विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। गुजरात की मानव बम इशरत जहां, भारतीय जनता पार्टी के लिए बिहार विधान सभा चुनाव में सशक्त चुनावी मुद्दा बन गई है। पाकिस्तान मूल के लश्कर-ए-तय्यबा के अमरीकी आतंकवादी डेविड कोलमेन हेडली का भारतीय राष्ट्रीय जांच एजेंसी के सामने इशरत जहां को लश्कर-ए-तय्यबा की सक्रिय सदस्य और मानव बम होने का रहस्योद्घाटन करना, भाजपा के सुपर स्टार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक 'कलंक' से मुक्ति और भाजपा के लिए एक वरदान बन गया है। इंटरनेट की सोशल नेटवर्किंग साइटों पर अपनी धूम मचा रहे नरेंद्र मोदी को इशरत जहां के पैरोकार राजनीतिक दलों और मानवाधिकार संगठनों को दुनिया के सामने बेनकाब करने का ऐसे समय अवसर आया है जब देश के महत्वपूर्ण राज्य बिहार में आम चुनाव सर पर हैं और बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार गठबंधन की सहयोगी भाजपा पर दबाव बना रहे हैं कि नरेंद्र मोदी और दूसरे स्टार प्रचारक वरुण गांधी को चुनाव में बिहार न भेजा जाए। इस संपूर्ण घटनाक्रम से एक बड़े राजनीतिक उलटफेर की संभावना बढ़ गई है जिसमें भाजपा इशरत जहां और भारत में आतंकवाद मामले में कांग्रेस सहित राजनीतिक दलों और केंद्र सरकार को अभी से ही पूरी तरह घेरने में जुट गई है।
आतंकवादी हेडली के रहस्योद्घाटन के बाद भारत सरकार का गृह मंत्रालय, सीबीआई और इशरत जहां के पैरोकार राजनीतिक दल एवं मानवाधिकार संगठन किंकर्त्तव्यविमूढ़ स्थिति में आ गए हैं कि इशरत जहां के निर्दोष होने के दावे के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का उन्होंने जो 'ट्रायल' चला रखा है उससे वे किस तरह निपटें, क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार का उस समय का यह दावा बिल्कुल सच दिख रहा है कि इशरत जहां लश्कर-ए-तय्यबा की सक्रिय सदस्य थी और इसके साथ-साथ वह एक मानव बम भी थी जोकि नरेंद्र मोदी पर आत्मघाती हमला करने के लिए निकली हुई थी और अपनी योजना को अंजाम देने से पहले ही सुरक्षा बलों के साथ एक मुठभेड़ में अपने चार साथियो समेत मारी गई। इस मामले में भारी बवाल होने पर नरेंद्र मोदी ने बार-बार सफाई दी थी मगर उस वक्त नरेंद्र मोदी को अपनो के भी हमलों का सामना करना पड़ा। देशभर के राजनीतिक दल तो नरेंद्र मोदी को फांसी पर चढ़ाने को उतारू थे ही भाजपा के पितामह अटल बिहारी बाजपेई ने भी मोदी को राजधर्म समझाकर गहरे संकट में डाल दिया था। किसी प्रकार नरेंद्र मोदी उस वक्त की कठिन स्थितियों से बाहर निकलने में सफल हुए तो इशरत जहां मामले में एक बड़ी जांच बैठा दी गई।
नरेंद्र मोदी, हेडली के रहस्योद्घाटन से अब न केवल एक बड़े राजनीतिक संकट से मुक्त हो गए हैं अपितु रातों-रात और ज्यादा शक्तिशाली भी हो गए हैं जिसका वे बिहार विधान सभा चुनाव में भाजपा के लिए भरपूर लाभ उठाएंगे। जहां तक उनके खिलाफ अदालतों में चल रहे ऐसे अन्य मामलों का प्रश्न है तो उन पर भी जनसामान्य में यह संदेश चला गया है कि नरेंद्र मोदी की देश-विदेश में अपार लोकप्रियता से घबराए राजनीतिक दलों और राजनेताओं की ये अनवरत कूट रचित साजिशें हैं। फेसबुक और ट्वीटर जैसी साइटों पर उनके असंख्य प्रशंसकों ने उन्हें हाथों पर उठा रखा है।
एक कहानी में आपने सुना है कि खूंटी ने हार निगल लिया था? यह एक कहावत भी है कि खूंटी हार निगल रही है, जोकि एक चक्रवर्ती राजा नरसिंह के गर्दिश के दौर से जुड़ी है। कहते हैं कि राजा नरसिंह का जब बुरा समय आया तो एक घनिष्ठ मित्र के अतिथि कक्ष में देखते ही देखते खूंटी हार निगल गई और राजा नरसिंह पर हार चोरी का इलजाम लगा। चोरी के इलजाम से दुखी राजा नरसिंह ने अपने मित्र को लाख भरोसा भी दिलाया कि अतिथि कक्ष में उनके सामने खूंटी ने हार निगला है लेकिन मित्र को राजा नरसिंह का यह कोरा झूठ ही लगा, मगर नरसिंह का जब सही समय आया तो उसी मित्र के सम्मुख, उसी अतिथि कक्ष में, उसी खूंटी ने हार को उगल दिया। यह देखकर मित्र को नरसिंह पर यकीन हुआ और राजा नरसिंह हार चोरी के कलंक से मुक्त हुए। गुजरात में कथित छात्रा इशरत जहां की हत्या कराने के आरोप का गंभीर रूप से सामना करते आ रहे मुख्यमंत्री नरेंद्र भाई मोदी पर यह कहानी अच्छी तरह चरितार्थ होती है जिसमें उस वक्त विपदा से घिरे नरेंद्र मोदी उस कथित निर्दोष छात्रा की हत्या कराने के जंघन्य अपराध से कलंकित किए जा रहे थे और बहुत बाद में ऐसा वक्त आया कि अचानक एक महत्वपूर्ण रहस्योद्घाटन से वे 'निर्दोष और मासूम छात्रा' कहलाई जा रही इशरत जहां के कलंक से मुक्त भी हो गए हैं।
बिहार विधान सभा चुनाव में मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने जिस प्रकार नरेंद्र मोदी की छवि को बिहार के राजनीतिक पटल पर पेश करने की कोशिश की उससे अब नितीश कुमार को कोई लाभ होता नही दिख रहा है। बिहार के बाढ़ पीड़ितों के लिए भेजा गया गुजरात सरकार का पांच करोड़ रूपए वापस करना भी बिहार की जनता को अच्छा नही लगा। नितीश कुमार जो भी सोच रहे हों लेकिन वे अभी भी नरेंद्र मोदी के विकास के रोल मॉडल से ऊपर नहीं जा सके हैं। बिहार की प्रगति के पीछे भी भाजपा की कोई कम भूमिका नही मानी जाती है। कहा जाता है कि यदि यही सत्ता का समझौता लालू यादव या किसी अन्य के साथ हुआ होता तो नितीश कुमार को अपना मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा करना असंभव हो जाता। चुनावी वर्ष में नितीश कुमार ने बीजेपी के साथ जो व्यवहार किया वह उनके राजनीतिक नफे-नुकसान को देखते हुए कल तक तो ठीक समझा जा रहा था लेकिन आज स्थितियां बदल गई हैं।
नरेंद्र मोदी को बिहार में इशरत जहां की सच्चाई और अन्य दलों की भूमिका पर बोलने से नितीश कुमार नही रोक सकते। आतंकवाद एक ऐसा मुद्दा है जिस पर भारत में नरेंद्र मोदी प्रमुख निशाने पर हैं और उन्होंने अपने राज्य में इससे निपटने के लिए जो किया हेडली के बयान आने के बाद एक तरह से जनसामान्य की उस पर मोहर लग गई है। नितीश कुमार को बिहार विधान सभा चुनाव में यह तय करना होगा कि आतंकवाद और वोट में से वह किसे चुनेंगे? इस बात को तय करने और कहने की ताकत नितीश कुमार से ज्यादा नरेंद्र मोदी में मानी जा रही है।
पंद्रह जून 2004 को अहमदाबाद में बाहरी इलाके में पुलिस मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां एक खतरनाक आतंकवादी ही थी और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तय्यबा से जुड़ी मानव बम भी थी। डेविड की इस स्वीकारोक्ति से गुजरात पुलिस के उस दावे को बल मिला है जिसमें हर बार इस दावे के साथ कहा जाता रहा है कि इशरत जहां उस दिन अपने चार पुरूष आतंकवादी साथियों के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर आत्मघाती हमले के लिए गुजरात आई थी। इशरत जहां के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद उसके परिवार वालों ने देश भर में बवाल मचाया था कि वह एक छात्रा थी। इशरत की मां का कहना था कि वह इत्र के कारोबारी शेख के साथ सेल्स गर्ल के रूप में काम कर रही थी।
हेडली ने शिकागों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी और कानून विभाग के अधिकारियों की चार सदस्यीय टीम को यह महत्वपूर्ण सूचना दी है जिसने भारत सरकार को काफी संशय में डाल दिया है क्योंकि भारत सरकार इस मामले की सीबीआई जांच करा रही है और भारत के विभिन्न राजनीतिक दल एवं मानवाधिकार संगठन भी इसको लेकर मोदी के खिलाफ हैं। इस रहस्योद्घाटन से ये सभी सकते में हैं और अपना मुंह छिपा रहे हैं जबकि नरेंद्र मोदी ने भारी राहत की सांस ली है क्योंकि इससे वे राजा नरसिंह की तरह निर्दोष साबित हो गए हैं। भारतीय जनता पार्टी ने भी नरेंद्र मोदी पर इस तरह के आरोप लगाने वालों के खिलाफ तगड़ा मोर्चा खोल दिया है। इस रहस्योद्घाटन से उन मानवाधिकार संगठनों और राजनीतिक दलों को गहरा धक्का लगा है जोकि इशरत जहां जैसे मामलों की झूठी पैरवी कर रहे हैं और संभावना अधिक है कि देर सवेर उन मामलों से भी ऐसे ही सच का पर्दा उठेगा।
हेडली की सूचना गुजरात पुलिस की सूचना से काफी मेल खाती है। गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि कुछ आतंकवादी राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर आत्मघाती हमले के लिए गुजरात आए थे। हेडली ने भारत में लश्कर के लिए अपना मिशन 2006 में शुरू किया था। इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लै और दो पाकिस्तानी नागरिक अमजद अली और जीशान जौहर अब्दुल गनी 15 जून 2004 मुठभेड़ में मारे गए थे। इन सभी को अहमदाबाद शहर के बाहरी इलाके में नीले रंग की इंडिका कार में घेरा गया था। कार रोकने का संकेत करने पर उसमें बैठे लोगों ने पुलिस पर गोलियां चलानी शुरू कर दी थीं, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में ये सभी मारे गए थे।