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Tuesday 22 September 2020 03:49:27 PM
नई दिल्ली/ पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से बिहार में 14000 करोड़ रुपये की 9 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास किया और राज्य में ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवाओं का भी शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि इन राजमार्ग परियोजनाओं से बिहार में सड़क संपर्क बेहतर होगा, इनमें 3 बड़े ब्रिज और राजमार्गों को चार लेन तथा 6 लेन में अपग्रेड किया जाना शामिल है। उन्होंने कहा कि बिहार में अब सभी नदियों पर पुल होंगे और सभी प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण का काम होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार देश के हर एक गांव को आत्मनिर्भर भारत अभियान से जोड़ रही है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत 6 लाख गांवों को ऑप्टिकल फाइबर केबल से 1000 दिन में जोड़ दिया जाएगा, इससे तेज इंटरनेट की सेवाएं उपलब्ध होंगी और इसमें 45,945 गांव बिहार के हैं। उन्होंने कहा कि कुछ वर्ष पहले कल्पना से भी परे था कि ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट उपयोग करने वालों की संख्या शहरों की तुलना में अधिक होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत डिजिटल लेनदेन के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में से है, अगस्त 2020 में यूपीआई के माध्यम से तीन लाख करोड़ मूल्य का लेनदेन किया गया, इंटरनेट का उपयोग बढ़ा है, ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि देश के हर एक गांव को बेहतर गुणवत्ता वाले और तेज स्पीड में इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारियों के प्रयासों से डेढ़ लाख ग्राम पंचायतों और तीन लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर यानी सामान्य सेवा केंद्रों को ऑप्टिकल फाइबर केबल से जोड़ा जा चुका है। तेजगति के इंटरनेट की सुविधा के फायदे का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे छात्रों को अध्ययन के लिए मौजूद बेहतर डिजिटल पाठ्य सामग्री उपलब्ध होगी, इसके साथ-साथ टेलीमेडिसिन, बीजों से जुड़ी जानकारियों तक किसानों की पहुंच होगी, किसानों को राष्ट्रव्यापी बाजारों, नई तकनीकों के बारे में पता चलेगा और मौसम के बारे में ताजा जानकारी मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि किसान आसानी से अपने उत्पाद न सिर्फ देश, बल्कि विश्व में भी बेच सकेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य शहरी सुविधाओं को देश के हर एक ग्रामीण क्षेत्र तक पहुंचाना है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि बुनियादी विकास से संबंधित योजना और इसके विकास के बारे में सबसे पहले तब प्रयास किए गए थे, जब अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री बने थे, जिन्होंने राजनीति के ऊपर बुनियादी ढांचा विकास को प्राथमिकता दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब प्रयास यह है कि देश में बहुस्तरीय परिवहन नेटवर्क विकसित हो और सभी आपस में जुड़े हों, बुनियादी ढांचा विकास से जुड़ी परियोजनाओं पर इस समय जितना काम हो रहा है और जिस गति से इस काम को निपटाया जा रहा है, वह अतुलनीय है। उन्होंने कहा कि राजमार्गों के निर्माण की गति 2014 से पहले के मुकाबले दोगुनी हो गई है, 2014 से पहले की तुलना में राजमार्ग निर्माण पर खर्च 5 गुना बढ़ा दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आगामी 4 से 5 वर्ष के भीतर बुनियादी ढांचागत विकास पर 110 लाख करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा की है, इसमें 19 लाख करोड़ रुपए राजमार्गों के विकास के लिए समर्पित हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उल्लेख किया कि वर्ष 2015 में घोषित किए गए पैकेज के तहत 3000 किलोमीटर राजमार्ग का निर्माण प्रस्तावित है, भारतमाला परियोजना के अंतर्गत 6.5 किलोमीटर लंबे राजमार्ग का निर्माण कार्य जारी है, इस समय बिहार में राष्ट्रीय राजमार्ग का काम तेज़ी से किया जा रहा है, पूर्वी बिहार को पश्चिमी बिहार से जोड़ने के लिए चार लेन की 5 परियोजनाओं और उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने के लिए 6 परियोजनाओं पर कम चल रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार में आवागमन में सबसे बड़ी बाधा बड़ी नदियों के चलते थी, इसीलिए बिहार के विकास के लिए प्रधानमंत्री पैकेज की घोषणा में पुलों के निर्माण को विशेष तौरपर ध्यान में रखा गया था। प्रधानमंत्री पैकेज के अंतर्गत गंगा नदी पर 17 पुलों का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें से अधिकांश पूर्ण होने के चरण में हैं, इसी तरह से गंडक और कोसी नदियों पर भी पुलों का निर्माण किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पटना रिंग रोड और पटना में गंगा नदी पर महात्मा गांधी सेतु के समानांतर तथा विक्रमशिला सेतु के समानांतर पुलों के निर्माण से पटना और भागलपुर के बीच संपर्क में उल्लेखनीय सुधार होगा।
कृषि सुधार बिल का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सुधारों की अपरिहार्यता थी, ताकि किसानों को विभिन्न बाधाओं से मुक्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि इन ऐतिहासिक कानूनों के चलते किसानों को अपने उत्पाद किसी को भी, कहीं भी और अपने द्वारा तय कीमतों एवं नियमों पर बेचने की छूट मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे पहले की व्यवस्था में खामी थी, इसका लाभ कोई और ले लेता था, जबकि किसान असहाय रहता था। नरेंद्र मोदी ने कहा कि नए कृषि कानूनों के अंतर्गत किसानों के लिए वर्तमान कृषि मंडियों से अलग अपने उत्पाद बेचने के विकल्प मिलेंगे, किसान अब अपने उत्पाद जहां अधिक लाभ मिले वहां बेच सकता है। प्रधानमंत्री ने आलू किसानों और राजस्थान तथा मध्य प्रदेश के तिलहनी फसलों के किसानों का उल्लेख करते हुए कहा इन नए कृषि नियमों से किसानों को अब 15 से 30 प्रतिशत अधिक मुनाफा मिलेगा, इन राज्यों में तेल उत्पादक मिलें किसानों से सीधे तिलहनी उत्पाद खरीदते हैं। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल जहां खपत से अधिक दलहनी फसलों का उत्पादन हुआ किसानों को पिछले साल की तुलना में 15 से 25 प्रतिशत अधिक कीमतें मिलीं, क्योंकि दाल मिलों ने दलहनी फसलों की खरीद सीधे किसानों से की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व इस बिल के बारे में किसानों को भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि कृषि मंडियों को बंद नहीं किया जा रहा है, मंडिया उसी तरह से काम करती रहेंगी जैसे पहले करती रही हैं। उन्होंने कहा कि यह एनडीए सरकार ही है, जिसने 6 वर्ष से मंडियों के आधुनिकीकरण और कंप्यूटरीकरण पर काम कर रही है। नरेंद्र मोदी ने किसानों को आश्वस्त किया कि एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था भी पहले की तरह जारी रहेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि निहित स्वार्थ के चलते अबतक किसानों का शोषण होता रहा है, प्रत्येक फसल सीजन में पहले की तरह न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा सरकार करती रहेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में 85 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत हैं, जिसके चलते उनकी लागत बढ़ जाती है और कम उत्पादन के कारण यह किसान मुनाफा नहीं कमा पाते। उन्होंने कहा कि अगर किसान संगठित होंगे तो वह अपनी लागत कम कर सकते हैं और बेहतर लाभ सुनिश्चित कर सकते हैं, किसान लाभकारी संविदा खेती में सम्मिलित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों में सुधार के कारण कृषि में निवेश बढ़ेगा, किसान उन्नत तकनीकी उपयोग करेंगे, किसानों का उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में और अधिक सहजता से पहुंचेगा।
नरेंद्र मोदी ने जिक्र किया कि बिहार में कैसे 5 किसान उत्पादक संघ एक जानी-मानी चावल व्यापार कंपनी के साथ समझौते में शामिल हुए, उसके तहत 4000 टन चावल की खरीद किसान उत्पादक संघ करेगी, इसी तरह डेरी और दुग्ध उत्पादक भी नए कानून की मदद से लाभांवित होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम में भी सुधार किए गए हैं, इस कानून के कुछ प्रावधान किसानों की स्वतंत्रता को बाधित करते थे, इसके बंधन से दालों, तिलहनी फसलों, आलू और प्याज इत्यादि को मुक्त कर दिया गया है, अब देश के किसान आसानी से बड़े पैमाने पर अपने उत्पाद शीत गृहों में सुरक्षित रख सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में जब शीत गृहों से संबंधित कानूनी बाधाओं को दूर कर दिया जाएगा, तब देश में शीत गृहों का एक बड़ा ढांचा होगा, जो कृषि के लिए लाभकारी होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सरकार ने न सिर्फ रिकॉर्ड अनाज की खरीदी की है, बल्कि किसानों को किया गया भुगतान भी अपने आपमें एक रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा कि यह 21वीं सदी के भारत का दायित्व है कि देश के किसानों के लिए आधुनिक विचारों पर आधारित नई व्यवस्था और नया तंत्र विकसित करे।