स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 5 April 2021 05:06:33 PM
कोटा। कोटा के किसान श्रीकृष्ण सुमन (55 वर्ष) ने आम की एक ऐसी नई किस्म विकसित की है, जिसमें नियमित तौरपर सालभर सदाबहार नाम के आम पैदा होते हैं। आम की यह किस्म आम के फल में होने वाली ज्यादातर प्रमुख बीमारियों और आमतौर पर होने वाली गड़बड़ियों से मुक्त है। यह स्वाद में ज्यादा मीठा, लंगड़ा आम जैसा होता है और नाटा पेड़ होने के चलते किचन गार्डन में लगाने के लिए उपयुक्त है। इसका पेड़ काफी घना होता है और इसे कुछ साल तक गमले में भी लगाया जा सकता है। इसका गूदा गहरे नारंगी रंग का और स्वाद में मीठा होता है, इसके गूदे में बहुत कम फाइबर होता है, जो इसे अन्य किस्मों से अलग करता है। पोषक तत्वों से भरपूर आम स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।
आम की नई किस्म का विकास करने वाले किसान श्रीकृष्ण ने कक्षा दो तक पढ़ाई करने के बाद स्कूल छोड़ दिया था और अपना पारिवारिक पेशा माली का काम शुरू कर दिया था। उनकी दिलचस्पी फूलों और फलों के बागान के प्रबंधन करने में थी, जबकि उनका परिवार सिर्फ गेहूं और धान की खेती करता था। उन्होंने यह जान लिया था कि गेहूं और धान की अच्छी फसल लेने के लिए कुछ बाहरी तत्वों जैसे बारिश, पशुओं के हमले से रोकथाम और इसी तरह की चीजों पर निर्भर रहना होगा और इससे सीमित लाभ ही मिलेगा। उन्होंने परिवार की आमदनी बढ़ाने के लिए फूलों की खेती शुरू की। सबसे पहले उन्होंने विभिन्न किस्म के गुलाबों की खेती की और उन्हें बाज़ार में बेचा, इसके साथ ही उन्होंने आम के पेड़ भी लगाए। वर्ष 2000 में उन्होंने अपने बागान में आम के एक ऐसे पेड़ को देखा, जिसके बढ़ने की दर बहुत तेज थी, जिसकी पत्तियां गहरे हरे रंग की थी। उन्होंने देखा कि इस पेड़ में पूरे साल बौर आते हैं, यह देखने के बाद उन्होंने आम के पेड़ की पांच कलमें तैयार की। इस किस्म को विकसित करने में उन्हें करीब 15 साल का समय लगा और इस बीच उन्होंने कलम से बने इस पौधों का संरक्षण और विकास किया। उन्होंने पाया कि कलम लगाने के बाद पेड़ में दूसरे ही साल से फल लगने शुरु हो गए।
आम की नई किस्म को नेशनल इन्वोशन फाउंडेशन (एनआईएफ) इंडिया ने भी मान्यता दी। एनआईएफ भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्तसाशी संस्थान है। एनआईएफ ने आईसीएआर-राष्ट्रीय बागबानी संस्थान इंडियन इंस्ट्रीट्यूट ऑफ हार्टिकल्चरल रिसर्च बैंगलौर को भी इस किस्म का स्थल पर जाकर मूल्यांकन करने की सुविधा दी। जयपुर के जोबनर में एसकेएन एग्रीकल्चर्ल यूनिवर्सिटी ने इसकी फील्ड टेस्टिंग भी की है, अब इस पौधा की किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम तथा आईसीएआर-नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज नई दिल्ली के तहत पंजीकरण कराने की प्रक्रिया चल रही है। एनआईएफ ने राष्ट्रपति भवन स्थित मुगल गार्डेन में इस सदाबहार आम की किस्म का पौधा लगाने में सहायता की है। सदाबहार किस्म के आम का विकास करने के लिए श्रीकृष्ण सुमन को एनआईएफ का नौवां राष्ट्रीय तृणमूल नवप्रवर्तन एवं विशिष्ट पारंपरिक ज्ञान पुरस्कार दिया जा चुका है और इसे कई और मंचों पर भी मान्यता दी गई है।
नेशनल इन्वोशन फाउंडेशन चैनलों के माध्यमों से किसानों, किसान नेटवर्कों, सरकारी संगठनों, राज्यों के कृषि विभागों और स्वयंसेवी संगठनों तक आम की इस नई किस्म के बारे में जानकारी पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। श्रीकृष्ण सुमन को 2017 से 2020 तक देशभर और दूसरे देशों से भी सदाबहार आम के पौधों के 8,000 हजार से ज्यादा ऑर्डर मिल चुके हैं। वह 2018 से 2020 तक आंध्रप्रदेश, गोवा, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और चंडीगढ़ को 6,000 से ज्यादा पौधों की आपूर्ति कर चुके हैं। राजस्थान और मध्यप्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों और अनुसंधान संस्थानों में 500 से ज्यादा पौधे वे खुद लगा चुके हैं। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात के विभिन्न अनुसंधान संस्थानों को भी 4,00 से ज्याद कलमें भेजी हैं।