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Thursday 11 March 2021 03:06:26 PM
मुंबई। भारतीय नौसेना ने नौसेना डॉकयार्ड मुंबई में औपचारिक कमीशनिंग समारोह में तीसरी स्टील्थ स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस करंज को पश्चिमी नौसेना कमान के शस्त्रागार और शक्तिशाली पनडुब्बी बेड़े में शामिल कर लिया है। गौरतलब है कि फ्रांस के मेसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड मुंबई भारत में छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां बना रहा है। पुरानी करंज के कमीशनिंग क्रू में और बाद में 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कमांडिंग ऑफिसर रहे पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल वीएस शेखावत कमीशनिंग समारोह में मुख्य अतिथि थे। नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और नौसेना व रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी कमीशनिंग समारोह के साक्षी बने।
नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने इस अवसर पर कहा कि स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भर भारत भारतीय नौसेना की विकास गाथा एवं भविष्य की सामरिक क्षमताओं का मूलभूत तत्व है। एडमिरल वीएस शेखावत ने भी आत्मनिर्भर भारत को चिह्नांकित किया और कहा कि हम एक ऐसे भारत में रहते हैं, जो कई उपग्रहों का प्रक्षेपण कर रहा है, परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है और दुनिया के लिए सुरक्षा टीकों का निर्माण कर रहा है तथा नई पनडुब्बी करंज इसका एक और श्रेष्ठ उदाहरण है। उन्होंने कहा देश में यह वर्ष 'स्वर्णिम विजय वर्ष' के रूपमें मनाया जा रहा है, जो 1971 के भारत-पाक युद्ध के 50 साल का प्रतीक है। तत्कालीन यूएसएसआर में रीगा में 4 सितंबर 1969 को कमीशन की गई पुरानी आईएनएस करंज ने तत्कालीन कमांडर वीएस शेखावत की देखरेख में युद्ध में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
आईएनएस करंज की वीरतापूर्ण कार्रवाई के परिणामस्वरूप पनडुब्बी के चालक दल के सदस्यों तथा कर्मियों को अलंकृत किया गया था, जिनमें तत्कालीन कमांडिंग ऑफिसर कमांडर वीएस शेखावत को मिलने वाला वीरचक्र भी शामिल है। दिलचस्प बात यह है कि पुरानी आईएनएस करंज के कमीशनिंग कमांडिंग ऑफिसर कमांडर एमएनआर सामंत 1971 में नवगठित बांग्लादेश नौसेना के नौसेना प्रमुख थे। स्कॉर्पीन पनडुब्बियां दुनिया की सबसे उन्नत पारंपरिक पनडुब्बियों में से एक हैं, ये प्लेटफॉर्म दुनिया की नवीनतम तकनीकों से लैस हैं। अपनी पूर्ववर्ती पनडुब्बियों की तुलना में यह पनडुब्बियां अधिक घातक और छिपकर, समुद्र की सतह के ऊपर या नीचे किसी भी खतरे को बेअसर करने के लिए शक्तिशाली हथियारों और सेंसरों से लैस हैं।
करंज का शामिल होना भारतीय नौसेना के एक निर्माता नौसेना होने की दिशा में एक और मजबूत कदम है, जो अपनी स्थिति को मजबूत करता है, साथ ही दुनिया के एक प्रमुख जहाज एवं पनडुब्बी निर्माण यार्ड के रूप में एमडीएल की क्षमताओं का परिचायक भी है। रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में इस यार्ड की लगातार बनी महत्ता में प्रोजेक्ट 75 भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। रूसी मूल की फॉक्सट्रॉट क्लास पनडुब्बी, जिसे 2003 में डी-कमीशन किया गया था के चालक दल को भी समारोह के लिए विशेष आमंत्रित किया गया था।