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Saturday 3 October 2020 04:01:44 PM
रोहतांग। हिमाचल प्रदेश के रोहतांग क्षेत्र में देश की सबसे लंबी सुरंग आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित की तो उन्होंने सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया, जिनका यह सुरंग एक सपना थी, क्योंकि उन्होंने ही साल 2002 में इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था और जैसे ही उनकी सरकार गई इसके निर्माण का काम भी ठप कर दिया गया। हालात जानिए कि साल 2013-14 तक इस टनल पर सिर्फ डेढ़ किलोमीटर से भी कम ही निर्माण कार्य हो पाया था, जबकि इसकी लंबाई 9.02 किलोमीटर है, यह भारत की रक्षा और इस क्षेत्र में सुगम यातायात के लिए मील का पत्थर है। यह भी उल्लेखनीय है कि यह दुनिया में दस हजार फीट से अधिक लंबी सुरंग है। इस टनल को अटल बिहारी वाजपेयी नाम दिया गया है और यह सुरंग हिमाचल प्रदेश में लेह-मनाली राजमार्ग पर हिमालय की पूर्वी पीर पंजाल श्रेणी में रोहतांग दर्रे के नीचे एक राजमार्ग सुरंग है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल सुरंग राष्ट्र को समर्पित करते हुए जहां इसके महत्व को प्रकट किया वहीं उन्होंने इस सुरंग और हिमाचल प्रदेश के विकास में वहां के पर्यटन में अटल बिहारी वाजपेयी के अनुकरणीय योगदान और अनेक अवसरों पर हिमाचल प्रदेश के प्रवास पर वहां के राजनेताओं और नागरिकों से उनकी गपशप एवं सामाजिक राजनीतिक चर्चाओं के भी किस्से सुनाए। नरेंद्र मोदी ने सुरंग के लोकार्पण पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन बहुत ऐतिहासिक है, आज सिर्फ अटलजी का ही सपना नहीं पूरा हुआ है, बल्कि हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का भी दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है। उन्होंने कहा कि उनका बहुत बड़ा सौभाग्य है कि उन्हें अटल टनल के लोकार्पण का अवसर मिला है। प्रधानमंत्री ने एक संस्मरण सुनाया कि राजनाथ सिंह ने उन्हें बताया था कि जब वे यहां संगठन का काम देखा करते थे तो उन्होंने उनके साथ यहां के पहाड़ों, वादियों में अपना बहुत ही उत्तम समय बिताया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संस्मरण को जारी रखते हुए कहा कि जब अटलजी मनाली में आकर रहते थे तो अक्सर उनके पास बैठना और गपशप होती थी, मैंने और धूमलजी ने एक दिन चाय पीते-पीते बड़े आग्रह से इस सुरंग का विषय उनके सामने रखा और जैसी अटलजी की विशेषता थी, वो आंखें खोल करके हमें गहराई से पढ़ रहे थे कि हम क्या कह रहे हैं, वो मुंडी हिला देते थे, आखिरकार यह सुझाव अटलजी का सपना बन गया, संकल्प बन गया और आज हम उसे एक सिद्धि के रूपमें अपनी आंखों से देख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अक्सर लोकार्पण की चकाचौंध में वो लोग कहीं पीछे रह जाते हैं, जिनके परिश्रम से ये सब संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि अभेद्य पीर पांजाल को भेदकर एक बहुत कठिन संकल्प पूरा किया गया है, इस महायज्ञ में अपना पसीना बहाने वाले, अपनी जान जोखिम में डालने वाले मेहनतकश जवानों, इंजीनियरों और मजदूर भाई-बहनों को मैं आदरपूर्वक नमन करता हूं।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि अटल टनल हिमाचल प्रदेश के एक बड़े हिस्से के साथ लेह-लद्दाख की भी लाइफ लाइन बनने वाली है, अब सही मायनों में हिमाचल प्रदेश का ये बड़ा क्षेत्र और लेह-लद्दाख देश के बाकी हिस्सों से हमेशा के लिए जुड़े रहेंगे, प्रगति पथ पर तेजी से आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि अटल टनल से मनाली और केलॉन्ग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो जाएगी, लेह-लद्दाख के किसानों, बागवानों, युवाओं के लिए भी अब देश की राजधानी दिल्ली और दूसरे बाजार तक उनकी पहुंच आसान हो जाएगी, उनका जोखिम भी कम हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल टनल देवधरा हिमाचल और बुद्ध परम्परा के उस जुड़ाव को भी सशक्त करने वाली है, जो भारत से निकलकर आज पूरी दुनिया को नई राह, नई रोशनी दिखा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल टनल भारत की बॉर्डर आधारिक संरचना को भी नई ताकत देने वाली है, ये विश्वस्तरीय बॉर्डर कनेक्टिविटी का जीता-जागता प्रमाण है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हिमालय का ये हिस्सा हो, पश्चिम भारत में रेगिस्तान का विस्तार हो या फिर दक्षिण और पूर्वी भारत का तटीय इलाका, ये देश की सुरक्षा और समृद्धि दोनों के बहुत बड़े संसाधन हैं। उन्होंने कहा कि हमेशा से इन क्षेत्रों के संतुलित और सम्पूर्ण विकास को लेकर यहां की आधारिक संरचना को बेहतर बनाने की मांग उठती रही है, लेकिन लंबे समय तक हमारे यहां बॉर्डर से जुड़ी आधारिक संरचना के प्रोजेक्ट या तो प्लानिंग की स्टेज से बाहर ही नहीं निकल पाए या जो निकले वो अटक गए, भटक गए। उन्होंने कहा कि एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से अटल टनल का काम उस समय हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में शायद पूरी होती। उन्होंने कहा कि जब विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ना हो, जब देश के लोगों के विकास की प्रबल इच्छा हो तो रफ्तार बढ़ानी ही पड़ती है, अटल टनल के काम में भी 2014 के बाद अभूतपूर्व तेजी लाई गई और बीआरओ के सामने आने वाली हर अड़चन को हल किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आधारिक संरचना के इतने अहम और बड़े प्रोजेक्ट के निर्माण में देरी से देश का हर तरह से नुकसान होता है, इससे लोगों को सुविधा मिलने में तो देरी होती ही है, इसका खामियाजा देश को आर्थिक स्तरपर उठाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी का देश के विकास से सीधा संबंध होता है, ज्यादा से ज्यादा कनेक्टिविटी यानी उतना ही तेज विकास, खासकर बॉर्डर एरिया में तो कनेक्टिविटी सीधे-सीधे देश की रक्षा जरूरतों से जुड़ी होती है, लेकिन इसे लेकर जिस तरह की गंभीरता थी और उसकी गंभीरता की आवश्यकता थी, जिस तरह की राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत थी, दुर्भाग्य से वैसी नहीं दिखाई गई। उन्होंने उल्लेख किया कि अटल टनल की तरह ही अनेक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया, लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी के रूपमें सामरिक रूपसे बहुत महत्वपूर्ण एयर स्ट्रिप 40-50 साल तक बंद रही, इसके बारे में बहुत कुछ कहा जा चुका है, बहुत कुछ लिखा जा चुका है।
उन्होंने कहा कि सच्चाई यही है कि दौलत बेग ओल्डी की एयर स्ट्रिप वायुसेना के अपने इरादों की वजह से शुरू हो पाई, उसमें राजनीतिक इच्छाशक्ति कहीं नज़र नहीं आई। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे याद है कि मैं करीब दो साल पहले अटलजी के जन्मदिन पर असम में था, वहां पर भारत के सबसे लंबे रेल रोड ब्रिज ‘बॉगीबील पुल’ को देश को समर्पित करने का अवसर मुझे मिला था, ये पुल आज नॉर्थ-ईस्ट और अरुणाचल प्रदेश से कनेक्टिविटी का बहुत बड़ा माध्यम है, बॉगीबील ब्रिज पर भी अटलजी की सरकार के समय ही काम शुरू हुआ था, लेकिन उनकी सरकार जाने के बाद फिर इस पुल का काम सुस्त हो गया और साल 2014 के बाद इस काम ने गति पकड़ी और चार साल के भीतर-भीतर इस पुल का काम पूरा कर दिया गया, अटलजी के साथ ही एक और पुल का नाम जुड़ा है-कोसी महासेतु, बिहार में मिथिलांचल के दो हिस्सों को जोड़ने वाले कोसी महासेतु का शिलान्यास भी अटलजी ने ही किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 6 वर्ष में इस दिशा में अभूतपूर्व प्रयास किए गए हैं, विशेष रूपसे बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए पूरी ताकत लगा दी गई है। उन्होंने कहा कि चाहे वो हिमाचल हो, जम्मू कश्मीर हो, कारगिल-लेह-लद्दाख हो, उत्तराखंड हो, सिक्किम हो, अरुणाचल प्रदेश हो, दर्जनों प्रोजेक्ट पूरे किए जा चुके हैं और अनेक प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि इसका बहुत बड़ा लाभ सामान्यजनों के साथ ही फौजी भाई-बहनों को भी हो रहा है, सर्दी के मौसम में उनतक रसद पहुंचाना हो, उनकी रक्षा से जुड़ा साजो-सामान हो, वो आसानी से पेट्रोलिंग कर सकें, सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है, देश की रक्षा जरूरतों और देश की रक्षा करने वालों के हितों का ध्यान रखना हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी सरकार के फैसले साक्षी हैं कि हमने जो वादे किए वो हम लागू करके दिखाते हैं, देश हित से बड़ा, देश की रक्षा से बड़ा हमारे लिए और कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि अब देश में स्थिति बदल रही है, देश में ही आधुनिक अस्त्र-शस्त्र मेक इन इंडिया हथियार बनें, इसके लिए बड़े सुधार किए गए हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि लंबे इंतज़ार के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की व्यवस्था हमारे सिस्टम का हिस्सा है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश की सेनाओं की आवश्यकताओं के अनुसार खरीद और उत्पादन दोनों में बेहतर समन्वय स्थापित हुआ है, अब अनेक ऐसे साजो-सामान हैं, जिनको विदेश से मंगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, वो सामान अब सिर्फ भारत के उद्योगों से ही खरीदना ज़रूरी कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि भारत में डिफेंस इंडस्ट्री में विदेशी निवेश और विदेशी तकनीक आ सके इसके लिए अब भारतीय संस्थानों को अनेक प्रकार के प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का आत्मविश्वास आज जनमानस की सोच का हिस्सा बन चुका है, अटल टनल इसी आत्मविश्वास का प्रतीक है। टनल के उद्घाटन पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रीजयराम ठाकुर, केंद्रीय मंत्रिमंडल से अनुराग ठाकुर, हिमाचल सरकार के मंत्री, जनप्रतिनिधि, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, आर्मी चीफ, रक्षा मंत्रालय बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के अधिकारी और कर्मचारी भी उपस्थित थे।