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महाराष्ट्र में स्टेट वाटर ग्रिड बाढ़ का विकल्प!

गडकरी ने महाराष्ट्र सरकार से मांगी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट

मुंबई महाराष्ट्र में बाढ़ और सूखे की स्थिति बहुत भयावह

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Sunday 18 October 2020 02:17:42 PM

nitin gadkari (file photo)

नई ‌दिल्ली/ मुंबई। मुंबई और पूरे महाराष्ट्र में बाढ़ और सूखे से निपटने के लिए हर साल केंद्र सरकार से आने वाले करोड़ों करोड़ रुपए कहां चले जाते हैं? इसका उत्तर महाराष्ट्र में सत्तासीन और सत्ता में रहे यहां के किसी भी राजनेता के पास नहीं है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने मुंबई महाराष्ट्र में बाढ़ और सूखे के अनवरत संकट से निपटने के स्थायी समाधान हेतु स्टेट वाटर ग्रिड के निर्माण के लिए महाराष्ट्र सरकार से एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रयास सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सरकार के लिए मददगार सिद्ध होगा, साथ ही बाढ़ के संकट से निपटने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले संसाधन की बचत होगी।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके कैबिनेट सहयोगियों तथा संसद सदस्य शरद पवार को लिखे एक पत्र में नितिन गडकरी ने इस मामले पर जल्द निर्णय लेने का राज्य सरकार से अनुरोध किया है, ताकि इसपर यथाशीघ्र क्रियांवयन शुरू हो सके। नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का ध्यान महाराष्ट्र में प्रतिवर्ष बाढ़ से जुड़ी घटनाओं में बड़े पैमाने पर जान और माल के नुकसान जैसे गंभीर मुद्दे की ओर आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि बाढ़ के चलते राज्य के विभिन्न भागों में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, इसलिए इस प्राकृतिक आपदा के बेहतर प्रबंधन के लिए तत्काल कारगर योजना तैयार करने की आवश्यकता है। उनका कहना है कि यह प्राकृतिक आपदा मानव निर्मित विभिन्न विसंगतियों के चलते अधिक भयावह होती जा रही है। केंद्रीय मंत्री ने महाराष्ट्र सरकार को राष्ट्रीय विद्युतीकरण ग्रिड और राजमार्ग ग्रिड की तर्ज पर राज्य में वाटर ग्रिड की महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू करने का सुझाव दिया है।
एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि इसका उद्देश्य बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की नदियों का पानी राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रों की तरफ मोड़ना है, इससे सूखा प्रभावित या कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जल संकट कम होने से लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, साथ ही इससे असिंचित क्षेत्रों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे किसानों की आत्महत्याओं के मामलों में व्यापक कमी आएगी। उन्होंने लिखा है कि विभिन्न अध्ययन यह दर्शाते हैं कि जिन भागों में 55 प्रतिशत से ज्यादा क्षेत्र सिंचाई के दायरे में आते हैं, वहां आत्महत्या के मामलों में कमी आई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस व्यवस्था से कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी होगी और ग्रामीण तथा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। अतिरिक्त जल का प्रवाह मोड़ने से स्थानीय संसाधनों पर दबाव कम होगा। इससे नजदीक भविष्य में नदियों के रास्ते जल परिवहन का विकल्प विकसित किया जा सकता है जो यात्रियों और वस्तुओं के आवागमन का वैकल्पिक मार्ग हो सकेगा। नितिन गडकरी ने लिखा कि अगर ऐसी परियोजनाओं को प्राथमिकता देकर विकसित किया जाता है तो मछली पालन के साथ-साथ अन्य व्यवसाय विकसित हो सकते हैं और बड़े पैमाने पर रोज़गार सृजित हो सकते हैं।
नितिन गडकरी ने लिखा है कि उनका मंत्रालय राजमार्गों के निर्माण के लिए जलाशयों, नालों और नदियों से मिट्टी व रेत निकाल कर जल संरक्षण को भी सुनिश्चित कर रहा है, राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण और जल संरक्षण के बीच यह तालमेल न सिर्फ जल भंडारण क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि इससे पर्यावरण की भी सुरक्षा होगी। उनका कहना है कि शुरुआत में यह प्रयोग महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में पायलट परियोजना के तौर पर शुरू किया गया, इसीलिए इसे बुलढाणा पैटर्न नाम दिया गया, इसी तरह की गतिविधि में महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में 225 लाख क्यूबिक मीटर मिट्टी और रेत नदियों, नालों तथा जलाशयों से लिए गए जिनका इस्तेमाल राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में हुआ और इसके परिणामस्वरूप 22500 टीसीएम जल भंडारण की क्षमता बढ़ी, जिसके लिए राज्य सरकार पर खर्च का बोझ नहीं आया, इससे भू-जल स्तर में सुधार आया, नदियों, जलाशयों और नालों में गहराई बढ़ने के कारण बाढ़ की घटनाओं में कमी आई, कम गहराई होने के चलते पहले जहां नदियों, नालों और जलाशयों की जलग्रहण क्षमता कम थी, बाढ़ का पानी आसपास के इलाकों में भर जाता था वह अब इन जल स्रोतों में संग्रहित होने लगा।
उन्होंने पत्र में लिखा कि इस उपाय को नीति आयोग ने न सिर्फ स्वीकार किया है बल्कि इसकी सराहना की है और आने वाले समय में नीति निर्माण में इस तरह की प्रक्रिया के परिणामों का भी प्रभाव रहेगा। केंद्रीय मंत्री ने उल्लेख किया कि वर्धा और नागपुर जिलों में तमस्वदा पैटर्न अपनाया गया है, जो वर्षा जल संचयन और भू-जल भरण का एक अन्य प्रयास है। यह कार्य पूरी तरह से वैज्ञानिक विधि से छोटे तथा सूक्ष्म वाटर शेड के निर्माण से किया जा रहा है जो जल अभियांत्रिकी और सिविल इंजीनियरिंग पर आधारित है, जो आवश्यक रूप से ऊंचे क्षेत्रों से घाटी क्षेत्रों की दिशा में किए जा रहे हैं। तमस्वदा पैटर्न वर्षा जल संचयन और भू-जल संग्रहण की दिशा में सबसे मददगार साबित हुआ है, यह शोधित जल भंडारण के साथ क्षेत्र को बाढ़ और सूखा मुक्त करता है। इस तरह के कार्यों के परिणामस्वरूप पारंपरिक और प्राकृतिक जल श्रोतों का संरक्षण हो रहा है।

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