गोदाम में एक अधिकारी तैनात किया जाए, जो यह सुनिश्चित करे कि वहां सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह पालन हो तथा किसी भी दशा में घटतौली न होने पाए। उन्होंने कहा कि मंडी पूरे दिन खुली रहे, जिससे वहां भीड़ एकत्र न होने पाए। समीक्षा बैठक में चिकित्सा शिक्षामंत्री सुरेश खन्ना, स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह, स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग, मुख्य सचिव आरके तिवारी, कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक टंडन, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं गृह अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार, अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव मित्तल, पुलिस महानिदेशक हितेश सी अवस्थी, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ रजनीश दुबे, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल एवं संजय प्रसाद, प्रमुख सचिव एमएसएमई नवनीत सहगल, प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास एवं पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह, प्रमुख सचिव खाद एवं रसद निवेदिता शुक्ला वर्मा, प्रमुख सचिव कृषि डॉ देवेश चतुर्वेदी, प्रमुख सचिव पशुपालन भुवनेश कुमार, सचिव मुख्यमंत्री आलोक कुमार, सूचना निदेशक शिशिर और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।